समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) 19वीं लोकसभा में अभी तक महज तीन दिन ही संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाए हैं. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की संसद में अनुपस्थिति को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव समेत कुल पांच सांसद ही समाजवादी पार्टी की तरफ से जीतर संसद पहुंच पाएं हैं. अखिलेश यादव की संसद में लगातार अनुपस्थिति को लेकर जब उनके चाचा और राज्यसभा सदस्य राम गोपाल यादव से पूछा गया तो उन्होंने इसके लिए निजी कारणों को हवाला दिया. उन्होंने कहा कि वह इन दिनों निजी कारणों से व्यस्त हैं. उन्होंने कहा कि वह आए थे. अभी वह कुछ दिनों के लिए किसी काम से गए हैं. अब वह पांच जुलाई से संसद आएंगे.
गौरतलब है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में तमाम कोशिशों के बाद भी समाजवादी पार्टी महज पांच सीटें ही जीत पाए थे. लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा ने गठबंधन किया था. उस समय दोनों ही पार्टी इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में रोकने और उनका सूपड़ा साफ करने का दावा कर रहे थे. बाद में सपा-बसपा का गठबंधन (SP-BSP Alliance) सफल नहीं होने के बाद मायावती (Mayawati) ने हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh yadav)से दूरी बना ली थी. इसके बाद उन्होंने गठबंधन भी तोड़ने का ऐलान कर दिया था. अब मायावती (Mayawati) ने एक बार फिर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर जमकर हमला बोला था. बसपा की राष्ट्रीय स्तर की मीटिंग में मायावती ने कहा था कि गठबंधन के चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने मुझे फोन नहीं किया. सतीश मिश्रा ने उनसे कहा था कि वे मुझे फोन कर लें, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया. मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और काउंटिग के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनके परिवार के हारने पर अफसोस जताया.
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मायावती ने कहा था कि तीन जून को जब मैंने दिल्ली की मीटिंग में गठबंधन तोड़ने की बात कही तब अखिलेश ने सतीष चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन तब भी मुझसे बात नहीं की. मायावती ने कहा कि अखिलेश ने मिश्रा से मुझे मैसेज भिजवाया कि मैं मुसलमानों को टिकट न दूं, क्योंकि उससे और ध्रुवीकरण होगा, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी. मायावती (Mayawati) ने आरोप लगाया था कि मुझे ताज कॉरिडोर केस में फंसाने में बीजेपी के साथ मुलायम सिंह यादव का भी अहम रोल था. उन्होंने कहा कि अखिलेश की सरकार में गैर यादव और पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए उन्होंने वोट नहीं किया. इसके अलावा सपा ने प्रमोशन में आरक्षण का विरोध किया था इसलिए दलितों, पिछड़ों ने उसे वोट नहीं दिया.
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उन्होंने कहा था कि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को सलीमपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के विधायक दल के नेता राम गोविंद चौधरी ने हराया. उन्होंने सपा का वोट बीजेपी को ट्रांसफर करवाया, लेकिन अखिलेश ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. बता दें कि बसपा से अलग होने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि 'यह एक प्रयोग था जो फेल हुआ और इसने हमारी कमजोरियों को उजागर किया.' उन्होंने कहा था कि भविष्य के लिए वह अपनी पार्टी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे. अखिलेश ने कहा था, 'मैं विज्ञान का छात्र रहा हूं, वहां प्रयोग होते हैं और कई बार प्रयोग फेल हो जाते हैं लेकिन आप तब यह महसूस करते हैं कि कमी कहां थी. लेकिन मैं आज भी कहूंगा, जो मैंने गठबंधन करते समय भी कहा था, मायावती जी का सम्मान मेरा सम्मान है.' बता दें कि लोकसभा चुनाव बसपा को 10 और सपा को 5 सीटें मिली थी.
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