
भारत सरकार चार विवादास्पद लेबर कोड लागू करने के लिए कदम उठा रही है. इसके विरोध में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 26 नवंबर को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने का फैसला किया है. इन संगठनों में आरएसएस से जुड़ा बीएमएस शामिल नहीं है. 14 नवंबर को केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा, 2020 कोड के तहत मसौदा नियमों को अधिसूचित किया और हितधारकों से आपत्ति और सुझाव आमंत्रित किए हैं.
सीटू (CITU) के महासचिव तपन सेन ने एनडीटीवी से कहा है कि सरकार के चार लेबर कोड के विरोध में 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने की योजना बनाई है. मजदूरों के विरोध के बावजूद श्रम मंत्रालय ने सोशल सिक्योरिटी कोड को लागू करने के लिए ड्राफ्ट नियम तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
उन्होंने कहा कि हम साफ करना चाहते हैं कि देश के 10 बड़े श्रम संगठन सरकार के चारों लेबर कोड के खिलाफ हैं और यह पहल मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करने की और मालिकों को ज्यादा अधिकार देने के लिए शुरू की गई है. देश के 10 बड़े श्रम संगठनों ने 26 नवंबर को पूरे देश में 1 दिन की हड़ताल करने का फैसला किया है
उन्होंने कहा कि इस हड़ताल के जरिए हम सरकार को यह संदेश देंगे कि चारों श्रम सुधार के कानून देश के करोड़ों वर्करों को स्वीकार नहीं है उस दिन कृषि सुधार से जुड़े तीनों कानूनों का भी मजदूर विरोध करेंगे. 26 नवंबर को मजदूर देश के सभी उपक्रमों और फैक्ट्रियों में हड़ताल करेंगे.
सेन ने कहा कि इससे पहले जनवरी 2020 में जो हमने हड़ताल की थी उसमें मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक करीब 25 करोड़ मजदूरों ने समर्थन किया था. इस बार 26 नवंबर को हमें उम्मीद है कि हमें मजदूरों के साथ-साथ तीन कृषि सुधार के कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का भी समर्थन मिलेगा.
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