मुलायम और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी समझे जाने वाले समाजवादी पार्टी के 32 युवा नेताओं ने एक प्रस्ताव पास कर कहा है कि वह कुछ युवा नेताओं की बर्खास्तगी के विरोध में सपा के 25 साल पूरे होने पर समारोह का बहिष्कार करेंगे.
प्रस्ताव में उन्होंने अखिलेश यादव से वफादारी जताई है. इसमें पार्टी के एक युवा विधायक और तीन MLC शामिल हैं. सियासी हलकों में चर्चा है कि अखिलेश यादव ने भी संकेत दिए हैं कि अगर उनके करीबी नेताओं को वापस नहीं लिया गया तो वह भी पार्टी के 25 साल के जश्न में शामिल नहीं होंगे. अब देखना है कि मुलायम सिंह इस पर क्या कदम उठाते हैं.
मुलायम इस प्रकरण से सख्त नाराज बताए जाते हैं. उन्हें लगता है कि जिस पार्टी के 25 साल से वे सर्वमान्य नेता हैं, उसी पार्टी में वे छात्र युवा नेता जिनकी सियासी उम्र ही चंद साल है, उन्हें चुनौती दे रहे हैं. मुलायम को शक है कि इसके पीछे उनके बेटे की ताकत हो सकती है. मुलायम ने अपने किसी करीबी से कहा है कि यह तो ब्लैकमेलिंग है. निकाले गए नेता अगर अनुशासित ढंग से गलती मानकर माफी मांग लेते तो वे उन्हें वापस ले लेते. अब देखना यह है कि मुलायम पार्टी में टूट को रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं.
गौरतलब है कि सपा में आपसी खींचतान का असर चुनावों पर भी पड़ने की उम्मीद है. तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने कुछ दिन पहले कहा था कि सपा में दरार से कांग्रेस को फायदा होगा, क्योंकि जो लोग उस पार्टी के घटनाक्रम से खुश नहीं है, उनके सामने कांग्रेस के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. राजनीतिक रूप से अहम उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रभावी प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त शीला ने कहा कि सपा के कुछ विधायक और मध्य स्तर के नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
प्रस्ताव में उन्होंने अखिलेश यादव से वफादारी जताई है. इसमें पार्टी के एक युवा विधायक और तीन MLC शामिल हैं. सियासी हलकों में चर्चा है कि अखिलेश यादव ने भी संकेत दिए हैं कि अगर उनके करीबी नेताओं को वापस नहीं लिया गया तो वह भी पार्टी के 25 साल के जश्न में शामिल नहीं होंगे. अब देखना है कि मुलायम सिंह इस पर क्या कदम उठाते हैं.
मुलायम इस प्रकरण से सख्त नाराज बताए जाते हैं. उन्हें लगता है कि जिस पार्टी के 25 साल से वे सर्वमान्य नेता हैं, उसी पार्टी में वे छात्र युवा नेता जिनकी सियासी उम्र ही चंद साल है, उन्हें चुनौती दे रहे हैं. मुलायम को शक है कि इसके पीछे उनके बेटे की ताकत हो सकती है. मुलायम ने अपने किसी करीबी से कहा है कि यह तो ब्लैकमेलिंग है. निकाले गए नेता अगर अनुशासित ढंग से गलती मानकर माफी मांग लेते तो वे उन्हें वापस ले लेते. अब देखना यह है कि मुलायम पार्टी में टूट को रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं.
गौरतलब है कि सपा में आपसी खींचतान का असर चुनावों पर भी पड़ने की उम्मीद है. तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने कुछ दिन पहले कहा था कि सपा में दरार से कांग्रेस को फायदा होगा, क्योंकि जो लोग उस पार्टी के घटनाक्रम से खुश नहीं है, उनके सामने कांग्रेस के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. राजनीतिक रूप से अहम उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रभावी प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त शीला ने कहा कि सपा के कुछ विधायक और मध्य स्तर के नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं.
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