मोदी सरकार के विनिवेश, निजीकरण और श्रम सुधार नीतियों के खिलाफ 10 केंद्रीय व्यापार संघ बुधवार को देशव्यापी आम हड़ताल करेंगे. सीपीएम से जुड़े CITU ने दावा किया है कि इस देशव्यापी हड़ताल में करीब 25 करोड़ कर्मचारी हिस्सा लेंगे. इसमें INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC के साथ-साथ क्षेत्रीय स्वतंत्र महासंघों और संघों के कार्यकर्ता आम हड़ताल में भाग लेंगे.
CITU के महासचिव तपन सेन ने NDTV से कहा, 'हम उम्मीद कर रहे हैं कि 8 जनवरी को हमारे हड़ताल के आह्वान पर 25 करोड़ कामगार इससे जुड़ेंगे. उन्होंने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्र के 25 करोड़ लोग 10 ट्रेड यूनियनों द्वारा आहुत इस हड़ताल में शामिल हो सकते हैं. पेट्रोलियम, ट्रांसपोर्ट, बिजली, इंजीनियरिंग, कोयला, इस्पात व खनन क्षेत्र के कामगारों के इस हड़ताल में शामिल होने की उम्मीद की जा रही है. असंगठित क्षेत्र की बात करें तो हमें उम्मीद है कि महिला कामगार, सरकारी योजनाओं के कामगार व निर्माण क्षेत्र के मजदूर भी इसमें शामिल होंगे.
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श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने पिछले हफ्ते एक बैठक की, लेकिन केंद्रीय व्यापार संघों को अपनी हड़ताल बंद करने के लिए मनाने में विफल रहे. CITU द्वारा जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, 4 साल से अधिक का समय हो गया, लेकिन जुलाई 2015 के बाद से कोई भी भारतीय श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया. आखिरी बार अगस्त 2015 में मंत्रियों के समूह के साथ 12 बिंदुओं पर चर्चा की गई थी. तब से उस संबंध में कुछ भी आगे नहीं बढ़ा.
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विज्ञप्ति में लिखा है कि संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था से निपटने में विफल सरकार निजीकरण और PSUs की बिक्री में व्यस्त है. प्राकृतिक संसाधन और अन्य राष्ट्रीय संपत्ति जो राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय विकास के लिए हानिकारक है.
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