नई दिल्ली:
कई विपक्षी दलों के बहिष्कार के बाद राज्य सभा में बुधवार को वीवीआईपी हेलीकाप्टर खरीद सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित किए जाने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया।
आगस्टा वेस्टलैंड से रक्षा मंत्रालय द्वारा हेलीकाप्टर खरीद पर संक्षिप्त चर्चा के बाद संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने प्रस्ताव पेश किया।
वर्ष 2010 में 3600 करोड़ रुपये में 12 एडब्ल्यू 101 हेलीकाप्टर खरीदने का करार हुआ था।
प्रस्ताव का विरोध करते हुए राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि जेपीसी एक 'व्यर्थ प्रयास' है और 'ध्यान बंटाने' की सरकारी चाल है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने कहा, "इसलिए मैं इस प्रस्ताव का विरोध करता हूं।"
जेटली ने कहा कि सत्य को सामने लाने के लिए सबसे जरूरी मामला दायर करना और हिरासत में लेकर पूछताछ करना है। उन्होंने कहा, "जेपीसी को इनमें से कोई अधिकार नहीं है।"
जेपीसी के प्रस्ताव का विरोध करने वाली पार्टियों में तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल-यूनाइटेड और तृणमूल कांग्रेस भी शामिल थी।
कमलनाथ ने कहा कि जेपीसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की निगरानी करेगी।
उन्होंने कहा, "जेपीसी सीबीआई क्या कर रही है और हो रही जांच की गति पर नजर रखेगी।"
उन्होंने भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर जेपीसी से भागने का आरोप लगाया।
कमलनाथ ने कहा, "यह कुछ और नहीं, बल्कि सीधी राजनीति है।" उन्होंने आगे कहा कि सदस्यों को मामले की तह तक जाने का मौका मिलेगा।
उन्होंने कहा कि विपक्ष ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में जेपीसी की मांग पर पूरे सत्र कामकाज नहीं होने दिया था और अब वही हेलीकाप्टर खरीद मामले में वैसे ही कदम का विरोध कर रही है।
मंत्री ने कहा कि यदि सरकार ने जेपीसी की घोषणा नहीं की तो उसे संसदीय समिति से सहमत नहीं होने का आरोपी बनाया जाएगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा ने कहा कि व्यापक राय बनने तक प्रस्ताव टाला जाना चाहिए।
उन्होंने सवाल किया कि भाजपा और कई अन्य पार्टियों ने बहिष्कार कर दिया है तो ऐसे में मतदान कराना उचित है?
उपसभापति पीजे कुरियन ने हालांकि कहा कि प्रस्ताव पेश हो चुका है और बहुमत से स्वीकृत किया जा चुका है। इसके बाद उन्होंने प्रस्ताव पारित होने की घोषणा कर दी।
आगस्टा वेस्टलैंड से रक्षा मंत्रालय द्वारा हेलीकाप्टर खरीद पर संक्षिप्त चर्चा के बाद संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने प्रस्ताव पेश किया।
वर्ष 2010 में 3600 करोड़ रुपये में 12 एडब्ल्यू 101 हेलीकाप्टर खरीदने का करार हुआ था।
प्रस्ताव का विरोध करते हुए राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि जेपीसी एक 'व्यर्थ प्रयास' है और 'ध्यान बंटाने' की सरकारी चाल है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने कहा, "इसलिए मैं इस प्रस्ताव का विरोध करता हूं।"
जेटली ने कहा कि सत्य को सामने लाने के लिए सबसे जरूरी मामला दायर करना और हिरासत में लेकर पूछताछ करना है। उन्होंने कहा, "जेपीसी को इनमें से कोई अधिकार नहीं है।"
जेपीसी के प्रस्ताव का विरोध करने वाली पार्टियों में तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल-यूनाइटेड और तृणमूल कांग्रेस भी शामिल थी।
कमलनाथ ने कहा कि जेपीसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच की निगरानी करेगी।
उन्होंने कहा, "जेपीसी सीबीआई क्या कर रही है और हो रही जांच की गति पर नजर रखेगी।"
उन्होंने भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर जेपीसी से भागने का आरोप लगाया।
कमलनाथ ने कहा, "यह कुछ और नहीं, बल्कि सीधी राजनीति है।" उन्होंने आगे कहा कि सदस्यों को मामले की तह तक जाने का मौका मिलेगा।
उन्होंने कहा कि विपक्ष ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में जेपीसी की मांग पर पूरे सत्र कामकाज नहीं होने दिया था और अब वही हेलीकाप्टर खरीद मामले में वैसे ही कदम का विरोध कर रही है।
मंत्री ने कहा कि यदि सरकार ने जेपीसी की घोषणा नहीं की तो उसे संसदीय समिति से सहमत नहीं होने का आरोपी बनाया जाएगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा ने कहा कि व्यापक राय बनने तक प्रस्ताव टाला जाना चाहिए।
उन्होंने सवाल किया कि भाजपा और कई अन्य पार्टियों ने बहिष्कार कर दिया है तो ऐसे में मतदान कराना उचित है?
उपसभापति पीजे कुरियन ने हालांकि कहा कि प्रस्ताव पेश हो चुका है और बहुमत से स्वीकृत किया जा चुका है। इसके बाद उन्होंने प्रस्ताव पारित होने की घोषणा कर दी।
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