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This Article is From Sep 23, 2013

विश्व की टॉप 200 यूनिवर्सिटी में आईआईटी क्यों नहीं?

विश्व की टॉप 200 यूनिवर्सिटी में आईआईटी क्यों नहीं?
कानपुर: आईआईटी कानपुर ने विदेशों में योग्य शिक्षकों की खोज, संस्थान के पूर्व छात्रों से कोष जुटाने और अनुसंधान को महत्व देने के लिए अमेरिका के न्यूयार्क में अपना कार्यालय खोला है। संस्थान के एक पूर्व छात्र संजय खोसला ने इसके लिए 62 विलियम स्ट्रीट में पांच साल के पट्टे पर जगह दी है और आईआईटी कानपुर ने खोसला को ही ओवरसीज ब्रांड एंबैसडर बनाया है।

आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर इंद्रनील मन्ना ने सोमवार को बताया कि न्यूयार्क में कार्यालय खोलने का मकसद विदेशी संकाय को आईआईटी कानपुर से जोड़ना है और इसमें सफलता भी मिलती नजर आ रही है। अनेक विदेशी संस्थानों में पढ़ा रहे शिक्षक आईआईटी कानपुर से जुड़ना चाहते हैं और अब तक करीब एक दर्जन से अधिक शिक्षक इससे जुड़ने की इच्छा जता चुके हैं।

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही आईआईटी के अनेक पूर्व छात्र जो अब अमेरिका के विभिन्न शहरों में उच्च पदों पर आसीन हैं, वे गुरु दक्षिणा के रूप में आईआईटी कानपुर की मदद करने के लिए कोष भी जुटा रहे हैं।

इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय स्तर के तकनीकी शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों से अनुसंधान एवं अन्य विषयों पर वार्ता भी हो रही है। इन संस्थानों के छात्रों और शिक्षकों को आईआईटी बुलाने और यहां के छात्रों एवं शिक्षकों को वहां भेजने की प्रक्रिया पर भी काम किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि आईआईटी के ओवरसीज ब्रांड एंबैसडर संजीव खोसला कई संस्थाओं और शिक्षण संस्थानों से जुड़े रहे हैं। उनका कार्यकाल 1 सितंबर 2013 से शुरू हुआ है जो तीन साल के लिए है। वह आईआईटी कानपुर और विदेशों के पूर्व छात्रों और विदेशी संस्थानों के बीच एक कड़ी का काम करेंगे।

इससे पहले, कल आईआईटी निदेशक इंद्रनील मन्ना ने आरोप लगाया था कि दुनिया भर के शैक्षिक संस्थानों को रैकिंग देने वाली संस्थाओं को मोटी रकम देनी पड़ती है जो आईआईटी जैसे संस्थान नहीं दे सकते और इस कारण उनकी रैकिंग विश्व स्तर पर कभी अच्छी नहीं आ सकती।

उन्होंने दावा किया कि आईआईटी कानपुर को विश्व स्तर पर 295वीं रैकिंग देने वाली विदेशी संस्था ने आईआईटी की वेबसाइट के पुराने डाटा का इस्तेमाल किया और उनका कोई प्रतिनिधि आईआईटी कानपुर आया और न ही उसने यहां का काम और शिक्षा का स्तर देखा।

मन्ना के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों को विश्व स्तर की रैकिंग दिलाने में बहुत बड़ा गोरख धंधा चल रहा है और इसमें विदेश की दो तीन संस्थायें शामिल है जो बिना किसी संस्थान के शिक्षा स्तर की जांच किए किसी भी संस्थान को कोई भी भी रैकिंग प्रदान कर सकती है।

मन्ना ने बताया कि विश्व स्तर पर रैकिंग के इस गोरखधंधे की जांच के लिए आईआईटी काउंसिल ने देश के आईआईटी के पांच निदेशकों की समिति का गठन किया है जो इस मामले की जांच करेंगी और अपनी रिपोर्ट आईआईटी काउंसिल को सौपेंगी। इस में मन्ना को भी शामिल किया गया है।

एक सवाल के जवाब में मन्ना ने कहा कि आईआईटी कानपुर में शिक्षकों की कमी को जल्द से जल्द पूरा करने के प्रयास किए जा रहे है।

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