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This Article is From Jul 03, 2018

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्या ग्रासरूट स्तर पर लोकतंत्र काम नहीं कर रहा

बड़ी संख्या में निर्विरोध निर्वाचन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को फटकार लगाई, कल तक विस्तृत ब्यौरा मांगा

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्या ग्रासरूट स्तर पर लोकतंत्र काम नहीं कर रहा
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में बड़ी संख्या में निर्विरोध निर्वाचन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को फटकार लगाई है. कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कल तक जिन सीटों पर निर्विरोध प्रत्याशी जीते, उनका ब्योरा मांगा है.

कोर्ट ने कहा राज्य चुनाव आयोग तो राज्य में चुनाव व्यवस्था का गार्जियन है. कोर्ट की ओर से पारित आदेश से भी लगता है कि सभी चिंतित थे, इतने बड़े पैमाने पर निर्विरोध चुनाव से. पंचायतों की कितनी सीटों पर सिर्फ एक ही उम्मीदवार ने पर्चा भरा? कोर्ट ने पूरा ब्यौरा तलब किया है.

कोर्ट ने कहा कि जब राज्य चुनाव आयोग के सचिव नीलांजन शांडिल्य के पास ब्यौरा नहीं है तो क्यों आए यहां? क्यों जनता का पैसा बर्बाद किया. सचिव ने कागज़ देखकर बताया 34.2℅ सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ.
कोर्ट ने आदेश में कहा ग्राम पंचायत, जिला पंचायत और परिषद की 20159 सीटें निर्विरोध रहीं. चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता ज़रूरी है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ सीटों पर किसी दूसरे प्रत्याशी का खड़ा नहीं होना या बिना चुनाव लड़े जीतना समझ में आता है लेकिन यहां एक बड़ी तादाद में सीटों को निर्विरोध जीता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में लग रहा है कि ग्रासरूट स्तर पर लोकतंत्र काम नहीं कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बेहद चौंकने वाला है कि हज़ारों की तादाद में सीटों पर निर्विरोध चुनाव जीता जा रहा है.
कोर्ट ने कहा बिरहम, बांकुरा, मुर्शिदाबाद और पूर्व बर्धमान में सबसे ज्यादा सीटों पर प्रत्याशी निर्विरोध जीत रहे हैं.

बीजेपी, कांग्रेस और CPI ने कहा बंगाल में स्थानीय निकायों के चुनाव में बड़े पैमाने पर मनमानी हुई. नामांकन की तारीख में गड़बड़ की गई. इससे 34 फीसदी सीटों पर निर्विरोध चुनाव हो गया. हजारों मतदाताओं को वोट देने के हक से वंचित किया गया. मामले की सुनवाई बुधवार को जारी रहेगी.

10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के ईमेल से नामांकन दर्ज कराने के आदेश पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मतदान 14 मई को ही होगा. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह कोर्ट के आदेश के बिना 34 फीसदी उन उम्मीदवारों के नतीजे घोषित नहीं करेगा जिनके सामने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश बुरा है. हाईकोर्ट कैसे जनप्रतिनिधि एक्ट में IT एक्ट जोड़ सकता है. लेकिन फेयर चुनाव भी हमारी चिंता है. 34 फीसदी उम्मीदवारों का कोई विरोध नहीं और वे चुने गए, ये परेशानी वाली बात है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सीपीआईएम, बीजेपी और कांग्रेस को नोटिस जारी किया था. इससे पहले राज्य चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. दरअसल कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों के लिए उन लोगों के नामांकन स्वीकार करने का आदेश दिया था जिन्होंने आयोग को ई-मेल के जरिए अपने दस्तावेज भेजे और जो जांच में वैध पाए गए.

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