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This Article is From Jul 05, 2011

देर रात तक महिला क्यों न करे काम : हाई कोर्ट

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि पुरुषों को देर रात तक काम करने की इजाजत है तो महिलाओं पर प्रतिबंध क्यों होना चाहिए।
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मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने सोच में बदलाव लाने की जरूरत का जिक्र करते हुए मंगलवार को कहा कि यदि पुरुषों को देर रात तक काम करने की इजाजत है तो महिलाओं पर प्रतिबंध क्यों होना चाहिए। न्यायमूर्ति रंजना देसाई और न्यायमूर्ति आरवी मोरे की खंड पीठ ने रात साढ़े नौ बजे के बाद महिलाओं से काम कराने पर रोक लगाने संबंधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा, ऐसा क्यों है कि रात डेढ़ बजे तक सिर्फ पुरुष ही काम करें, जबकि महिलाओं को सिर्फ साढ़े नौ बजे तक काम करना चाहिए? आप (महाराष्ट्र सरकार) किसी के कामकाज और जीवनशैली को नियंत्रित नहीं कर सकते। अपनी सोच अवश्य बदली जाए। गौरतलब है कि वूमनीस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और अन्य संगठनों ने याचिका दायर कर रात साढ़े नौ बजे के बाद बार में महिला वेटरों के काम करने पर लगी पाबंदी के मुद्दे को उठाया है। यहां तक कि इस कानून के दायरे में दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाली महिलाएं भी हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने विशेष छूट नहीं दी है। न्यायमूर्ति देसाई ने कहा, बार जाना और महिला वेटर का काम करना कोई पाप नहीं है। यदि कोई महिला रात साढ़े नौ बजे के बाद शराब पीना चाहती है तो क्या होगा? यदि बार का स्वामित्व किसी महिला के पास हो, जो काउंटर पर रात डेढ़ बजे तक बैठना चाहती है, तब क्या होगा? क्या राज्य सरकार इसकी भी इजाजत नहीं देगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील देते हुए अधिकवक्ता वीणा थडानी ने अदालत से कहा, यह नियम आबादी के आधे हिस्से के मौलिक अधिकार का हनन करता है। बहरहाल, अदालत इस मामले की सुनवाई कल भी जारी रखेगी।

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