जब 53 विधायकों का है समर्थन, तो फिर NCP के बड़े नेता अजित पवार से क्यों कर रहे हैं मिन्नतें?

महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भले ही मंगलवार की सुबह 10:30 बजे आएगा, इसी बीच NCP के नेता अजित पवार को मनाने में हर कोशिश कर रहे हैं.

जब 53 विधायकों का है समर्थन, तो फिर NCP के बड़े नेता अजित पवार से क्यों कर रहे हैं मिन्नतें?

महाराष्ट्र में NCP की ओर से अजित पवार को मनाने की कोशिश जारी है

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल
  • अजित पवार को मनाने की कोशिश
  • तीन बड़े नेता घर पहुंचे
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भले ही मंगलवार की सुबह 10:30 बजे आएगा. इसी बीच NCP के नेता अजित पवार को मनाने में हर कोशिश कर रहे हैं. सुबह पार्टी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल अजित पवार को मनाने आए थे और अब विधायक दल के नए नेता जयंत पाटिल और छगन भुजबल और दिलीप वालसे इस समय अजित पवार से मिलने गए हैं. इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि अजित पवार को वापस लाने के लिए एनसीपी-शिवसेना ढाई-ढाई साल सरकार चलाने के लिए तैयार हो गई है. लेकिन सवाल इस बात का है जब एनसीपी का दावा है कि उसके पास 53 विधायक को समर्थन है और उसने राजभवन में विधायकों की जो चिट्ठी सौंपी है उसमें 51 विधायकों के हस्ताक्षर हैं. बाकी दो विधायक बाद में दिल्ली से मुंबई आ गए हैं, तो फिर अजित पवार से इतनी मिन्नतें क्यों कर रही है? बताया जा रहा है कि जो नेता अजित पवार को मनाने गए हैं वो अजित पवार की बातचीत पार्टी सुप्रीमो शरद पवार से भी फोन पर कराएं. 
दरअसल इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है सुप्रीम कोर्ट सदन में बहुमत साबित करने को कहे. ऐसे जो विधायक अभी एनसीपी के साथ होने का दावा कर रहे हैं वह सदन में किसके पक्ष में वोट करेंगे इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है. शायद एनसीपी नेताओं को ऐसा लग रहा है कि कहीं ऐसा न हो अजित पवार के प्रभाव में आकर पार्टी के विधायक सरकार के पक्ष में वोट कर दें. यही कुछ हाल शिवसेना और कांग्रेस के नेताओं का भी है. इन दोनों पार्टियों के विधायकों को भी होटलों में रखा गया है. वहीं एनसीपी के विधायकों को तीन अलग-अलग होटलों में ठहराया गया है.

आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं. बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर बहुमत का 145 का आंकड़ा पार कर लिया था. लेकिन शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की मांग रख दी जिसके मुताबिक ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का मॉडल था. शिवसेना का कहना है कि बीजेपी के साथ समझौता इसी फॉर्मूले पर हुआ था लेकिन बीजेपी का दावा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ. इसी लेकर मतभेद इतना बढ़ा कि दोनों पार्टियों की 30 साल पुरानी दोस्ती टूट गई. इसके बाद कई दौर की बैठकों के बाद Congress-NCP और शिवसेना ने फैसला किया कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई में सरकार बनाई जाए और शनिवार को तीनों दल राजभवन जाकर दावा पेश करने वाले थे. लेकिन बीजेपी ने रात में ही अजित पवार से मिलकर बाजी पलट दी और सुबह 8 बजे ही सीएम देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली उनके साथ अजित पवार डिप्टी सीएम बन गए. 

अजित पवार ने दावा किया उनके पास एनसीपी के सभी विधायकों का समर्थन है. लेकिन बाद में शरद पवार इन बातों को नकार दिया. अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और कल आने वाले फैसले का इंतजार है. 

जयंत पाटिल और छगन भुजबल कर रहे हैं अजित पवार से मुलाकात​

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