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This Article is From Jan 14, 2021

कोविड वैक्‍सीन के खिलाफ दुष्‍प्रचार को लेकर 50 शख्सियतों का खुला खत, कहा-वैज्ञानिक समुदाय को लांछित कर रहे कुछ लोग

कोरोना की वैक्सीन आपूर्ति में भारत, ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है और देश से 188 देशों में वैक्सीन निर्यात की जाती है. भारत में 2019 में वैक्सीन का बाजार 94 अरब रुपए का था. .

कोविड वैक्‍सीन के खिलाफ दुष्‍प्रचार को लेकर 50 शख्सियतों का खुला खत, कहा-वैज्ञानिक समुदाय को लांछित कर रहे कुछ लोग
कोरोना से बचाव के लिए देश में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी से शुरू होगा (प्रतीकात्‍मक फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
कहा, कुछ लोग दे रहे राजनीति से प्रेरित बयान
इससे वैज्ञानिक समुदाय की साख पर असर पड़ता है
देशवासियों से अपील है, ऐसे प्रयासों को सफल न होने दें
नई दिल्‍ली:

Covid-19 Vaccine: कोविड-19 वैक्सीन को लेकर चल रहे दुष्प्रचार के खिलाफ देश के पचास डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और मेडिकल प्रोफेशनल ने खुला पत्र लिखा है. गौरतलब है कि कोरोना की वैक्सीन (Corona Vaccine) आपूर्ति में भारत, ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है और देश से 188 देशों में वैक्सीन निर्यात की जाती है. भारत में 2019 में वैक्सीन का बाजार 94 अरब रुपए का था.पत्र में कहा गया है, 'कुछ लोग मीडिया में बयान देकर भारत के वैज्ञानिक समुदाय को लांछित कर रहे हैं और कोविडवैक्सीन को लेकर राजनीति से प्रेरित बयान दे रहे हैं, ऐसे बयानों से भारतीय वैज्ञानिक समुदाय की साख पर असर पड़ता है जिन्होंने भारतीय वैक्सीन को दुनिया भर में निर्यात लायक बनाने के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया और दुनिया भर में भारत को इसके लिए मशहूर कर दिया.' इस पत्र पर एम्स के पूर्व निदेशक टीडी डोगरा, मणिपाल एजुकेशन और मेडिकल ग्रुप के चेयरमैन रंजन पाई समेत 49 डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और मेडिकल प्रोफेशनल ने दस्तखत किए हैं.

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सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) पुणे की वैक्सीन कोविशील्ड पहले, दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल से गुजरी है. इसका परीक्षण 23,475 प्रतिभागियों पर किया गया. इसकी क्षमता 70.42% पाई गई और इसके इमरजेंसी यूज के लिए डीसीजीआई ने अनुमति दी है. सीरम इंस्टीट्यूट ने ड्रग्‍स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से लाइसेंस लेकर 4 करोड़ डोज बनाए हैं जबकि भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और एनआईवी पुणे की साझेदारी में वैक्सीन विकसित की है. यह वैक्सीन वीरो सैल प्लेटफॉर्म पर बनाई गई है जिसकी सुरक्षा और कारगरता का देश और दुनिया में शानदार रिकॉर्ड है.
इसका परीक्षण चूहे-खरगोश आदि पर भी हो चुका है.

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कोवैक्सीन के पहले और दूसरे चरण की क्लीनिकल ट्रायल 800 लोगों पर हो चुकी है और परिणाम बताते हैं कि वैक्सीन सुरक्षित है.तीसरे चरण के लिए 22000 वालेंटियर ने पंजीकरण कराया है. विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के अनुसार DCGI ने इन दोनों वैक्सीन को अनुमति दी है. पत्र के मुताबिक, कोवैक्सीन के लिए कारगरता के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन सुरक्षा के आंकड़े अच्छे हैं और इस वैक्सीन का काफी असर देखने को मिला है. कोवैक्सीन संपूर्ण वायरस इनऐक्टिवेटेड वैक्सीन है लिहाजा इससे केवल स्पाइक प्रोटीन से ही नहीं बल्कि वायरस के कई स्ट्रेन से सुरक्षा मिल सकती है. ये वैक्सीन किफायती हैं और इन्हें दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. 

पत्र में कहा गया है, 'ये वैक्सीन मानवता के लिए उपहार हैं. हमारी देशवासियों से अपील है कि कतिपय तत्वों द्वारा किए जा रहे राजनीतिकरण के प्रयासों को खारिज करें और हमारे देश के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और वैज्ञानिक समुदाय को कलंकित करने के प्रयासों में न आएं. इन तत्वों को यह नहीं पता कि ऐसा कर वे हमारे द्वारा बहुत मेहनत के साथ बनाई गई साख को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

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