नई दिल्ली:
रूस से लाया गया बिल्कुल नया मिग-29के लड़ाकू विमान गोवा बंदरगाह पर 9 दिनों से खड़ा है। सूत्रों ने बताया कि यह विमान तब तक कहीं नहीं जा सकता जब तक रक्षा मंत्रालय 160 करोड़ रुपये से ज्यादा की कस्टम ड्यूटी चुका नहीं देता।
देशभर में हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर इन दिनों करोड़ों रुपये के मरम्मत किए गए विमान इंजनों और सैन्य साजोसामान की संख्या बढ़ती जा रही है।
इसी वर्ष सरकार ने कहा था कि सेना को भी अब आयातित सामानों पर कस्टम ड्यूटी चुकानी पड़ेगी। इसके पीछे विचार यही था कि भारतीय रक्षा निर्माताओं के लिए एक समान स्तर उपलब्ध कराया जाए।
लेकिन सेना के साजोसामान के आयात पर मिलने वाली छूट को हटा लेने के वित्त मंत्रालय के फैसले के बाद अब सभी सैन्य साजोसामान का आयात टैक्स के दायरे में आ गया है।
शीर्ष सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि 2 मई को रूस से आए मिग-29के के अलावा मिराज 2000 विमानों के कलपुर्जे और रूस में निर्मित ट्रांसपोर्टर विमान आईएल-76 के मरम्मत किए हुए इंजन विभिन्न हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर पड़े हैं।
एनडीटीवी को एक चिट्ठी मिली है जिसमें भारतीय वायुसेना ने उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग से 27 अप्रैल को आग्रह किया है कि रूस में बने Mi-26 विमानों के गीयर बॉक्स जोकि मरम्मत के बाद भारत लाए गए हैं, उनपर शुल्क हटा लिया जाए। पत्र के अनुसार, 'ये उपकरण भारत सरकार की प्रमाणिक संपत्ति हैं और इन्हें सीमा शुल्क में छूट मिलनी चाहिए।'
इन दिनों सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों ही एक अजीब समस्या से जूझ रहे हैं, यद्यपि सीमा शुल्क सरकारी खजाने में ही जाएगा लेकिन रक्षा मंत्रालय के बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है।
सीमा शुल्क के अलावा, एक मोटे अनुमान के अनुसार, हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर पड़े इन कीमती उपकरणों को रखने के लिए रक्षा मंत्रालय को प्रति दिन करीब 35 लाख रुपये चुकाने होंगे।
हालांकि रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसे सीमा शुल्क की रकम चुकाने के लिए जल्द ही बजट उपलब्ध करा दिया जाएगा और सभी अटके पड़े साजोसामान अगले दो-तीन दिनों में क्लियर करा लिए जाएंगे।
देशभर में हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर इन दिनों करोड़ों रुपये के मरम्मत किए गए विमान इंजनों और सैन्य साजोसामान की संख्या बढ़ती जा रही है।
इसी वर्ष सरकार ने कहा था कि सेना को भी अब आयातित सामानों पर कस्टम ड्यूटी चुकानी पड़ेगी। इसके पीछे विचार यही था कि भारतीय रक्षा निर्माताओं के लिए एक समान स्तर उपलब्ध कराया जाए।
लेकिन सेना के साजोसामान के आयात पर मिलने वाली छूट को हटा लेने के वित्त मंत्रालय के फैसले के बाद अब सभी सैन्य साजोसामान का आयात टैक्स के दायरे में आ गया है।
शीर्ष सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि 2 मई को रूस से आए मिग-29के के अलावा मिराज 2000 विमानों के कलपुर्जे और रूस में निर्मित ट्रांसपोर्टर विमान आईएल-76 के मरम्मत किए हुए इंजन विभिन्न हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर पड़े हैं।
एनडीटीवी को एक चिट्ठी मिली है जिसमें भारतीय वायुसेना ने उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग से 27 अप्रैल को आग्रह किया है कि रूस में बने Mi-26 विमानों के गीयर बॉक्स जोकि मरम्मत के बाद भारत लाए गए हैं, उनपर शुल्क हटा लिया जाए। पत्र के अनुसार, 'ये उपकरण भारत सरकार की प्रमाणिक संपत्ति हैं और इन्हें सीमा शुल्क में छूट मिलनी चाहिए।'
इन दिनों सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों ही एक अजीब समस्या से जूझ रहे हैं, यद्यपि सीमा शुल्क सरकारी खजाने में ही जाएगा लेकिन रक्षा मंत्रालय के बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है।
सीमा शुल्क के अलावा, एक मोटे अनुमान के अनुसार, हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर पड़े इन कीमती उपकरणों को रखने के लिए रक्षा मंत्रालय को प्रति दिन करीब 35 लाख रुपये चुकाने होंगे।
हालांकि रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसे सीमा शुल्क की रकम चुकाने के लिए जल्द ही बजट उपलब्ध करा दिया जाएगा और सभी अटके पड़े साजोसामान अगले दो-तीन दिनों में क्लियर करा लिए जाएंगे।
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