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This Article is From Dec 21, 2020

इलेक्ट्रिसिटी बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की चिंताएं निराधार: ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा- किसानों को बिजली सब्सिडी की मौजूदा व्यवस्था में न तो कोई बदलाव का प्रस्ताव है और न ही भविष्य में सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव लाएगी

इलेक्ट्रिसिटी बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की चिंताएं निराधार: ऊर्जा मंत्री
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने नए इलेक्ट्रिसिटी बिल पर NDTV से बात की.
नई दिल्ली:

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह (RK Singh) ने NDTV से कहा है कि नए इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों (Farmers) की चिंताएं निराधार हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार के सामने किसानों को बिजली सब्सिडी (Power Subsidy) की मौजूदा व्यवस्था में न कोई बदलाव का प्रस्ताव है और न ही भविष्य में सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव लाएगी.  

कृषि मंत्रालय ने रविवार को विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से कहा था कि नौ दिसंबर के केंद्र के लिखित प्रस्ताव पर दोबारा विचार करके बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तारीख बताएं. अब सोमवार को ऊर्जा मंत्री ने एनडीटीवी से कहा कि किसानों को बिजली सब्सिडी की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी और इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल को लेकर विरोध कर रहे किसानो की चिंताएं बेबुनियाद हैं.

ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने NDTV से कहा, "किसानों की आशंका का कोई आधार नहीं है. ड्राफ्ट में कहीं भी नहीं था कि किसान को जो बिजली मिलती है उसमें कोई छेड़छाड़ होगी. न ही उसमें प्रावधान था और न हम उसमें ऐसा करेंगे. जैसे पहले बिजली पर सब्सिडी मिलती थी वह मिलती रहेगी."

विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने मांगों की लंबी सूची सरकार को सौपीं है. उसमें इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल शामिल है. ऊर्जा मंत्री ने आश्वासन देकर किसान संगठनों के डर और आशंका को दूर करने की कोशिश की है.

हालांकि इस आश्वासन के बाद भी सिंघु बॉर्डर पर विरोध कर रहे किसान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं कि ये बिल वापस लिया जाए. NDTV से किसान बृजेन्द्र सिंह और गुरजीत सिंह ने कहा कि हमें डर है कि सरकार आगे चलकर ये प्रस्ताव लाएगी.

उधर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को फिर नए कृषि सुधार कानूनों को किसानों के लिए लाभकारी बताया और कृषि के स्नातक क्षेत्रों से इन नए कानूनों का अध्ययन करने और इनके प्रति जागरूकता फैलाने का सुझाव दिया. साफ़ है किसान और सरकार दोनों फिलहाल अपने-अपने स्टैंड पर कायम हैं.

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