
वाराणसी:
आज विश्व पृथ्वी दिवस है। जो पृथ्वी हमारा लालन-पालन और पोषण करती है, आज हम उसे ही अपने से पैदा किए प्रदूषण नामक 'राक्षस' से उसको सारे इको सिस्टम को नष्ट करने पर तुले हैं। इस बात को लोगों तक बताने और उनको जागरुक करने के लिए वाराणसी में सत्या फाउन्डेशन के तहत शहर के स्कूलों में कई कार्यक्रम किए गए।
सेंट जॉन्स स्कूल में पृथ्वी की संतान पेड़ पौधे और मनुष्यों की संतान हम-आप कैसे एक हैं। इस बात को बच्चों को समझाते हुए शहर के जाने-माने न्यूरोसर्जन डॉक्टर वीडी तिवारी ने कहा कि जैसे पृथ्वी की संतान उसके वनस्पति और पेड़ पौधे हैं, जिसकी जड़ें अंदर होती है और तना शाखाएं बाहर वैसे ही हमारा शरीर भी है। बस अंतर ये है की हमारे शरीर का जड़ यानी मष्तिष्क ऊपर होता है और बाकी शरीर के अंग यानी तना नीचे।
यदि गले से सर को काट दे तो हमारा शरीर मृत हो जाता है, वैसे ही अगर हम पेड़ के जड़ को काट दें तो पेड़ मर जाता है। कहने का मतलब ये कि पृथ्वी माता की संतान पेड़ पौधे और अपनी माता के संतान हम, भाई बहन हैं। इस बात को और पुख्ता तरीके से समझाते हुए कहा कि पेड़ पौधे भी जीवित होते हैं वो हमारी तरह ही सांस भी लेते है, उन्हें भी दर्द होता है, उनके भी आंसू निकलते हैं।
ये बात कई रिसर्चों से सिद्ध हो चुकी हैं। पेड़ पौधे जब सांस लेते हैं तो वो हमारे लिए हानिकारक कार्बन डाई ऑक्साइड खुद लेते हैं और हमें आक्सीजन देते हैं। लिहाजा वो असल में अपने भाई होने का प्रमाण देते हैं जबकि बदले में हम उन्हें इस भाव से नहीं देखते, अगर हम भी उन्हें इस भाव से देखें तो हम पर्यावरण और पृथ्वी दोनों को बचा सकेंगे।
बच्चों ने इन बातों को गंभीरता से समझा और पृथ्वी दिवस के दिन सामूहिक रूप से शपथ भी ली कि हर बच्चा एक पेड़ लगाएगा और लोगों इसके लिए जागरुक भी करेगा, जिससे हमारी पृथ्वी बच सके।
सेंट जॉन्स स्कूल में पृथ्वी की संतान पेड़ पौधे और मनुष्यों की संतान हम-आप कैसे एक हैं। इस बात को बच्चों को समझाते हुए शहर के जाने-माने न्यूरोसर्जन डॉक्टर वीडी तिवारी ने कहा कि जैसे पृथ्वी की संतान उसके वनस्पति और पेड़ पौधे हैं, जिसकी जड़ें अंदर होती है और तना शाखाएं बाहर वैसे ही हमारा शरीर भी है। बस अंतर ये है की हमारे शरीर का जड़ यानी मष्तिष्क ऊपर होता है और बाकी शरीर के अंग यानी तना नीचे।

ये बात कई रिसर्चों से सिद्ध हो चुकी हैं। पेड़ पौधे जब सांस लेते हैं तो वो हमारे लिए हानिकारक कार्बन डाई ऑक्साइड खुद लेते हैं और हमें आक्सीजन देते हैं। लिहाजा वो असल में अपने भाई होने का प्रमाण देते हैं जबकि बदले में हम उन्हें इस भाव से नहीं देखते, अगर हम भी उन्हें इस भाव से देखें तो हम पर्यावरण और पृथ्वी दोनों को बचा सकेंगे।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं