रांची:
चतरा जिले के एक गांव के निकट भाकपा (माओवादी) से अलग हुए एक समूह तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) के साथ हुई मुठभेड़ में दस माओवादी मारे गए हैं।
पुलिस ने इस घटना की जानकारी देते हुए बताया टीपीसी के साथ बीती रात हुई एक मुठभेड़ में ये माओवादी मारे गए हैं।
चतरा के उप-आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि लक्रामंदा गांव के पास से दस माओवादियों के शव बरामद किए गए हैं। ये सभी टीपीसी के साथ बीती रात हुई एक मुठभेड़ में मारे गए हैं। पुलिस अधीक्षक अनुप बरथरे घटना स्थल पर पहुंच चुके हैं।
रांची से सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव चतरा जिले के कुंडा पुलिस थाने के अधीन आता है।
बरथरे ने बताया कि माओवादियों और टीपीसी काडरों के बीच शाम शुरू हुई यह मुठभेड़ देर रात तक चलती रही। उन्होंने कहा, कोबरा बटालियन और जिला पुलिस के जवानों के मौके पर पहुंचने के कारण विद्रोही ये शव अपने साथ नहीं ले जा सके। पुलिस ने घटनास्थल से छह हथियार भी बरामद किए हैं। टीपीसी ने समाचार चैलनों को फोन कर 15 अन्य माओवादियों का अपहरण करने का दावा किया है।
जब इस बारे में बरथरे से पुछा गया तो उन्होंने कहा कि पुलिस को इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।
झारखंड में भाकपा (माओवादी) की विभिन्न नीतियों पर उभरे मतभेद के कारण संगठन के कई काडरों वर्ष 2002 में इससे अलग हो गए थे और टीपीसी का गठन किया था। इस गुट ने पुलिस की बजाए माओवादियों को ही अपना प्रमुख दुश्मन घोषित कर रखा है।
पिछले कुछ समय से माओवादियों के साथ रस्साकशी कर रहे इस संगठन टीपीसी की झारखंड के लातेहार, चतरा और पलामू जिलों में मजबूत पकड़ है।
पुलिस ने इस घटना की जानकारी देते हुए बताया टीपीसी के साथ बीती रात हुई एक मुठभेड़ में ये माओवादी मारे गए हैं।
चतरा के उप-आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि लक्रामंदा गांव के पास से दस माओवादियों के शव बरामद किए गए हैं। ये सभी टीपीसी के साथ बीती रात हुई एक मुठभेड़ में मारे गए हैं। पुलिस अधीक्षक अनुप बरथरे घटना स्थल पर पहुंच चुके हैं।
रांची से सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव चतरा जिले के कुंडा पुलिस थाने के अधीन आता है।
बरथरे ने बताया कि माओवादियों और टीपीसी काडरों के बीच शाम शुरू हुई यह मुठभेड़ देर रात तक चलती रही। उन्होंने कहा, कोबरा बटालियन और जिला पुलिस के जवानों के मौके पर पहुंचने के कारण विद्रोही ये शव अपने साथ नहीं ले जा सके। पुलिस ने घटनास्थल से छह हथियार भी बरामद किए हैं। टीपीसी ने समाचार चैलनों को फोन कर 15 अन्य माओवादियों का अपहरण करने का दावा किया है।
जब इस बारे में बरथरे से पुछा गया तो उन्होंने कहा कि पुलिस को इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।
झारखंड में भाकपा (माओवादी) की विभिन्न नीतियों पर उभरे मतभेद के कारण संगठन के कई काडरों वर्ष 2002 में इससे अलग हो गए थे और टीपीसी का गठन किया था। इस गुट ने पुलिस की बजाए माओवादियों को ही अपना प्रमुख दुश्मन घोषित कर रखा है।
पिछले कुछ समय से माओवादियों के साथ रस्साकशी कर रहे इस संगठन टीपीसी की झारखंड के लातेहार, चतरा और पलामू जिलों में मजबूत पकड़ है।
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