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This Article is From Oct 11, 2021

क्या किसानों की मौत यूपी चुनाव में बिगाड़ेगी BJP का खेल? पार्टी ने की रणनीति पर चर्चा

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में बीजेपी नेताओं की बैठक हुई. बैठक करीब 4 घंटे तक चली. बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव और संगठन मंत्री सुनील बंसल शामिल रहे.

क्या किसानों की मौत यूपी चुनाव में बिगाड़ेगी BJP का खेल? पार्टी ने की रणनीति पर चर्चा
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) को लेकर दिल्ली में बीजेपी नेताओं की बैठक (BJP Meet on UP Polls) हुई. बैठक करीब 4 घंटे तक चली. बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव और संगठन मंत्री सुनील बंसल शामिल रहे. सूत्रों के अनुसार चुनावों के अलावा बैठक में लखीमपुर खीरी घटना (Lakhimpur Kheri) के असर पर भी बातचीत हुई. विपक्ष केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा (Ajay Mishra) के इस्तीफे की मांग कर रहा है और कांग्रेस इसे लेकर बेहद आक्रामक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में गृह मंत्री अजय मिश्रा ने देशव्यापी आक्रोश और विपक्ष की मांगों के बावजूद इस्तीफा नहीं दिया है.

सूत्रों ने कहा कि फिलहाल इस्तीफे की कोई संभावना नहीं है. पिछले हफ्ते अपने बॉस, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक बैठक में, मिश्रा ने कहा कि वह या उनका बेटा मौके पर नहीं थे. सूत्रों ने संकेत दिया कि यदि आवश्यक हो तो जांच के निष्कर्षों के आधार पर नए सिरे से अवलोकन किया जा सकता है.

पार्टी को, हालांकि, अभी भी आगे सोचने की जरूरत है और सूत्रों ने कहा कि उनके इस्तीफे के पेचीदा सवाल पर बैठक में चर्चा हुई हो सकती है.

मौतों और आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी पर राज्य पुलिस की सुस्त प्रतिक्रिया ने किसानों को नाराज कर दिया है. पार्टी के लिए, अलग-थलग पड़े किसानों या ब्राह्मणों के बीच किसी एक के साथ जाने का विकल्प है. राज्य की आबादी का 11 प्रतिशत हिस्सा ब्राह्मणों का है और वो भाजपा से नाराज नजर आते हैं.

मिश्रा ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो हालांकि संख्या में छोटे हैं, लेकिन राज्य में चुनावों में जाति की बड़ी भूमिका को देखते हुए महत्वपूर्ण राजनीतिक महत्व रखते हैं. वैसे भी कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी होकर ही जाता है.

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राज्य में भाजपा के मुख्य निर्वाचन क्षेत्र में जब दलित वोटबैंक का प्रभुत्व बढ़ा, तो शीर्ष पद के लिए योगी आदित्यनाथ – एक राजपूत – के चयन से ब्राह्मणों में गहरा आक्रोश है. मुख्यमंत्री का दूसरी बार समर्थन करते हुए, भाजपा, पिछले कुछ महीनों से, समुदाय के समर्थन को वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. जून में, बीजेपी ने कांग्रेस के जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल कर इस दिशा में बड़ी पहल की थी. 

पार्टी ने 2016 में भी कांग्रेस से एक और ब्राह्मण चेहरा, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा जोशी को शामिल कर इसी तरह की कोशिश की थी.

लेकिन रीता बहुगुणा जोशी का राज्य में कोई बड़ा जनाधार न होने के कारण यह प्रयास नाकाम रहा. जितिन प्रसाद भी कुछ इसी तरह की स्थ‍िति‍ से पीड़ित हैं. इसकी तुलना में तराई क्षेत्र में अजय मिश्रा का काफी दबदबा है और उनकी छवि एक बाहुबली की है.

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