नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। राष्ट्रगान के बाद दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई, जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं लोकसभा में संविधान दिवस पर चर्चा हुई, जिसमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई नेताओं ने हिस्सा लिया।
वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से पूर्व ककहा कि देश को संसद से कई अपेक्षाएं हैं। उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश हो। संसद से बड़ा संवाद को कोई केंद्र नहीं है। सभी सांसदों से सत्र चलाने को लेकर बातचीत हुई है।
वैसे, इस सत्र में असहिष्णुता, जीएसटी बिल और भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा होने के पूरे आसार दिख रहे हैं। सरकार इस बार किसी भी हाल में जीएसटी को पास करवाना चाहती है, इससे पहले बुधवार को दिनभर सरकार और विपक्षी नेताओं की बीच बैठकों का दौर चला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों से सत्र को सुचारू रूप से चलाने की अपील की और कहा कि सरकार सभी दलों को साथ लेकर आपसी विचार विमर्श से ही संसद की कार्यवाही को चलाना चाहती है।
(विराग गुप्ता की कलम से : जंगलराज में तब्दील होता संसदीय लोकतंत्र)
पीएम बोले - जीएसटी राष्ट्र के हित में
पीएम ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करना राष्ट्र के हित में है। पीएम ने कहा, सभी दलों के लिए यह जरूरी है कि वे संसद के सुचारू संचालन के लिए मिलकर काम करें और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करें। बैठक के बाद संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि मोदी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली से जीएसटी पर सहमति बनाने के लिए सभी दलों से बात करने के लिए कहा है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर संसद में बहस को तैयार है, लेकिन संसद सही ढंग से चले ये उनकी पहली प्राथमिकता होगी। बता दें कि पिछली बार का संसद का सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था, जिसके चलते कई अहम बिल अटक गए थे। विपक्ष ने ललित गेट, व्यापमं घोटाला और नेताओं के आपत्तिजनक बयानों के चलते सरकार पर चौतरफ़ा हमला किया था।
संसद के सुचारू संचालन की यही अपील बुधवार शाम को प्रधानमंत्री ने एनडीए की बैठक में भी की। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है। कांग्रेस ने भी कहा कि वह जीएसटी पर खुले दिमाग से विचार करने के लिए तैयार है।
सभी मुद्दों पर बहस चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा, 'हमारे लिए सभी विधेयक महत्वपूर्ण है। जहां तक जीएसटी की बात है तो हम साफ कर देना चाहते हैं कि यह हमारा विधेयक है..हम चर्चा के लिए तैयार हैं। हमारी कुछ वाजिब चिंताएं हैं, जिनका निराकरण होना चाहिए।' उन्होंने कहा, '(शीतकालीन सत्र में) विपक्ष असहिष्णुता, महंगाई, किसानों की समस्या, सूखे की स्थिति, सांप्रदायिक तनाव जैसे मुद्दों पर भी चर्चा चाहता है।'
आजाद ने कहा, 'हम महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बाल श्रम और ललित मोदी के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा करेंगे।' कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी जीएसटी विधेयक में कराधान पर एक सीमा चाहती है।
राहुल गांधी ने बेंगलुरु में कहा, 'हम जीएसटी विधेयक को जरूरी मानते हैं। इसके मौजूदा रूप में कुछ बदलाव चाहते हैं। हम कराधान की एक ऊपरी सीमा चाहते हैं।' मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि असहिष्णुता व सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के खिलाफ उनके प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया है।
संसद में होगी असहिष्णुता की निंदा
संसद परिसर में सर्वदलीय बैठक के बाद येचुरी ने कहा, 'देश में बढ़ रही असहिष्णुता की निंदा के लिए सदन को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए। हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह भड़काऊ भाषणों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को रोकने के लिए कानून सम्मत कार्रवाई करे।'
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम (जीएसटी) पर माकपा नेता ने कहा कि संसद में सरकार द्वारा इसे पारित करने के पहले सभी राज्यों की सरकारों को विश्वास में लिया जाना चाहिए। वाम नेता ने कहा, 'हम शीतकालीन सत्र के दौरान मूल्य वृद्धि, दाल की बढ़ती कीमतें, स्वच्छ भारत से संबंधित मुद्दे, तेल की कीमतें, औद्योगिक उत्पादन में कमी, कृषि से संबंधित मुद्दे तथा किसानों की खुदकुशी के मुद्दों को उठाएंगे। देश में सामाजिक न्याय के लिए हमने एक नए कानून का भी प्रस्ताव किया है।'
जनता दल (युनाइटेड) नेता शरद यादव ने कहा कि वह नेपाल-भारत संबंध के मुद्दे को उठाएंगे। जीएसटी चूंकि संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए कानून बनने से पहले इसे संसद के दोनों सदनों से दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना होगा और उसके बाद देश के आधे राज्यों की विधानसभाओं से भी पारित कराना होगा। अभी यह राज्यसभा में लंबित है, जहां सत्ता पक्ष अल्पमत में है।
लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की गरिमा बनाकर रखने को कहा
जाहिर तौर पर संसद के पिछले मानसून सत्र में अधिकतर समय बनी रही अवरोध की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि सदस्य सदन में ज्यादा से ज्यादा गरिमा बनाए रखें।
गुरुवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक के बाद सुमित्रा ने कहा, 'अधिक से अधिक शिष्टता होनी चाहिए और अधिक से अधिक चर्चा होनी चाहिए।' कुछ दिन पहले उन्होंने सभी सदस्यों को पत्र लिखकर कहा था, 'जीवन के हर क्षेत्र में सभी को एक-दूसरे से विनम्र और नैतिक व्यवहार की अपेक्षा रहती है। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मैं उम्मीद करती हूं कि लोकसभा में, जिसे हम लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं, हम स्वीकार्य मर्यादा के अनुसार व्यवहार दिखाएंगे ताकि प्रतिष्ठा और पवित्रता बनी रहे।'
इनपुट : आईएएनएस से भी
वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से पूर्व ककहा कि देश को संसद से कई अपेक्षाएं हैं। उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश हो। संसद से बड़ा संवाद को कोई केंद्र नहीं है। सभी सांसदों से सत्र चलाने को लेकर बातचीत हुई है।
वैसे, इस सत्र में असहिष्णुता, जीएसटी बिल और भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा होने के पूरे आसार दिख रहे हैं। सरकार इस बार किसी भी हाल में जीएसटी को पास करवाना चाहती है, इससे पहले बुधवार को दिनभर सरकार और विपक्षी नेताओं की बीच बैठकों का दौर चला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों से सत्र को सुचारू रूप से चलाने की अपील की और कहा कि सरकार सभी दलों को साथ लेकर आपसी विचार विमर्श से ही संसद की कार्यवाही को चलाना चाहती है।
(विराग गुप्ता की कलम से : जंगलराज में तब्दील होता संसदीय लोकतंत्र)
पीएम बोले - जीएसटी राष्ट्र के हित में
पीएम ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करना राष्ट्र के हित में है। पीएम ने कहा, सभी दलों के लिए यह जरूरी है कि वे संसद के सुचारू संचालन के लिए मिलकर काम करें और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करें। बैठक के बाद संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि मोदी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली से जीएसटी पर सहमति बनाने के लिए सभी दलों से बात करने के लिए कहा है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर संसद में बहस को तैयार है, लेकिन संसद सही ढंग से चले ये उनकी पहली प्राथमिकता होगी। बता दें कि पिछली बार का संसद का सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था, जिसके चलते कई अहम बिल अटक गए थे। विपक्ष ने ललित गेट, व्यापमं घोटाला और नेताओं के आपत्तिजनक बयानों के चलते सरकार पर चौतरफ़ा हमला किया था।
संसद के सुचारू संचालन की यही अपील बुधवार शाम को प्रधानमंत्री ने एनडीए की बैठक में भी की। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है। कांग्रेस ने भी कहा कि वह जीएसटी पर खुले दिमाग से विचार करने के लिए तैयार है।
सभी मुद्दों पर बहस चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा, 'हमारे लिए सभी विधेयक महत्वपूर्ण है। जहां तक जीएसटी की बात है तो हम साफ कर देना चाहते हैं कि यह हमारा विधेयक है..हम चर्चा के लिए तैयार हैं। हमारी कुछ वाजिब चिंताएं हैं, जिनका निराकरण होना चाहिए।' उन्होंने कहा, '(शीतकालीन सत्र में) विपक्ष असहिष्णुता, महंगाई, किसानों की समस्या, सूखे की स्थिति, सांप्रदायिक तनाव जैसे मुद्दों पर भी चर्चा चाहता है।'
आजाद ने कहा, 'हम महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बाल श्रम और ललित मोदी के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा करेंगे।' कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी जीएसटी विधेयक में कराधान पर एक सीमा चाहती है।
राहुल गांधी ने बेंगलुरु में कहा, 'हम जीएसटी विधेयक को जरूरी मानते हैं। इसके मौजूदा रूप में कुछ बदलाव चाहते हैं। हम कराधान की एक ऊपरी सीमा चाहते हैं।' मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि असहिष्णुता व सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के खिलाफ उनके प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया है।
संसद में होगी असहिष्णुता की निंदा
संसद परिसर में सर्वदलीय बैठक के बाद येचुरी ने कहा, 'देश में बढ़ रही असहिष्णुता की निंदा के लिए सदन को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए। हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह भड़काऊ भाषणों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को रोकने के लिए कानून सम्मत कार्रवाई करे।'
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम (जीएसटी) पर माकपा नेता ने कहा कि संसद में सरकार द्वारा इसे पारित करने के पहले सभी राज्यों की सरकारों को विश्वास में लिया जाना चाहिए। वाम नेता ने कहा, 'हम शीतकालीन सत्र के दौरान मूल्य वृद्धि, दाल की बढ़ती कीमतें, स्वच्छ भारत से संबंधित मुद्दे, तेल की कीमतें, औद्योगिक उत्पादन में कमी, कृषि से संबंधित मुद्दे तथा किसानों की खुदकुशी के मुद्दों को उठाएंगे। देश में सामाजिक न्याय के लिए हमने एक नए कानून का भी प्रस्ताव किया है।'
जनता दल (युनाइटेड) नेता शरद यादव ने कहा कि वह नेपाल-भारत संबंध के मुद्दे को उठाएंगे। जीएसटी चूंकि संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए कानून बनने से पहले इसे संसद के दोनों सदनों से दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना होगा और उसके बाद देश के आधे राज्यों की विधानसभाओं से भी पारित कराना होगा। अभी यह राज्यसभा में लंबित है, जहां सत्ता पक्ष अल्पमत में है।
लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की गरिमा बनाकर रखने को कहा
जाहिर तौर पर संसद के पिछले मानसून सत्र में अधिकतर समय बनी रही अवरोध की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि सदस्य सदन में ज्यादा से ज्यादा गरिमा बनाए रखें।
गुरुवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक के बाद सुमित्रा ने कहा, 'अधिक से अधिक शिष्टता होनी चाहिए और अधिक से अधिक चर्चा होनी चाहिए।' कुछ दिन पहले उन्होंने सभी सदस्यों को पत्र लिखकर कहा था, 'जीवन के हर क्षेत्र में सभी को एक-दूसरे से विनम्र और नैतिक व्यवहार की अपेक्षा रहती है। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मैं उम्मीद करती हूं कि लोकसभा में, जिसे हम लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं, हम स्वीकार्य मर्यादा के अनुसार व्यवहार दिखाएंगे ताकि प्रतिष्ठा और पवित्रता बनी रहे।'
इनपुट : आईएएनएस से भी
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
संसद, शीतकालीन, असहिष्णुता, जीएसटी बिल, भूमि अधिग्रहण बिल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जीएसटी, Govt, Winter Session Of Parliament, Intolerance, GST, Land Bill, PM Narendra Modi