बस से चुनावी अभियान पर निकलीं शीला दीक्षित
नई दिल्ली:
शनिवार सुबह सवेरे दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के बाहर ढोल नगाड़े और श्लोकों के उच्चारण से गूंज उठा। सैकड़ों की तादाद में मौजूद कार्यकर्ताओं का उत्साह कुछ ऐसा था कि मानो कांग्रेस को कोई बड़ी चुनावी कामयाबी मिली हो। हालांकि ये मौक़ा उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेसी नेताओं की बस यात्रा के शुरुआत की थी। ख़ुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बस को फ्लैग ऑफ किया। मंच पर राहुल गांधी भी मौजूद रहे।
बस में सवार नेताओं में उत्तर प्रदेश के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद, प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर, सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित, समन्वय समिति के चेयरमैन प्रमोद तिवारी और प्रचार समिति के चेयरमैन संजय सिंह समेत टीम यूपी के कई और नेता सवार हैं। बस के साथ साथ नेताओं और कार्यकर्ताओं की क़रीब सौ गाड़ियों का ये काफ़िला अगले तीन दिनों तक उत्तर प्रदेश के अलग अलग ज़िलों से गुज़रता हुआ कानपुर तक जाएगा। क़रीब 600 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। रास्ते में नेताओं के रोड शो भी हो रहे हैं और भाषण भी। अहम पड़ावों पर प्रशांत किशोर की टीम के लोग नेताओं के साथ समन्वय करेंगे ताकि उनको साथ-साथ फीडबैक भी मिलता रहे। मक़सद उत्तर प्रदेश में ज़मीन खो चुकी कांग्रेस को दुबारा ज़िंदा करने का है। नारा दिया गया है '27 साल यूपी बेहाल'। ज्ञात हो कि 1989 में यूपी में सत्ता खोने के बाद कांग्रेस फिर कभी इस पर काबिज़ नहीं हो पायी। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2017 में यूपी चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ा इम्तिहान है। इसलिए पार्टी कोई कोर क़सर छोड़ना नहीं चाहती।
आमतौर पर कांग्रेस चुनावी समर में उतरने से पहले अपनी लेट लतीफी के लिए जानी जाती है। लेकिन इस बार अपने नए रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर पार्टी हाथ में समय लेकर चल रही है। हालांकि कई मानते हैं कि पार्टी ने फिर भी देर कर दी है लेकिन नेता कम से कम अब आगे का समय नहीं गंवाना चाहते। इस यात्रा के ज़रिए कांग्रेस जहां अखिलेश यादव की सरकार को निशाना बनाएगी वहीं लोगों से ये भी बताएगी की यूपी के लिए कांग्रेस क्यों ज़रूरी है। जैसा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद ने यात्रा शुरू होने से ठीक पहले कहा कि बीजेपी समेत सभी पार्टियां लोगों को धर्म और संप्रदाय के आधार पर बांट कर सत्ता पर काबिज़ होना चाहती हैं, वहीं कांग्रेस सबको साथ लेकर चलना चाहती है। वे ये भी कहते हैं कि यूपी के लिए कांग्रेस ही सबसे सही विकल्प है।
लेकिन पिछले चुनाव में 403 में से सिर्फ 28 सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार कितनी सीटें हासिल करती है ये देखने वाली बात होगी। वैसे तो कांग्रेस अपने बूते सत्ता में आने का दावा कर रही है, लेकिन अंदरखाने की बात ये है कि कांग्रेस की कोशिश किसी तरह सौ सीटें जीतने की होगी ताकि सरकार बनाने में उसकी अहम भूमिका हो सके।
29 जुलाई को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ख़ुद लखनऊ पहुंचने वाले हैं। कहा ये भी जा रहा है कि प्रियंका गांधी भी लखनऊ पहुंच कर पार्टी की स्थिति सुधारने और जोश भरने के लिए कार्यकर्ताओं से बात करेंगी। कांग्रेस की रणनीति प्रियंका को प्रचार की बड़ी ज़िम्मेदारी देने की है जिसका ऐलान चुनाव के ऐलान के आसपास किया जा सकता है। प्रमोद तिवारी कहते हैं कि हर कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता दिल से चाहता है कि प्रियंका अमेठी और रायबरेली के बाहर भी चुनाव प्रचार करें। ज़ाहिर है तमाम नेता फिलहाल अपने स्तर पर चुनाव प्रचार में जुट गए हैं लेकिन स्टार प्रचारक के तौर पर उन्हें प्रियंका का ही इंतज़ार है।
बस में सवार नेताओं में उत्तर प्रदेश के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद, प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर, सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित, समन्वय समिति के चेयरमैन प्रमोद तिवारी और प्रचार समिति के चेयरमैन संजय सिंह समेत टीम यूपी के कई और नेता सवार हैं। बस के साथ साथ नेताओं और कार्यकर्ताओं की क़रीब सौ गाड़ियों का ये काफ़िला अगले तीन दिनों तक उत्तर प्रदेश के अलग अलग ज़िलों से गुज़रता हुआ कानपुर तक जाएगा। क़रीब 600 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। रास्ते में नेताओं के रोड शो भी हो रहे हैं और भाषण भी। अहम पड़ावों पर प्रशांत किशोर की टीम के लोग नेताओं के साथ समन्वय करेंगे ताकि उनको साथ-साथ फीडबैक भी मिलता रहे। मक़सद उत्तर प्रदेश में ज़मीन खो चुकी कांग्रेस को दुबारा ज़िंदा करने का है। नारा दिया गया है '27 साल यूपी बेहाल'। ज्ञात हो कि 1989 में यूपी में सत्ता खोने के बाद कांग्रेस फिर कभी इस पर काबिज़ नहीं हो पायी। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2017 में यूपी चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ा इम्तिहान है। इसलिए पार्टी कोई कोर क़सर छोड़ना नहीं चाहती।
आमतौर पर कांग्रेस चुनावी समर में उतरने से पहले अपनी लेट लतीफी के लिए जानी जाती है। लेकिन इस बार अपने नए रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर पार्टी हाथ में समय लेकर चल रही है। हालांकि कई मानते हैं कि पार्टी ने फिर भी देर कर दी है लेकिन नेता कम से कम अब आगे का समय नहीं गंवाना चाहते। इस यात्रा के ज़रिए कांग्रेस जहां अखिलेश यादव की सरकार को निशाना बनाएगी वहीं लोगों से ये भी बताएगी की यूपी के लिए कांग्रेस क्यों ज़रूरी है। जैसा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद ने यात्रा शुरू होने से ठीक पहले कहा कि बीजेपी समेत सभी पार्टियां लोगों को धर्म और संप्रदाय के आधार पर बांट कर सत्ता पर काबिज़ होना चाहती हैं, वहीं कांग्रेस सबको साथ लेकर चलना चाहती है। वे ये भी कहते हैं कि यूपी के लिए कांग्रेस ही सबसे सही विकल्प है।
लेकिन पिछले चुनाव में 403 में से सिर्फ 28 सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार कितनी सीटें हासिल करती है ये देखने वाली बात होगी। वैसे तो कांग्रेस अपने बूते सत्ता में आने का दावा कर रही है, लेकिन अंदरखाने की बात ये है कि कांग्रेस की कोशिश किसी तरह सौ सीटें जीतने की होगी ताकि सरकार बनाने में उसकी अहम भूमिका हो सके।
29 जुलाई को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ख़ुद लखनऊ पहुंचने वाले हैं। कहा ये भी जा रहा है कि प्रियंका गांधी भी लखनऊ पहुंच कर पार्टी की स्थिति सुधारने और जोश भरने के लिए कार्यकर्ताओं से बात करेंगी। कांग्रेस की रणनीति प्रियंका को प्रचार की बड़ी ज़िम्मेदारी देने की है जिसका ऐलान चुनाव के ऐलान के आसपास किया जा सकता है। प्रमोद तिवारी कहते हैं कि हर कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता दिल से चाहता है कि प्रियंका अमेठी और रायबरेली के बाहर भी चुनाव प्रचार करें। ज़ाहिर है तमाम नेता फिलहाल अपने स्तर पर चुनाव प्रचार में जुट गए हैं लेकिन स्टार प्रचारक के तौर पर उन्हें प्रियंका का ही इंतज़ार है।
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