
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं. ऐसे में अलगाववादी संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से खुद को अलग कर लिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर एक पोस्ट में यह जानकारी दी है. इन संगठनों ने हुर्रियत का साथ छोड़कर भारतीय संविधान पर भरोसा जताया है. इसे कश्मीर के भीतर भारतीय संविधान को लेकर बढ़ते भरोसे के एक मजबूत संकेत के तौर पर देखा जा सकता है.
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लिखा है कि जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी, जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग और कश्मीर फ्रीडम फ्रंट जैसे तीन और संगठनों ने हुर्रियत से खुद को अलग कर लिया है. यह कश्मीर के अंदर भारत के संविधान में लोगों के भरोसे को दिखाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एकजुट और शक्तिशाली भारत के विजन को और भी बल मिला है क्योंकि 11 ऐसे संगठन अब अलगाववाद से दूर हो गए हैं और भारतीय संघ को समर्थन दिया है.
Three more organizations, namely Jammu Kashmir Islamic Political Party, Jammu and Kashmir Muslim Democratic League, and Kashmir Freedom Front, disassociate themselves from the Hurriyat. It is a prominent demonstration of the people's trust in the Constitution of India within the…
— Amit Shah (@AmitShah) April 8, 2025
इन नेताओं ने किया खुद को अलग
तीन वरिष्ठ अलगाववादी नेता मोहम्मद यूसुफ नकाश, हकीम अब्दुल रशीद और बशीर अहमद अंद्राबी ने सार्वजनिक रूप से अलगाववाद को त्याग दिया है. इन्होंने हुर्रियत कांफ्रेंस के विभिन्न धड़ों से खुद को अलग कर लिया है. ये तीनों नेता मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत से संबंधित थे. मोहम्मद यूसुफ नकाश जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी के प्रमुख थे तो हकीम अब्दुल रशीद जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग के अध्यक्ष थे वहीं बशीर अहमद अंद्राबी कश्मीर फ्रीडम फ्रंट का नेतृत्व करते थे.
इन नेताओं ने अलग-अलग लेकिन लगभग एक जैसे बयानों में भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा जताई और अलगाववादी एजेंडे से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया. दरअसल यह कदम भारत के संविधान में लोगों का विश्वास दिखाता है.
हुर्रियत में बचे गिनती के कुछ संगठन
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से केन्द्र सरकार ने आतंकवाद और अलगाववादी संगठनों के खिलाफ जिस तरह से कार्रवाई की है, उससे इनके हौसले काफी हद तक टूट चुके हैं. इसी का नतीजा है कि एक समय में ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेस में 20 से ज्यादा संगठन हुआ करते थे, जिनकी कभी कश्मीर में तूती बोलती थी. हालांकि अब गिनती के कुछ संगठन ही हुर्रियत में बचे हैं, जिनका प्रभाव अब खत्म होने के कगार पर है.
गौरतलब है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर के तीन दिन के दौरे पर हैं. रियासत में नई सरकार के गठन के बाद यह पहला मौका है, जब गृहमंत्री जम्मू कश्मीर पहुंचे हैं. हुर्रियत से तीन संगठनों ने खुद को तब हुर्रियत से अलग किया जब खुद केंद्रीय गृह मंत्री शाह कश्मीर में मौजूद हैं.
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