सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला दिया है कि भारतीय वायुसेना की 32 महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान स्थायी कमीशन के लिए विचार नहीं किए जाने को अदालत में चुनौती नहीं दी थी, उन्हें बहाल नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्हें एकमुश्त पेंशन लाभ दिया जा सकता है. 12 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद इन महिला अधिकारियों को यह राहत मिली है. भारत के मुख्य न्यायाधीश(CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ का यह फैसला आया है.
पीठ ने स्पष्ट किया कि अधिकारी वेतन के बकाया के लिए पात्र नहीं होंगी लेकिन सेवा से मुक्त होने की तारीख से पेंशन के बकाया के लिए पात्र होंगी. शीर्ष अदालत ने कहा, इस मामले में सभी महिला SSCO को एकमुश्त पेंशन लाभ प्रदान करने पर विचार किया जाएगा. मामला नवंबर, 2010 की मानव संसाधन नीति के तहत होगा. पेंशन लाभ के लिए पात्र पाई गईं अधिकारी सेवा से मुक्त होने की तारीख से बकाया पेंशन के पात्र होंगी लेकिन वे बकाया वेतन की पात्र नहीं होंगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने भारतीय वायुसेना में लंबे समय तक सेवा दी है और उनका ट्रैक रिकॉर्ड उत्कृष्ट रहा है. लिहाजा अपीलकर्ता अधिकारी जो 2010 के फैसले के तुरंत बाद और अपनी सेवा से रिलीज होने के तुरंत बाद दिल्ली हाईकोर्ट गए, उन्हें फैसले से उत्पन्न होने वाले लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, यह ध्यान में रखते हुए कि उन्हें 2006 और 2009 के बीच रिलीज किया गया था, अदालत ने फैसला सुनाया कि उनकी बहाली व्यवहार्य नहीं है.
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