देहरादून / केदारनाथ:
पहाड़ों से आई पानी की तेज धार ने अपने पीछे मौत और तबाही का मंजर छोड़ा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा, ‘मरने वालों संख्या एक हजार का आंकड़ा छू सकती है।’ उन्होंने कहा कि अंतिम मृतक संख्या तभी मिल सकेगी जब मलबा साफ होगा, जिसके नीचे कई शव दबे हो सकते हैं।
प्रतिकूल मौसम की भविष्यवाणी के मद्देनजर तमाम उपलब्ध साधनों को राहत एवं बचाव कार्य में झोंकते हुए उत्तराखंड में बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ सहित तबाह हुए अन्य विभिन्न ऊपरी क्षेत्रों से 10 हजार से अधिक लोगों को निकाला गया।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार वृहद पैमाने पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी राहत अभियान के तहत कुल मिलाकर 70 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा अभी 22 हजार और लोगों को निकाला जाना बाकी है।
रविवार के मौसम में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं है, लेकिन अभियान में लगे लोग सोमवार और मंगलवार को वर्षा के बारे में की गई भविष्यवाणी को लेकर चिंतित हैं जिससे उनका कार्य प्रभावित हो सकता है।
उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर खराब मौसम की वजह से हेलीकॉप्टर की मदद से लोगों को बाहर निकालने के काम में आई थोड़ी रुकावट के बावजूद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को बाहर निकालने के काम में आज तेजी आती दिखी।
केदारनाथ और गौरीकुंड के बीच फंसे एक हजार तीर्थयात्रियों को आज देखा गया। इनमें से 350 लोगों को बचा लिया गया है। कामचलाऊ हैलीपेड के जरिये सेना ने जंगल चट्टी में फंसे तकरीबन 350 लोगों को निकाला। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने यहां कहा कि आठ विशेषज्ञों के एक दल को आज केदारनाथ मंदिर भेजा गया है।
सेना और आईटीबीपी के लोग फिलहाल शवों को नहीं उठा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि उनका अभियान जिंदगियों को बचाने को लेकर है। स्थानीय प्रशासन पुलिस और डॉक्टरों की टीम शवों के पास नहीं पहुंच पा रही है। इतने शवों का पोस्टमार्टम भी मुश्किल है। इसके अलावा अभी तक शवों की संख्या का अनुमान तक नहीं लगाया जा सका है। गौरीकुंड, रामबाड़ा, केदारनाथ, दरमा−व्यास घाटी, मिलाम घाटी में बड़ी संख्या में शव पड़े हैं।
राज्य में खराब मौसम की वजह से आज सुबह हेलीकॉप्टर सेवा प्रभावित रही, जिससे कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में देरी हुई, जो रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने वाले थे।
(इनपुट भाषा से भी)
प्रतिकूल मौसम की भविष्यवाणी के मद्देनजर तमाम उपलब्ध साधनों को राहत एवं बचाव कार्य में झोंकते हुए उत्तराखंड में बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित केदारनाथ सहित तबाह हुए अन्य विभिन्न ऊपरी क्षेत्रों से 10 हजार से अधिक लोगों को निकाला गया।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार वृहद पैमाने पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी राहत अभियान के तहत कुल मिलाकर 70 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा अभी 22 हजार और लोगों को निकाला जाना बाकी है।
रविवार के मौसम में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं है, लेकिन अभियान में लगे लोग सोमवार और मंगलवार को वर्षा के बारे में की गई भविष्यवाणी को लेकर चिंतित हैं जिससे उनका कार्य प्रभावित हो सकता है।
उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर खराब मौसम की वजह से हेलीकॉप्टर की मदद से लोगों को बाहर निकालने के काम में आई थोड़ी रुकावट के बावजूद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को बाहर निकालने के काम में आज तेजी आती दिखी।
केदारनाथ और गौरीकुंड के बीच फंसे एक हजार तीर्थयात्रियों को आज देखा गया। इनमें से 350 लोगों को बचा लिया गया है। कामचलाऊ हैलीपेड के जरिये सेना ने जंगल चट्टी में फंसे तकरीबन 350 लोगों को निकाला। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने यहां कहा कि आठ विशेषज्ञों के एक दल को आज केदारनाथ मंदिर भेजा गया है।
सेना और आईटीबीपी के लोग फिलहाल शवों को नहीं उठा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि उनका अभियान जिंदगियों को बचाने को लेकर है। स्थानीय प्रशासन पुलिस और डॉक्टरों की टीम शवों के पास नहीं पहुंच पा रही है। इतने शवों का पोस्टमार्टम भी मुश्किल है। इसके अलावा अभी तक शवों की संख्या का अनुमान तक नहीं लगाया जा सका है। गौरीकुंड, रामबाड़ा, केदारनाथ, दरमा−व्यास घाटी, मिलाम घाटी में बड़ी संख्या में शव पड़े हैं।
-------लापता लोगों की सूची-------
उस पूरे क्षेत्र में बिखरे शवों की तस्वीरें लेकर राज्य सरकार के आधिकारिक बेवसाइट पर डाली जाएंगी, जिससे कि उनकी पहचान संभव हो सके।
राज्य में खराब मौसम की वजह से आज सुबह हेलीकॉप्टर सेवा प्रभावित रही, जिससे कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में देरी हुई, जो रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने वाले थे।
(इनपुट भाषा से भी)
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