पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) ने गुरुवार को बाल दिवस (Children's Day) के मौके पर भारत के सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक 12 वर्ष के लड़के की फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की. ब्रिटिश सैनिकों द्वारा 12 साल के बाजी राउत (Baji Raut) की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने एक नदी के पार करने से मना कर दिया था.
वीरेंद्र सहवाग ने सन् 1938 में बाजि राउत (Baji Raut) की हत्या की घटना के बारे में बताते हुए लिखा, "10 अक्टूबर 1938 को ब्रिटिश पुलिस कुछ लोगों को गिरफ्तार कर भुवनेश्वर थाना ले आई थी। इनकी रिहाई की मांग जोर पकडऩे लगी. पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. लोगों के बढ़ते आक्रोश को देख पुलिस ने ब्राह्मणी नदी के नीलकंठ घाट होते हुए ढेंकानाल की ओर भागने की कोशिश की. ये लोग बारिश में भीगते हुए नदी किनारे पहुंचे. बाजी राउत नदी तट पर नाव के साथ थे. उन्हें पार कराने का हुक्म दिया गया.''
सहवाग ने बताया, ''बाजी ने सेना के जुल्मों की कहानी सुन रखी थी. उन्होंने सेना को पार उतारने से साफ इंकार कर दिया. सैनिकों ने उन्हें मारने की धमकी दी. हुक्म न मानने पर एक सैनिक ने बंदूक की बट से उनके सिर पर प्रहार किया, वह लहूलुहान होकर गिर पड़े और फिर उठ खड़े हुए और अंग्रेजों को पार उतारने से मना कर दिया. 12 साल का बाजी न तो उनसे डरा और न ही भागा, बल्कि दृढ़ता से उनका मुकाबला किया. अंग्रेज सिपाही उसकी वीरता और देशभक्ति का आकलन नहीं कर पा रहे थे. बाजी के मन में देशभक्ति की भावना कूटकर भरी थी जिसका परिणाम यह निकला उसने बलिदान देना स्वीकार किया पर अंग्रेजों के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया. गुस्साए ब्रिटिश सैनिकों ने बाजी राउत को गोलियों से छलनी कर दिया. इस दौरान बाजी के साथ गांव के लक्ष्मण मलिक, फागू साहू, हर्षी प्रधान और नाता मलिक भी मारे गए.''
वीरेंद्र सहवाग ने आखिर में लिखा, ''भारत के सबसे कम उम्र के शहीद बच्चा निश्चित रूप से और अधिक पहचान का हकदार है. सबसे बहादुर बच्चे में से एक बाजि राउत को सलाम.''
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बताते चले कि बाजी राउत का जन्म 5 अक्टूबर, 1926 को ओडिशा के ढेंनकनाल जिले के नीलकंठपुर गांव में एक गरीब खंडायत परिवार में हुआ था. ओडिशा सरकार की वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने अपने पिता को कम उम्र में खो दिया और उनकी मां ने अलग-अलग घरों में काम किया.
5th October 1926, one of our youngest and greatest freedom heroes was born at Dhenkanal, Odisha. Tributes to the great #BajiRout on his birth anniversary. His story of courage , selflessness and valour needs to be known to every child. Superhero . One of my SandArt at puri beach. pic.twitter.com/Z6ndTZVRwu
— Sudarsan Pattnaik (@sudarsansand) October 5, 2019
पिछले महीने युवा फ्रीडम फाइटर की जयंती पर ओडिशा के सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने उन्हें पुरी समुद्र तट पर रेत की स्कल्पचर के साथ श्रद्धांजलि दी थी. पटनायक ने ट्वीट किया था, "साहस, निस्वार्थता और वीरता की उनकी कहानी को हर बच्चे को जानना चाहिए. सुपरहीरो..."
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