रूस यूक्रेन मामले में भारत की भूमिका तटस्थ बनी हुई है. भारत ने एक हफ्ते में दूसरी बार संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बना ली. यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा का “आपातकालीन विशेष सत्र” बुलाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुए मतदान में भारत ने रविवार को भाग नहीं लिया. भारत ने बेलारूस बॉर्डर पर रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता के फैसले का स्वागत किया.
इससे पहले शुक्रवार को भी, भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले से जुड़े संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान खुद को दूर रखा था. भारत के अलावा, चीन और संयुक्त अरब अमीरात भी इस प्रस्ताव के लिए हुए मतदान में शामिल नहीं हुए थे.
भारत ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन संकट से निपटने के लिए कूटनीति और वार्ता के मार्ग पर लौटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. भारत ने कहा कि बातचीत ही मतभेद को दूर करने का एकमात्र रास्ता है. साथ ही कूटनीति का रास्ता छोड़े जाने पर ''अफसोस'' जताया.
भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने से दूरी बनाई हुई है और वार्ता के जरिये समस्या का समाधान खोजने पर जोर दे रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों भारत यूक्रेन को लेकर इतनी सावधानी से कदम उठा रहा है?
ये हैं वो 5 कारण :
1)- भारत के लिए यूक्रेन संकट दो खंबों के बीच बंधी रस्सी पर चलने जैसा है, जिसकी वजह से उसे (भारत को) अपने "पुराने दोस्त रूस" और "पश्चिम में नए दोस्तों" का दबाव झेलना पड़ रहा है.
2)- रूस भारत का हथियारों की सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और उसने भारत को एक बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन दी है.
3)- भारत के पास 272 सुखोई 30 फाइजर जेट हैं. ये भारत को रूस से ही मिले हैं. भारत के पास किलो क्लास पनडुब्बियां और 1,300 से ज्यादा टी-90 टैक्स हैं, जो रूस ने ही मुहैया कराए हैं.
4)- अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए अडिग रहा. एस-400 रूस की सबसे एडवान्स्ड लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल प्रणाली है. इस मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए भारत ने रूस से 2018 में 5 अरब डॉलर की डील की थी.
5)- अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि रूस यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में सभी मुद्दों पर भारत के साथ खड़ा भी रहा है.
उधर, अमेरिका ने भी रूस के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया के लिए भारत पर दबाव बढ़ा दिया है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से गुरुवार को बात की. ब्लिंकन ने रूस के "यूक्रेन पर पूर्व नियोजित और अनुचित हमले" की निंदा करने के लिए "मजबूत सामूहिक प्रतिक्रिया" के महत्व पर जोर दिया.
भारत के लिए अमेरिका रक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख भागीदार है.
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