किसानों की सहमति के बगैर ना ली जाए उनकी ज़मीन : स्‍वदेशी जागरण मंच

किसानों की सहमति के बगैर ना ली जाए उनकी ज़मीन : स्‍वदेशी जागरण मंच

नई दिल्ली:

नए भूमि अधिग्रहण बिल के प्रारूप पर विरोध का दायरा बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को स्वदेशी जागरण मंच ने संसद की संयुक्त समिति के सामने बिल में शामिल नए प्रावधानों को सिरे से खारिज कर दिया।

संयुक्त समिति के सामने पेश होने के बाद स्वदेशी जागरण मंच के ऑल इंडिया प्रबंध प्रमुख दीपक शर्मा ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि हम चाहते हैं कि किसानों की सहमति के बगैर किसी भी प्रोजेक्ट के लिए उनकी ज़मीन ना ली जाए. किसान की सहमति के बगैर उनके ज़मीन का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए।
 
स्वदेशी जागरण मंच ने संयुक्त समिति के सामने ये बात साफ शब्दों में कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन का अधिग्रहण करने से पहले समाज और पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का मूल्याकंण अनिवार्य होना चाहिए। मंच के वरिष्ठ प्रतिनिधि अनिल शर्मा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि बिना ज़मीन अधिग्रहण के असर को स्टडी किए बगैर सरकार इस प्रावधान पर आगे बढ़ती है, तो इसका बहुत बुरा असर किसानों पर पड़ेगा।
 
स्वदेशी जागरण मंच ने ज़मीन अधिग्रहण पर वाइट पेपर की भी मांग की और कहा कि सरकार को सार्वजनिक तौर पर ये बताना चाहिए कि आज देश में कितनी ज़मीन खेती के लिए इस्तेमाल की जा रही है और आज़ादी के बाद कितनी ज़मीन का केन्द्र और राज्य सरकारों ने अधिग्रहण किया।
 
उधर, सरकार के लिए फिलहाल राहत की खबर यह है कि भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने नए ज़मीन अधिग्रहण बिल का समर्थन किया है। सूत्रों के मुताबिक संसद की संयुक्त समिति के सामने नए ज़मीन अधिग्रहण बिल का समर्थन करते हुए फिक्की के प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि सरकार को कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया सरल बनानी चाहिए। साथ ही, फिक्की प्रतिनिधिमंडल ने निजी स्कूल-कॉलेजों के साथ-साथ निजी अस्पतालों को भी जनहित के दायरे में शामिल करना ज़रूरी है।

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