Bihar Assembly Elections : बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी (Ashok Chaudhary) को बिहार जनता दल यूनाइटेड (JDU) का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. हालांकि इसकी विधिवत घोषणा राज्य इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने दिल्ली से एक ई-मेल के ज़रिये की है, लेकिन ये फ़ैसला ख़ुद राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का है. हर बार की तरह इस बार भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि चुनाव के ऐन मौक़े पर नीतीश ने महादलित समुदाय से आने वाले अशोक चौधरी को क्यों चुना.
सबसे पहली बात, हाल के दिनों में ख़ासकर कोरोना के बाद लॉकडाउन के समय जिन गिने चुने लोगों से नीतीश कुमार हर दिन मुलाक़ात और वार्तालाप करते थे, उनमें अशोक चौधरी भी एक थे. जिसके कारण नीतीश कुमार को उनको समझने का मौक़ा मिला. दूसरा पार्टी से सम्बंधित किसी भी ज़िम्मेवारी को लेकर अशोक चौधरी और एक और मंत्री संजय झा ने उन्हें निराश नहीं किया. फिर चाहे वो वर्चुअल रैली जिसके माध्यम से नीतीश अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते थे या पार्टी दफ़्तर के रखरखाव के सम्बंधित ही क्यों न हों.
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लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अशोक महादलित समुदाय से आते हैं और नीतीश चिराग़ पासवान के जाने का इंतज़ार कर रहे हैं कि जिससे वो एक बार फिर दलितों में पासवान लोगों के वर्चस्व के ख़िलाफ़ जो वोट बैंक उन्होंने बनाया था उसे फिर से आक्रामक कर सकें. और अब चिराग़ अगर उनके ऊपर हमला करेंगे तो अशोक उन्हें पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष होने के नाते जवाब दे सकते हैं.
बिहार कांग्रेस के चार साल से अधिक समय तक अध्यक्ष रहे अशोक चौधरी को पार्टी चलाने का और चुनाव के समय क्या, कैसे करना है उसका अच्छा ख़ासा अनुभव है और वो गठबंधन की बारीकियों को भी समझते हैं.
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कांग्रेस पार्टी में अशोक चौधरी को नीतीश कुमार के साथ नज़दीकी संबंधो के कारण कुर्सी गंवानी पड़ी थी. बाद में उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था लेकिन अपने साथ अन्य विधान पार्षदों को भी बग़ावत कराके उन्होंने जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए थे.
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