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This Article is From Oct 16, 2015

मेक इन इंडिया : मुमकिन है, बोईंग भारत में ही बनाए लड़ाकू विमान और चॉपर

मेक इन इंडिया : मुमकिन है, बोईंग भारत में ही बनाए लड़ाकू विमान और चॉपर
नई दिल्ली: फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे में बदलाव के बाद अब अचानक भारत की ओर से नए लड़ाकू विमान की खोज में एक नया मोड़ आ गया, जब दुनिया की सबसे बड़ी विमान निर्माता कंपनी बोईंग (Boeing) ने कहा कि वह अत्याधुनिक लड़ाकू विमान का भारत में निर्माण (मेक इन इंडिया) कर सकती है।

बोईंग ने एफ-18 हॉरनेट जैसे लड़ाकू विमान बनाए हैं, जो दरअसल राफेल का सौदा पक्का होने से पहले भारत द्वारा पसंद किए जाने वाले विमानों की दौड़ में शामिल थे। भारत ने इस सौदे के तहत राफेल से 126 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया था, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के गद्दी संभालने के बाद मूल सौदे को रद्द कर उसे सिर्फ 36 विमानों की खरीद तक यह कहकर सीमित कर दिया गया कि विमानों की कीमत बहुत ज़्यादा है। सो, अब भारतीय वायुसेना को बहुत-से ऐसे विमानों की ज़रूरत है, जिनमें इंटरसेप्शन, ज़मीनी हमले तथा हवाई सुरक्षा से जुड़ी तकनीक मौजूद हों।

"भारत को तकनीक भी मिल जाएगी..."
NDTV को दिए एक खास साक्षात्कार में बोईंग के चेयरमैन जेम्स मैकनर्नी (James McNerney) ने कहा है कि उनकी कंपनी भारत में लड़ाकू विमान का निर्माण करने के लिए तैयार है, और उससे "भारत को भी वह तकनीक मिल जाएगी, जिसका निर्माण के क्षेत्र में कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकेगा..."

मैकनर्नी का कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा नए लड़ाकू विमान सौदे के लिए दो साल के भीतर नई निविदाएं मंगाए जाने की उम्मीद है। मैकनर्नी ने कहा, "भारत के लिए 'मेक इन इंडिया' बेहद महत्वपूर्ण पहल है..."

"मेक इन इंडिया को लेकर पीएम मोदी की सोच कहीं आगे की..."
बोईंग के चेयरमैन के मुताबिक, "मेरे विचार में 'मेक इन इंडिया' का अर्थ सिर्फ इतना ही नहीं हो सकता कि कोई आपको ब्लूप्रिंट दे दे, और आप उसे बना लें... ऐसा नहीं चल सकता... मेरा खयाल है कि प्रधानमंत्री की सोच इससे कहीं आगे की है..."

मैकनर्नी ने यह भी कहा कि उनकी कंपनी अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर या चिनूक चॉपर को भारत में ही असेम्बल करने पर विचार कर रही है।

पिछले ही माह बोईंग को भारत की ओर से 37 सैन्य हेलीकॉप्टरों - 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलीकॉप्टर - की आपूर्ति का तीन अरब अमेरिकी डॉलर का ऑर्डर मिला है। वैसे, इस वक्त बोईंग के 787 ड्रीमलाइनर के बीम, जिन्हें विमान की रीढ़ कहा जा सकता है, नागपुर के एक प्लांट में बनाए जा रहे हैं।

"अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में भी साझीदारी के इच्छुक..."
मैकनर्नी ने यह भी कहा कि वह भारत के साथ अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में भी साझीदारी करना चाहते हैं। उनका मानना है कि बहुत-से क्षेत्रों में भारत से साझीदारी के विकल्प उस समय काफी बढ़ गए थे, जब भारत और अमेरिका के बीच नागरिक परमाणु समझौता हुआ था।

बोईंग प्रमुख के अनुसार, दुनियाभर के सीईओ इस बात से खुश हैं कि भारत उनसे बात कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वह खुद भी भारत को लेकर काफी आशावादी हैं, हालांकि भारत में कुछ चीज़ों का बदलना ज़रूरी है, खासतौर पर कर प्रणाली और विवाद निस्तारण की प्रक्रिया में लगने वाला लम्बा समय।

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