गृह मंत्रालय की ओर से लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के बाद उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक पुलिस मुठभेड़ हुई हैं. उत्तर प्रदेश के बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने पिछले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश में हुई मुठभेड़ों की संख्या के बारे में विवरण मांगा था. इस पर गृह मंत्रालय ने कहा कि 117 पुलिस मुठभेड़ें एक जनवरी 2017 से 31 जनवरी 2022 के बीच हुईं. इसी अवधि में 191 पुलिस मुठभेड़ों के साथ छत्तीसगढ़ इस सूची में सबसे ऊपर है.
हालांकि पीलीभीत के बीजेपी सांसद के सवालों के जवाब में गृह मंत्रालय ने मुठभेड़, हत्याओं की दर्ज की गई एफआईआर की संख्या, मुठभेड़ में हत्याओं के आरोप में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच की संख्या के संबंध में और इसी अवधि में मुठभेड़ में हत्याओं के आरोप में दोषी ठहराए गए पुलिस अधिकारियों की संख्या का कोई विवरण नहीं दिया.
गृह मंत्रालय ने अपने उत्तर में कहा कि "ऐसा कोई रिकॉर्ड केंद्रीय रूप से नहीं रखा जाता है. इसके अलावा, भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, "पुलिस" और "लोक व्यवस्था" राज्य के विषय हैं."
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने अपने लिखित उत्तर में कहा कि, "राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 12 मई 2010 को दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें पुलिस कार्रवाई के दौरान मौतों के मामलों की जांच के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित की गई थी. एनएचआरसी द्वारा बनाए गए दिशानिर्देशों के अनुसार, पुलिस को हर मौत की घटना होने पर 48 घंटे के भीतर कार्रवाई की सूचना दी जानी है. मजिस्ट्रेट जांच/पुलिस जांच में दोषी पाए गए सभी अपराधी अधिकारियों के खिलाफ त्वरित अभियोजन/अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जानी है. संबंधित अधिकारियों के अनुसार गलती करने वाले लोक सेवक के खिलाफ मौजूदा नियम, प्रक्रियाओं के तहत कार्रवाई करना है.”
एक अन्य जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि राज्य पुलिस ने अप्रैल 2018 से मार्च 2021 के बीच हिरासत में हुई मौतों के 23 मामले दर्ज किए हैं.
उत्तर प्रदेश हाल ही में पुलिस मुठभेड़ों के लिए कुख्यात रहा है. वास्तव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कहते रहे हैं कि अगर अपराध करेंगे, तो ठोक दिए जाएंगे."
दिलचस्प बात यह है कि अब बीजेपी भी यूपी में कानून व्यवस्था के अपने रिकॉर्ड को आगामी विधानसभा चुनावों में बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है.
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