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This Article is From Mar 21, 2023

"स्मार्ट मीटर बिजली की लागत को 2.5 प्रतिशत तक घटाने में मदद करेंगे”: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने स्मार्ट मीटर पर रिपोर्ट को जारी किया. उन्होंने कहा कि सरकार का विजन है कि सभी स्मार्ट मीटर प्रीपेड और डिजिटाइज्ड हों, जिसमें इंसानी दखल न हो.”

"स्मार्ट मीटर बिजली की लागत को 2.5 प्रतिशत तक घटाने में मदद करेंगे”: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री
स्मार्ट मीटर इस्तेमाल करने वाले 60 प्रतिशत बिजली उपभोक्ता इसकी तकनीक से संतुष्ट.
नई दिल्ली:

केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा, “हमने पिछले कुछ वर्षों में बिजली क्षेत्र में व्यापक बदलाव किए हैं और पूरे देश को एक ग्रिड से जोड़ा है. स्मार्ट मीटर परियोजना, मीटर रीडिंग के ऑटोमेशन और 2.90 करोड़ घरों में समय पर बिजली बिल भेजने की जरूरत को पूरी करने के लिए शुरू की गई थी. स्मार्ट मीटर को बढ़ाने से बिजली व्यवस्था के डिजिटलीकरण, ऑटोमेशन और दक्षता में बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा, हमारा विजन है कि भविष्य में लगभग बिजली के सभी मीटर स्मार्ट प्रीपेड मीटर हों. प्रीपेड मीटरिंग से डिस्कॉम के संचालन संबंधी वित्तपोषण की लागत घटती है, जिससे डिस्कॉम के वित्तीय बोझ में महत्वपूर्ण कमी आएगी.

आर के सिंह ने कहा कि स्मार्ट मीटर बिजली की लागत को 2-2.5 प्रतिशत तक घटाने में मदद करेंगे.” सोमवार को काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ओर से, इंटेलिस्मार्ट के साथ मिलकर, आयोजित किए गए ‘नेशनल डायलॉग ऑन स्मार्ट मीटर्ड इंडिया फॉर अ डिजिटलाइज्ड एंड पीपुल-सेंटरिक पॉवर सेक्टर' को संबोधित किया.  

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “हम उपभोक्ताओं के अधिकारों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और इसे सुनिश्चित करने के लिए एक उपभोक्ता शिकायत निवारण व्यवस्था भी बनाई गई है, ताकि समस्याओं का समय पर समाधान हो सके. बिजली व्यवस्था के सभी हिस्सों में अब जवाबदेही प्रमुखता से मौजूद है.” उन्होंने भारत के स्मार्ट मीटर बदलावों में घरेलू मीटर निर्माताओं की भूमिका पर भी जोर दिया और उनसे स्मार्ट मीटर की कीमतों को कम रखने का आग्रह किया.

केंद्रीय मंत्री ने सीईईडब्ल्यू की स्टडी ‘इनेबलिंग अ कंज्यूमर सेंट्रिक स्मार्ट मीटरिंग ट्रांजिशन इन इंडिया' को जारी किया. ब्लूमबर्ग फिलेंथ्रोपीज और मैकअर्थर फाउंडेशन समर्थित सीईईडब्ल्यू के इस अध्ययन में पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत स्मार्ट मीटर उपयोगकर्ताओं ने बिजली बिलिंग और भुगतान पर संतोष जताया और अपने मित्रों और रिश्तेदारों को भी प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का सुझाव देने की बात कही. लगाए गए स्मार्ट मीटर को लेकर 20 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने असंतोष जताया, जबकि 20 फीसदी उपभोक्ता स्मार्ट मीटर के बारे में कुछ कहने की स्थिति में नहीं थे. सर्वेक्षण में शामिल 92 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर लगवाने में कोई दिक्कत नहीं आने की बात कही, जबकि लगभग 50 प्रतिशत बिजली उपभोक्ताओं ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिलिंग में सुधार हुआ है. भारत में बिजली के 55 लाख (5.5 मिलियन) स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, जिनमें से 97 प्रतिशत स्मार्ट मीटर 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगे हैं.

सीईईडब्ल्यू का अध्ययन ‘इनेबलिंग अ कंज्यूमर सेंट्रिक स्मार्ट मीटरिंग ट्रांजिशन इन इंडिया' लगभग 2,700 शहरी परिवारों (1,200 प्रीपेड और 1,500 पोस्टपेड उपभोक्ता) के बीच किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है. इसमें छह राज्यों के 18 जिले और 10 सार्वजनिक विद्युत वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) शामिल हैं, जिनमें अब तक देश में स्थापित कुल स्मार्ट मीटर के 80 प्रतिशत स्मार्ट मीटर लगे हैं. इस सर्वेक्षण के संचालन में आरईसी लिमिटेड ने जमीनी स्तर पर सहायता की, जो भारत में स्मार्ट मीटर कार्यक्रय की नोडल एजेंसी है। इस अध्ययन के अनुसार, स्मार्ट मीटर के लगभग 30 प्रतिशत प्रीपेड उपयोगकर्ता हर महीने एक से अधिक बार रिचार्ज करते हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रीपेड बिजली उपभोक्ता (38 प्रतिशत) सबसे ज्यादा हैं. इसके अलावा, सभी छह राज्यों के एक-तिहाई से ज्यादा उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर लगने से बिजली खर्च पर नियंत्रण रखने की बेहतर समझ, बिजली चोरी में गिरावट, और क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति में सुधार जैसे अन्य लाभों की भी जानकारी दी है.

लोक कुमार, सचिव, ऊर्जा मंत्रालय, ने कहा, “उपभोक्ताओं के लिहाज से स्मार्ट मीटरिंग बहुत महत्वपूर्ण है. गलत बिजली बिल और इसे जारी करने में देरी अभिशाप है. प्रीपेड मीटरिंग के माध्यम से इस समस्या का बुनियादी रूप से समाधान किया जा सकता है. अगर उपभोक्ता संतुष्ट होंगे तो वह बिजली संबंधित सेवाओं के लिए भुगतान करने के लिए तैयार होंगे. यह एक क्रांति है.”

विवेक कुमार देवांगन, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी), आरईसी लिमिटेड ने कहा, “स्मार्ट मीटर, बिजली क्षेत्र के सुधारों के लिए गेम चेंजर है. आज जारी किए गए अध्ययन हमें एक जन-केंद्रित बिजली क्षेत्र तैयार करने में मदद करेंगे. स्मार्ट मीटर के माध्यम से मिलने वाला रियल-टाइम डेटा भारत के ग्रिड के बेहतर प्रबंधन और इसकी स्थिरता को सुधारने में सहायक होगा. यह कुशल रोजगार पैदा करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने का एक अनूठा अवसर है.”

सर्वेक्षण में शामिल राज्यों में, असम में स्मार्ट मीटर से संतुष्ट बिजली उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 90 प्रतिशत है. वहीं, बिहार में स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं के बीच स्मार्ट मीटर ऐप से जुड़ी जागरूकता और उपयोग सबसे ज्यादा (80 प्रतिशत) पाया गया, जो उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर से जोड़ने के लिए चलाए गए व्यापक प्रयासों का नतीजा है. 

सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ. अरुणाभा घोष ने कहा, “स्मार्ट मीटर को सभी बिजली कनेक्शनों से जोड़ने का भारत का यह महत्वाकांक्षी अभियान न केवल उपभोक्ताओं को देश के ऊर्जागत परिवर्तन में सक्रिय भागीदार बनाएगा, बल्कि डिस्कॉम की वित्तीय सेहत में भी काफी सुधार लाएगा. डिस्कॉम को परिचालन दक्षता में सुधार करके और कम लागत में ग्रिड से जुड़ी विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा को जोड़ते हुए किफायती और गुणवत्तापूर्ण विद्युत सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्मार्ट मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठाना चाहिए. स्मार्ट मीटर और उसके मोबाइल ऐप को लेकर उपभोक्ता का भरोसा बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान को बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा.”

सीईईडब्ल्यू के अध्ययन ने स्मार्ट मीटर लगाने के राष्ट्रीय अभियान के सामने आने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित किया है. डिजिटल साक्षरता में कमी और स्मार्ट मीटर ऐप के बारे में सीमित जागरूकता के कारण कई उपभोक्ता बिल के लिए केवल एसएमएस पर निर्भर रहते हैं, जिससे उन्हें बिजली बिल के अलग-अलग विवरणों की जानकारी नहीं मिल पाती है. इसके कारण 70 प्रतिशत उपभोक्ता चाहते हैं कि उन्हें बिल की प्रिंटेट कॉपी दी जाए। साथ में, लगभग 12 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद से बिजली बिल का भुगतान मुश्किल हो गया है, जिसके लिए समय पर रिचार्ज करने में विफल होने पर डिस्कनेक्शन होने का डर, नगदी उपलब्ध न होना और डिजिटल भुगतान में परेशानी जैसे कई कारण शामिल हैं.

इस अध्ययन ने यह भी रेखांकित किया है कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता (63 प्रतिशत) पोस्टपेड मीटर वाले उपभोक्ताओं (55 प्रतिशत) से ज्यादा संतुष्ट थे. हालांकि, जागरूकता की कमी, बदलाव से जुड़ी आशंका, और डिस्कनेक्शन के डर जैसे कारणों के कारण पोस्टपेड स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं में से बहुत कम उपभोक्ता ही प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लगाने के इच्छुक पाए गए.

शालू अग्रवाल, सीनियर प्रोग्राम लीड, सीईईडब्ल्यू ने कहा,  “वर्तमान में, भारत में प्रीपेड स्मार्ट मीटर को रेगुलेट करने वाले प्रावधान अलग-अलग नियामकीय आदेशों और निर्देशों में मौजूद हैं, जो प्रमुख हितधारकों, विशेष रूप से उपभोक्ताओं, के लिए उनकी उपलब्धता को सीमित करते हैं. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और राज्य के बिजली नियामकों को स्मार्ट (प्रीपेड) मीटर पर एक दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार करना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं के अनुभव को बेहतर बनाया जा सके.”

उपभोक्ता हितैषी नीतियां बनाने और उन्हें जोड़ने के उपाय करते हुए स्मार्ट मीटर से जुड़े बदलावों को लाने में उपभोक्ताओं को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में शामिल करना चाहिए. सीईईडब्ल्यू अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि डिस्कॉम को स्मार्ट मीटर और उसके ऐप की विशेषताओं और लाभों के बारे में लगातार जागरूकता अभियान चलाना चाहिए. उन्हें पेपर बिल देना जारी रखना चाहिए और जागरूकता व स्मार्ट मीटर मोबाइल ऐप का उपयोग बढ़ने के साथ इसे धीरे-धीरे हटाने पर विचार करना चाहिए. प्रीपेड स्मार्ट मीटर के रिचार्ज को बाधारहित बनाने और उपभोक्ताओं में डिस्कनेक्शन के भय को दूर करने के लिए उन्हें समय पर अलर्ट और भुगतान के अलग-अलग विकल्पों की जानकारी देनी चाहिए.

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