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This Article is From Nov 02, 2016

'आज़ाद मुल्क' की बात कहकर कांग्रेस ने दिया संकेत, अपनी मर्ज़ी से चल रहे हैं प्रशांत किशोर

'आज़ाद मुल्क' की बात कहकर कांग्रेस ने दिया संकेत, अपनी मर्ज़ी से चल रहे हैं प्रशांत किशोर
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस कोई गठबंधन बनाने की कोशिश नहीं कर रही है, यह संकेत दिए हैं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने, जिन्होंने स्पष्ट किया कि गठबंधन या साझेदारी को लेकर कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की होने वाली किसी बातचीत के लिए कांग्रेस ने उन्हें अधिकृत नहीं किया है.

राज बब्बर ने NDTV से बातचीत में बुधवार को कहा, "यह आज़ाद मुल्क है... वह (प्रशांत किशोर) किसी से भी मिल सकते हैं... मुझे नहीं लगता, कांग्रेस ने उन्हें (प्रशांत किशोर को) ऐसा करने के लिए अधिकृत किया है..."

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उत्तर प्रदेश में कुछ ही महीने में चुनाव होने जा रहे हैं, और फिलहाल सत्तासीन समाजवादी पार्टी में शीर्ष स्तर पर (पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव तथा उनके मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव के बीच) लंबे अरसे से अंदरूनी कलह जारी है. बॉलीवुड अभिनेता से नेता बने राज बब्बर इस समय कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख हैं, लेकिन मामले को जटिल बनाता है उनका राजनातिक इतिहास, क्योंकि वह वर्ष 2008 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले तक समाजवादी पार्टी का ही हिस्सा रहे हैं.

आबादी के लिहाज़ से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति तय करने का उत्तरदायित्व संभाल रहे प्रशांत किशोर ने मंगलवार रात को दिल्ली में मुलायम सिंह यादव के आवास पर कई घंटे की मुलाकात की. इस बैठक में कुछ देर के लिए अमर सिंह भी मौजूद थे, जो मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के बीच जारी कलह की प्रमुख वजहों में से एक हैं. मुलायम उन्हें अपना भरोसेमंद सहयोगी और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन अखिलेश इससे सहमत नहीं हैं. पिता-पुत्र के बीच शिवपाल यादव को लेकर भी बिल्कुल ऐसी ही असहमति बनी हुई है, जो मुलायम सिंह यादव के भाई हैं.

कांग्रेस सूत्रों ने NDTV से कहा कि जब तक यादवों के बीच की कलह खत्म नहीं हो जाती और वे अपने आपसी मतभेद भुला नहीं देते, वे किसी को भी 'जोड़ने वाले' के रूप में लुभा नहीं सकते. लेकिन प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव के साथ हुई बैठक में उसी तरह के संभावित महागठबंधन की रूपरेखा पर चर्चा हुई, जिसने पिछले साल बिहार में चुनाव जीता था.

माना जाता है कि बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ नीतीश कुमार, उनके पूर्व प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद यादव तथा कांग्रेस को एक साथ लाने में प्रशांत किशोर की महती भूमिका रही थी. मुलायम सिंह यादव ने आखिरी समय में पर्याप्त सीटें नहीं दिए जाने की बात से नाराज़ होकर इस महागठबंधन से किनारा कर लिया था, लेकिन यह फैसला गलत साबित हुआ, और उनकी पार्टी को बिहार में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई.

कांग्रेस नेताओं द्वारा अपनी सीमाओं को लांघने का आरोप झेलते आ रहे प्रशांत किशोर तथा पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख राज बब्बर के मुख्तलिफ रुख बताते हैं कि कांग्रेस में अंदरखाना मतभेद मौजूद हैं, लेकिन पार्टी यह भी जानती है कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने पर लाभ हो सकता है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव की पार्टी को 29 फीसदी वोट मिले थे, और वे 224 सीटें जीतने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस ने सीटें भले ही सिर्फ 28 जीती थीं, लेकिन उन्हें 11 फीसदी वोट मिले थे.

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन हो जाने से न सिर्फ बीजेपी से मुकाबला करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे बहुजन समाज पार्टी की दलित नेता मायावती पर भी रोक लगाने में कामयाबी मिल सकती है, जो आजकल अपनी रैलियों के दौरान राज्य में खासी तादाद में बसे मुस्लिम वोटों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही हैं.

इस महागठबंधन के अन्य संभावित सदस्य के रूप में अजित सिंह की पहचान की गई है, जो राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख हैं, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिनका खासा वर्चस्व है.

अब महागठबंधन में सभी पार्टियों की रुचि का अंदाज़ा शनिवार को हो जाएगा, जब सभी को समाजवादी पार्टी की 25वीं सालगिरह के लखनऊ में होने वाले कार्यक्रम में शिरकत का न्योता दिया गया है.

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