आखिर क्या है SC/ST Act, जिसके खिलाफ में देश के सवर्ण 'भारत बंद' के नाम पर हुए हैं लामबंद

Bharat Bandh Protest over SC/ST Act Amendment: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट में संशोधन कर उसे मूल स्वरूप में बहाल करने के विरोध में सवर्ण समुदाय के लोगों ने 6 सितंबर को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है.

आखिर क्या है SC/ST Act, जिसके खिलाफ में देश के सवर्ण 'भारत बंद' के नाम पर हुए हैं लामबंद

What is SC/ST act : क्या है एससी-एसटी एक्ट

नई दिल्ली:

Bharat Bandh Protest over SC/ST Act Amendment: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट में संशोधन कर उसे मूल स्वरूप में बहाल करने के विरोध में सवर्ण समुदाय के लोगों ने 6 सितंबर को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है. देश के कई इलाकों में बंद को सफल कराने के लिए प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे हैं. मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भारत बंद कराने के लिए सवर्ण समुदाय के लोग सड़क पर हैं. कहीं दुकानें बंद कराई जा रही हैं, तो कहीं टायर जलाकर आगजनी की जा रही है. बिहार के मोकामा जिले में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर टायर जलाकर प्रदर्शन किया. पिछली बार भारत बंद एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को बुलाया था. 

SC/ST Act के खिलाफ भारत बंद करवाने सड़क पर उतरे सवर्ण , मध्य प्रदेश, यूपी और बिहार में कई जगह प्रदर्शन

एसएसी-एसटी एक्ट के विरुद्ध में सवर्णों के भारत बंद को लेकर मध्य प्रदेश के करीब 35 जिलों को अलर्ट पर रखा गया है. मध्य प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूरे इंतजाम किये गये हैं. साथ ही भारत बंद को देखते हुए मध्य प्रदेश के करीब 10 जिलों में एहतियात के तौर पर धारा 144 लगा दी गई है. धारा 144 भारत बंद के अगले दिन यानी 7 सितंबर तक प्रभावी रहेगी. इसके अलावा, आज सुबह दस बजे से लेकर शाम 4 बजे तक पेट्रोल पंप बंद रहेंगे. यानी आज पूरे देश भर में सवर्ण एसएसी-एसटी के खिलाफ में प्रदर्शन कर रहे हैं. 

मगर यहां समझने की जरूरत है कि आखिर यह एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Act) क्या है और क्यों इसके खिलाफ में भारत के सवर्ण लामबंद होकर भारत बंद कराने की पूरजोर कोशिश कर रहे हैं. दरअसल, सवर्ण समुदाय के लोग एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ में हैं. उनका मानना है कि इस कानून की वजह से उन्हें प्रताड़ित होना पड़ता है और इस कानून का गलत इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, सवर्ण संगठनों और जातियों की मांग है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश के मुताबिक, ही कानून रहने दे. यानी केंद्र एसएसी-एसटी एक्ट के पुराने स्वरूप को बहाल न करे.

SC/ST एक्ट के विरोध में सवर्णों का आज भारत बंद, बिहार में कई जगह ट्रेन रोकी गई, ग्वालियर में ड्रोन का इस्तेमाल

क्या है SC-ST Act?
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था. जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया. इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हरसंभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए. इन पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके. हाल ही में एससी-एसटी एक्ट को लेकर उबाल उस वक्त सामने आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रावधान में बदलाव कर इसमें कथित तौर पर थोड़ा कमजोर बनाना चाहा. 

सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में किया था यह बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के बदलाव करते हुए कहा था कि मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा. शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा शुरुआती जांच की जाएगी और जांच किसी भी सूरत में 7 दिन से ज्यादा समय तक नहीं होगी. डीएसपी शुरुआती जांच कर नतीजा निकालेंगे कि शिकायत के मुताबिक क्या कोई मामला बनता है या फिर किसी तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल की बात को मानते हुए कहा था कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.

SC/ST एक्ट के खिलाफ भारत बंद के कारण मध्यप्रदेश में आज बंद रहेंगे पेट्रोल पंप

संशोधन के बाद अब ऐसा होगा SC/ST एक्ट
एससी\एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A जोड़ी जाएगी. इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा. इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए प्रावधान रद्द हो जाएंगे. मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है. इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी. आरोपी को हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी. मामले में जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे. जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा. एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी. सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी.

VIDEO: एससी-एसटी एक्ट के विरोध में बुलाया भारत बंद, कई जगह लगी धारा 144


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com