नई दिल्ली:
कोलेजियम बैठक में गुरुवार को भाग नहीं लेने वाले उच्चतम न्यायालय के पांच सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों में शामिल जस्टिस जे चेलमेश्वर ने एनडीटीवी से कहा कि उनका प्रयास पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है.
न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने एनडीटीवी से कहा, "मैंने कोलेजियम बैठक में शामिल नहीं हुआ क्योंकि मेरा मानना है कि प्रणाली में पारदर्शिता होनी चाहिए और मेरा प्रयास इस प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है." उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि शीर्ष पैनल अपने निर्णयों से जुड़ी बैठक को रिकॉर्ड करे.उन्होंने कहा, "कोलेजियम जजों को चुनने या उन्हें खारिज करने से संबंधित निर्णयों को रिकॉर्ड कराए और उसका समुचित कारण दे. अगर प्रधान न्यायधीश इस मुद्दे पर कोई आश्वासन देते हैं तो वे बैठक में जरूर शामिल होंगे."
पढ़ें - जस्टिस चेमलेश्वर विवाद पर सीजेआई ने क्या कहा
इससे पहले के घटनाक्रम में प्रधान न्यायाधीश ने सरकार के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद के बीच कोलेजियम बैठक बुलाई थी. जस्टिस जे. चेलमेश्वर उस बैठक में शामिल नहीं हुए थे. इतना ही नहीं, जस्टिस चेलमेश्वर ने इस संबंध में प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर को पत्र भी लिखा था.
सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस चेलमेश्वर के रुख के चलते अन्य जजों ने बैठक को टाल दिया क्योंकि उनका मानना है कि इससे भारत के उच्चतम न्यायालय की प्रतिष्ठा का अवमूल्यन होता है. उधर, भारत के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने इस मुद्दे पर कल अपनी संक्षिप्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "हम इस मुद्दे को सुलझा लेंगे."
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के नेशनल ज्यूडिशियल अपाइंटमेंट कमीशन (एनजेएसी) को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. पांच सदस्यीय बेंच में जस्टिस चेलमेश्वर ने सबसे अलग फैसला सुनाया था और कोलेजियम पर सवाल उठाए थे. संसद में पारित कानून का समर्थन करते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने जजों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि इसमें "कोई जवाबदेही नहीं है".
न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने एनडीटीवी से कहा, "मैंने कोलेजियम बैठक में शामिल नहीं हुआ क्योंकि मेरा मानना है कि प्रणाली में पारदर्शिता होनी चाहिए और मेरा प्रयास इस प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है." उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि शीर्ष पैनल अपने निर्णयों से जुड़ी बैठक को रिकॉर्ड करे.उन्होंने कहा, "कोलेजियम जजों को चुनने या उन्हें खारिज करने से संबंधित निर्णयों को रिकॉर्ड कराए और उसका समुचित कारण दे. अगर प्रधान न्यायधीश इस मुद्दे पर कोई आश्वासन देते हैं तो वे बैठक में जरूर शामिल होंगे."
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इससे पहले के घटनाक्रम में प्रधान न्यायाधीश ने सरकार के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद के बीच कोलेजियम बैठक बुलाई थी. जस्टिस जे. चेलमेश्वर उस बैठक में शामिल नहीं हुए थे. इतना ही नहीं, जस्टिस चेलमेश्वर ने इस संबंध में प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर को पत्र भी लिखा था.
सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस चेलमेश्वर के रुख के चलते अन्य जजों ने बैठक को टाल दिया क्योंकि उनका मानना है कि इससे भारत के उच्चतम न्यायालय की प्रतिष्ठा का अवमूल्यन होता है. उधर, भारत के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने इस मुद्दे पर कल अपनी संक्षिप्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "हम इस मुद्दे को सुलझा लेंगे."
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के नेशनल ज्यूडिशियल अपाइंटमेंट कमीशन (एनजेएसी) को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. पांच सदस्यीय बेंच में जस्टिस चेलमेश्वर ने सबसे अलग फैसला सुनाया था और कोलेजियम पर सवाल उठाए थे. संसद में पारित कानून का समर्थन करते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने जजों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि इसमें "कोई जवाबदेही नहीं है".
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