
देहरादून:
चूंकि खराब मौसम, वर्षा और काले बादल ने उत्तराखंड में चल रहे राहत कार्यों में बाधा पैदा कर दी है, मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने रविवार को स्वीकार किया कि बाढ़ में घिरे लोगों को पूरी तरह निकालने के काम में और एक पखवाड़ा लग सकता है। उन्होंने आशंका जाहिर की कि राज्य में अब तक सबसे बड़ी विपदा में मारे गए लोगों की संख्या 1000 के पार जा सकती है।
उत्तराखंड के अधिकांश हिस्से में आकाश बादलों से ढका हुआ है और मौसम विभाग ने अगले दो दिनों में भारी वर्षा की भविष्यवाणी की है। विध्वंस का शिकार बने इलाकों में फंसे लोगों के सामने डरावनी चुनौती बनी हुई हैं।
रविवार को हालांकि भारी बारिश ने भारतीय वायुसेना के विमानों को धारसू हवाईपट्टी पर उतरने में बाधा बनी, सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस जंगलों और क्षेत्र के सुदूरवर्ती इलाकों में फंसे लोगों को निकालने में कामयाब रही।
राहत एवं बचाव कार्यो की निगरानी कर रहे बहुगुणा ने कहा कि आपदा से मारे गए लोगों की संख्या 1000 के पार जा सकती है। उन्होंने कहा, "अभी तक त्रासदी के सभी पहलू उजागर नहीं हुए हैं और पूरी संख्या का पता तभी चल सकेगा जब राहत दल के लोग पिछले सप्ताह भारी वर्षा के बाद तबाही का शिकार हुए इलाकों तक पहुंचेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि राहत दल को प्रभावितों को निकालने में एक पखवाड़े का समय और लगेगा क्योंकि प्रभावित इलाकों तक जाने वाली सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। उन्होंने कहा, "यह अत्यंत दारुण है कि इस प्राकृतिक आपदा में असंख्य लोग मारे गए हैं। उत्तराखंड को फिर से खड़ा होने में लंबा समय लगेगा। अगले दो वर्षो तक केदारनाथ यात्रा नहीं हो सकेगी।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ के समीप बादल फटने के बाद अनगिनत मकान ध्वस्त हो गए, जबकि पहाड़ के मलबे ने कई इलाकों में स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों को दफन कर दिया।
पहाड़ से देहरादून पहुंच रही सूचना के आधार पर उत्तराखंड पुलिस नियंत्रण कक्ष ने भी कहा है कि मृतकों का आंकड़ा 1000 से कहीं ज्यादा हो सकता है।
उत्तराखंड की पार्टी प्रभारी कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी ने कहा कि केदारनाथ के समीप के इलाके को फिर से निर्मित करने के प्रयास किए जाएंगे।
अधिकृत आंकड़े में अभी तक मारे गए लोगों की संख्या 550 बताई गई है जबकि 20,000 से ज्यादा लोगों को निकाला जा चुका है।
राहत अभियान की अगुआई कर रहे सेना की मध्य कमान के कमांडर इन चीफ ले. जन. अनिल चैत ने आईएएनएस को बताया कि पहाड़ के अंतिम छोड़ तक में फंसे हर एक व्यक्ति को सेना बचाएगी।
इस त्रासदी को अपने जीवन की अत्यंत भीषण आपदा बताते हुए उन्होंने कहा कि करीब माउंटेन डिवीजन और मेडिकल कोर के 8500 जवान राहत एवं बचाव अभियान में तैनात हैं।
उत्तराखंड के अधिकांश हिस्से में आकाश बादलों से ढका हुआ है और मौसम विभाग ने अगले दो दिनों में भारी वर्षा की भविष्यवाणी की है। विध्वंस का शिकार बने इलाकों में फंसे लोगों के सामने डरावनी चुनौती बनी हुई हैं।
रविवार को हालांकि भारी बारिश ने भारतीय वायुसेना के विमानों को धारसू हवाईपट्टी पर उतरने में बाधा बनी, सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस जंगलों और क्षेत्र के सुदूरवर्ती इलाकों में फंसे लोगों को निकालने में कामयाब रही।
राहत एवं बचाव कार्यो की निगरानी कर रहे बहुगुणा ने कहा कि आपदा से मारे गए लोगों की संख्या 1000 के पार जा सकती है। उन्होंने कहा, "अभी तक त्रासदी के सभी पहलू उजागर नहीं हुए हैं और पूरी संख्या का पता तभी चल सकेगा जब राहत दल के लोग पिछले सप्ताह भारी वर्षा के बाद तबाही का शिकार हुए इलाकों तक पहुंचेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि राहत दल को प्रभावितों को निकालने में एक पखवाड़े का समय और लगेगा क्योंकि प्रभावित इलाकों तक जाने वाली सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। उन्होंने कहा, "यह अत्यंत दारुण है कि इस प्राकृतिक आपदा में असंख्य लोग मारे गए हैं। उत्तराखंड को फिर से खड़ा होने में लंबा समय लगेगा। अगले दो वर्षो तक केदारनाथ यात्रा नहीं हो सकेगी।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ के समीप बादल फटने के बाद अनगिनत मकान ध्वस्त हो गए, जबकि पहाड़ के मलबे ने कई इलाकों में स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों को दफन कर दिया।
पहाड़ से देहरादून पहुंच रही सूचना के आधार पर उत्तराखंड पुलिस नियंत्रण कक्ष ने भी कहा है कि मृतकों का आंकड़ा 1000 से कहीं ज्यादा हो सकता है।
उत्तराखंड की पार्टी प्रभारी कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी ने कहा कि केदारनाथ के समीप के इलाके को फिर से निर्मित करने के प्रयास किए जाएंगे।
अधिकृत आंकड़े में अभी तक मारे गए लोगों की संख्या 550 बताई गई है जबकि 20,000 से ज्यादा लोगों को निकाला जा चुका है।
राहत अभियान की अगुआई कर रहे सेना की मध्य कमान के कमांडर इन चीफ ले. जन. अनिल चैत ने आईएएनएस को बताया कि पहाड़ के अंतिम छोड़ तक में फंसे हर एक व्यक्ति को सेना बचाएगी।
इस त्रासदी को अपने जीवन की अत्यंत भीषण आपदा बताते हुए उन्होंने कहा कि करीब माउंटेन डिवीजन और मेडिकल कोर के 8500 जवान राहत एवं बचाव अभियान में तैनात हैं।
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