स्काईमेट ने इस साल मॉनसून की बारिश अच्छी होने का अनुमान जताया

उत्तर भारत के मैदानी भागों, पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों और आंतरिक कर्नाटक में मॉनसून के कमज़ोर प्रदर्शन की आशंका

स्काईमेट ने इस साल मॉनसून की बारिश अच्छी होने का अनुमान जताया

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

देश में कोरोना के तेज़ी से बढ़ते आकड़ों और व्यापारियों और सर्विस सेक्टर पर इसके बढ़ते असर के बीच वेदर फोरकास्टिंग एजेंसी स्काईमेट वेदर (Skymet Weather) ने ऐलान किया कि इस साल के दक्षिण पश्चिम मानसून (Monsoon) सीजन के दौरान देश में ओवरआल बारिश अच्छी और नार्मल रहेगी. आर्थिक संकट के इस दौर में करोड़ों किसानों के लिए यह राहत की खबर है. हालांकि स्काईमेट ने आशंका जताई है कि उत्तर भारत के मैदानी भागों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में मॉनसून सीजन में बारिश कम होने की आशंका है.

इस साल भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन के दौरान देश में बारिश सामान्य से कुछ बेहतर होने का पूर्वानुमान है. प्राइवेट वेदर फोरकास्टिंग एजेंसी स्काईमेट वेदर ने मंगलवार को महत्वपूर्ण पूर्वानुमान जारी किया. Skymet के मॉनसून पूर्वानुमान के अनुसार दक्षिण मानसून 2021 के चार महीनों जून, जुलाई, अगस्त और सितम्बर के दौरान बारिश पिछले दस साल के औसत की 103% होने की संभावना है. यानी जून से सितम्बर 2021 के बीच बारिश नार्मल और अच्छी होने का पूर्वानुमान है.

हालांकि मॉनसून के क्षेत्रीय प्रदर्शन पर Skymet का अनुमान है कि उत्तर भारत के मैदानी भागों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पूरे सीजन में बारिश कम होने की आशंका है. आंतरिक कर्नाटक में भी मानसून के प्रमुख महीनों जुलाई और अगस्त में इसके कमज़ोर प्रदर्शन यानी कम बारिश की आशंका है.

दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन के दौरान देश में ओवरआल औसत से ज्यादा बारिश संकट से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है. इस बीच वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 2020-21 में GST और नॉन-जीएसटी नेट रेवेन्यू कलेक्शन 10.71 लाख करोड़ रहा है जो 2019-20 के मुकाबले 12.3% ज्यादा है. साफ़ है कि अर्थव्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया जारी है.  

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने NDTV से कहा कि "स्काईमेट ने जो पूर्वानुमान जारी किया है, यह अच्छी खबर है देश की अर्थव्यवस्था के लिए. भारत की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक मानसून पर निर्भर करती है. अगर मॉनसून अच्छा आएगा तो फसल अच्छी होगी. किसानों के हाथ में अच्छा पैसा होगा तो इससे उनका परचेसिंग पावर बढ़ेगा और इससे अर्थव्यवस्था को भी सपोर्ट मिलेगा." 

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कोरोना संकट की वजह से कमजोर पड़ी अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटी भारत सरकार के लिए भी औसत से बेहतर बारिश का पूर्वानुमान एक राहत की खबर है. लेकिन जिस तरह से देश में कोरोना वायरस के मामले अप्रत्याशित तरीके से बढ़ते जा रहे हैं और महामारी का साया अर्थव्यवस्था पर गहराता जा रहा है उससे लगता है कि सरकार को इस संकट के खिलाफ जंग कई मोर्चों पर लड़नी होगी.