अमेरिका ने नरम किया रुख, कहा - नौसैनिक ऑपरेशन 'रूटीन था', 'भारत की साझीदारी की कद्र करते हैं'

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हम समूचे भारत-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा समेत बहुत से मु्ददों पर भारत के साथ साझीदारी की कद्र करते हैं..."

अमेरिका ने नरम किया रुख, कहा - नौसैनिक ऑपरेशन 'रूटीन था', 'भारत की साझीदारी की कद्र करते हैं'

अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े में शामिल पोत USS जॉन पॉल जोन्स ने हिन्द महासागर में रूटीन फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन ऑपरेशन किया था...

भारतीय समुद्री एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (EEZ) के भीतर पिछले हफ्ते अमेरिका द्वारा नौसैनिक ऑपरेशन करने को लेकर हुए मतभेद में अमेरिका ने अपना सुर फिर नीचे किया है. भारतीय अनुमति के बिना की गई गतिविधि को लक्षद्वीप के निकट अंजाम दिया गया था, जिसे लेकर भारत ने राजनयिक माध्यमों से तुरंत विरोध दर्ज कराया था.

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "7 अप्रैल को अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े में शामिल पोत USS जॉन पॉल जोन्स ने हिन्द महासागर में रूटीन फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन ऑपरेशन किया था... यह ऑपरेशन अंतरराष्ट्रीय कानूनों तथा समुद्री स्वतंत्रता के लिए लम्बे समय से जारी अमेरिकी समर्थन को प्रदर्शित करता है..."

प्रवक्ता ने कहा, "हम समूचे भारत-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा समेत बहुत से मु्ददों पर भारत के साथ साझीदारी की कद्र करते हैं..."

विध्वंसक पोत USS जॉन पॉल जोन्स ने लक्षद्वीप के निकट फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन ऑपरेशन किया था, जो भारतीय समुद्री सुरक्षा नीति के खिलाफ था, क्योंकि नीतियों के अनुसार, इस तरह के अभ्यास के लिए भारत से पूर्वानुमति लिया जाना आवश्यक है. अमेरिकी सातवें बेड़े के पब्लिक अफेयर्स ने एक बयान में कहा था कि इस तरह के अभ्यासों के लिए भारत द्वारा अनुमति मांगे जाने के लिए कहना अंतरराष्ट्रीय कानूनों से मेल नहीं खाता.

भारत ने इसके जवाब में कहा था कि समुद्री कानूनों को लेकर संयुक्त राष्ट्र समझौते के मुताबिक कोई देश किसी भी अन्य देश की सहमति के बिना उसके EEZ में सैन्य अभ्यास नहीं कर सकता है.

रविवार को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेन्टागन के प्रेस सचिव जॉन एफ. किर्बी ने विध्वंसक पोत USS जॉन पॉल जोन्स द्वारा किए गए अभ्यास को 'मासूम आवाजाही' करार दिया था, और संकेत दिए थे कि सैन्य अभ्यास नहीं किया गया.

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समुद्री मामलों से जुड़ा हालिया मतभेद कतई असामान्य है, क्योंकि भारत तथा अमेरिका क्वाड ग्रुपिंग से सदस्य हैं, जो अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों पर फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन के प्रति कटिबद्ध हैं. क्वाड ग्रुपिंग में भारत और अमेरिका के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं.