Vodafone Idea Ltd. में केंद्र सरकार के सबसे बड़े शेयरधारक बनने के प्रस्तावों पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछा है कि एक डूबती हुई प्राइवेट कंपनी में सरकार हिस्सेदारी क्यों ले रही है जबकि एयर इंडिया जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ( PSU) बेचे जा रहे हैं और उनका विनिवेश किया जा रहा है.
मल्लिकार्जुन खड़ने ने एक ट्वीट कर सवाल किया , " एमटीएनएल, और बीएसएनएल की ज़मीनें और इमारतें बेची जा रही हैं लेकिन मोदी सरकार वोडाफोन में हिस्सेदारी खरीद खरीद रही है! क्या इसका कोई अर्थ निकलता है?"
Central govt now owns 36% of Vodafone-Idea. Why are stakes being taken up in struggling private companies when PSUs like Air India are being sold and divested?
— Mallikarjun Kharge (@kharge) January 12, 2022
Real estate assets of MTNL and BSNL are being sold but the Modi govt buys stakes in Vodafone! Does it make any sense?
हाल ही में कर्ज संकट का सामना कर रही वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) ने सरकार को चुकाए जाने वाले 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है, जो कंपनी में 35.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर होगा.
वोडाफोन-आइडिया की ने शेयर बाजार को यह जानकारी दी. अगर यह योजना पूरी हो जाती है, तो सरकार कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारकों में एक बन जाएगी. कंपनी पर इस समय 1.95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है.
वीआईएल ने कहा कि सरकार को 10 रुपये प्रति शेयर की दर से शेयरों का आवंटन किया जाएगा. इस प्रस्ताव पर दूरसंचार विभाग की मंजूरी ली जानी है.
कंपनी ने बताया कि यदि यह योजना पूरी होती है तो वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी 35.8 फीसदी से आसपास हो जाएगी, जबकि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी करीब 28.5 प्रतिशत (वोडाफोन समूह) और 17.8 प्रतिशत (आदित्य बिड़ला समूह) रह जाएगी.
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