इंदौर:
जीवनसाथी के चरित्र पर संदेह के चलते 45 वर्षीय व्यक्ति के अपनी पत्नी के यौनांग पर कथित रूप से ताला लगाकर रखने के बहुचर्चित मामले में अभियोजन पक्ष को अदालत में बुधवार को तगड़ा झटका लगा।
इस मामले में पीड़ित महिला अपने पति के खिलाफ लगाए गए संगीन आरोपों से इनकार करते हुए खुद के पुराने बयानों से मुकर गई जिसके बाद उसे मुकरी हुई गवाह घोषित कर दिया गया।
यह महिला अपर सत्र न्यायाधीश अवनींद्र कुमार सिंह की अदालत में अभियोजन की गवाह के रूप में पेश हुई थी। वह न्यायाधीश के सामने न केवल पुलिस को दिए बयान से मुकर गई, बल्कि उसने अपने उस कथन से भी इनकार कर दिया जो उसने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत अदालत में दर्ज कराया था।
महिला ने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम कि मैंने (पुलिस को) क्या बयान दिया था, क्योंकि मैं उस वक्त अस्पताल में भर्ती थी। मुझे होश नहीं है कि मैंने पुलिस को बयान दिया था या नहीं।’ उसने कहा, ‘मैंने अदालत में यह भी नहीं कहा कि मेरे पति ने शक की बिना पर मेरे गुप्तांग पर ताला लगा दिया था।’
महिला ने कहा, ‘मैंने अदालत में ऐसा कोई बयान नहीं दिया कि मेरा पति जब काम पर जाता है, तो मेरे यौनांग पर ताला लगा देता है और वापस आने पर यह ताला खोल देता है।’
पांच बच्चों की मां ने हालांकि अदालत को बताया कि एक गैरेज में काम करने वाला उसका पति सोहनलाल (45) छोटी-छोटी बातों को लेकर उससे झगड़ा और मारपीट करता था। लेकिन उसने अपने छोटे बच्चों की परवरिश की चिंता करते हुए पति के खिलाफ कहीं कोई शिकायत नहीं की।
पुलिस की जांच पर भरोसा करें, तो लम्बे वक्त से अपने पति की कथित क्रूरता झेल रही महिला ने 16 जुलाई 2012 को चूहे मारने वाली दवा पीकर खुदकुशी की कोशिश की थी। लेकिन महिला ने आत्महत्या के प्रयास के पीछे इस वजह से अदालत में साफ इनकार कर दिया।
उसने कहा कि पैसे निकालने की ‘छोटी-सी बात पर’ उसका पति से विवाद हुआ था और उसने गुस्से में आकर जहर पी लिया था।
महिला के अपने पुराने बयानों से मुकरने के बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष की गुजारिश पर उसे मुकरी हुई गवाह घोषित करने की अनुमति दे दी।
बहरहाल, शहर के शासकीय महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) की एक स्त्री रोग विशेषज्ञ की गवाही से अभियोजन पक्ष को बल मिला।
एमवायएच की डॉ विभा मौजेस ने अदालत को बताया कि उन्होंने 16 जुलाई 2012 को अस्पताल में महिला के इलाज के दौरान पेशाब की नली लगाते समय देखा कि उसके गुप्तांग पर ताला लगा है।
डॉ विभा ने कहा, ‘जब इस ताले के बारे में मरीज से जानकारी ली गई, तो उसने बताया कि उसके पति ने चार साल पहले उसे गांजा पिलाकर बेहोश कर दिया था। इसके बाद पेंचकस (स्क्रू ड्राइवर) से छेद करके उसके गुप्तांग पर ताला लगा दिया था।’ अभियोजन की गवाह ने बताया कि उसने पुलिस की मुहैया कराई गई चाबी से महिला के गुप्तांग पर लगा ताला खोला।
महिला का पति फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद है। उस पर भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 498-क (पत्नी पर पति की क्रूरता), धारा 326 (खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाना) और धारा 344 (बंधक बनाकर रखना) के तहत मुकदमा चल रहा है।
इस मामले में पीड़ित महिला अपने पति के खिलाफ लगाए गए संगीन आरोपों से इनकार करते हुए खुद के पुराने बयानों से मुकर गई जिसके बाद उसे मुकरी हुई गवाह घोषित कर दिया गया।
यह महिला अपर सत्र न्यायाधीश अवनींद्र कुमार सिंह की अदालत में अभियोजन की गवाह के रूप में पेश हुई थी। वह न्यायाधीश के सामने न केवल पुलिस को दिए बयान से मुकर गई, बल्कि उसने अपने उस कथन से भी इनकार कर दिया जो उसने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत अदालत में दर्ज कराया था।
महिला ने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम कि मैंने (पुलिस को) क्या बयान दिया था, क्योंकि मैं उस वक्त अस्पताल में भर्ती थी। मुझे होश नहीं है कि मैंने पुलिस को बयान दिया था या नहीं।’ उसने कहा, ‘मैंने अदालत में यह भी नहीं कहा कि मेरे पति ने शक की बिना पर मेरे गुप्तांग पर ताला लगा दिया था।’
महिला ने कहा, ‘मैंने अदालत में ऐसा कोई बयान नहीं दिया कि मेरा पति जब काम पर जाता है, तो मेरे यौनांग पर ताला लगा देता है और वापस आने पर यह ताला खोल देता है।’
पांच बच्चों की मां ने हालांकि अदालत को बताया कि एक गैरेज में काम करने वाला उसका पति सोहनलाल (45) छोटी-छोटी बातों को लेकर उससे झगड़ा और मारपीट करता था। लेकिन उसने अपने छोटे बच्चों की परवरिश की चिंता करते हुए पति के खिलाफ कहीं कोई शिकायत नहीं की।
पुलिस की जांच पर भरोसा करें, तो लम्बे वक्त से अपने पति की कथित क्रूरता झेल रही महिला ने 16 जुलाई 2012 को चूहे मारने वाली दवा पीकर खुदकुशी की कोशिश की थी। लेकिन महिला ने आत्महत्या के प्रयास के पीछे इस वजह से अदालत में साफ इनकार कर दिया।
उसने कहा कि पैसे निकालने की ‘छोटी-सी बात पर’ उसका पति से विवाद हुआ था और उसने गुस्से में आकर जहर पी लिया था।
महिला के अपने पुराने बयानों से मुकरने के बाद अदालत ने अभियोजन पक्ष की गुजारिश पर उसे मुकरी हुई गवाह घोषित करने की अनुमति दे दी।
बहरहाल, शहर के शासकीय महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) की एक स्त्री रोग विशेषज्ञ की गवाही से अभियोजन पक्ष को बल मिला।
एमवायएच की डॉ विभा मौजेस ने अदालत को बताया कि उन्होंने 16 जुलाई 2012 को अस्पताल में महिला के इलाज के दौरान पेशाब की नली लगाते समय देखा कि उसके गुप्तांग पर ताला लगा है।
डॉ विभा ने कहा, ‘जब इस ताले के बारे में मरीज से जानकारी ली गई, तो उसने बताया कि उसके पति ने चार साल पहले उसे गांजा पिलाकर बेहोश कर दिया था। इसके बाद पेंचकस (स्क्रू ड्राइवर) से छेद करके उसके गुप्तांग पर ताला लगा दिया था।’ अभियोजन की गवाह ने बताया कि उसने पुलिस की मुहैया कराई गई चाबी से महिला के गुप्तांग पर लगा ताला खोला।
महिला का पति फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद है। उस पर भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 498-क (पत्नी पर पति की क्रूरता), धारा 326 (खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाना) और धारा 344 (बंधक बनाकर रखना) के तहत मुकदमा चल रहा है।
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