तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के लिए शर्मिंदगी भरे क्षण 'देते हुए राज्य की एमके स्टालिन सरकार ने 'महामहिम' की ओर से बुलाए गए 'एट होम रिसेप्शन'का बायकॉट किया.तमिलनाडु को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से छूट देने से संबंधित विधानसभा से पारित विधेयक के राज्यपाल के पास लंबित रहने के विरोध में इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया गया.द्रमुक और अन्य दलों ने कहा कि उनके इस कार्यक्रम में शामिल होने से लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के निर्देश पर तमिलनाडु के उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु और स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने विधानसभा से इस मुद्दे पर पारित दूसरे विधेयक की स्थिति को लेकर पहले राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की, जिसमें तमिलनाडु को नीट के दायरे से छूट देने की मांग की गई है.दोनों मंत्रियों ने ‘ऐट होम कार्यक्रम' के बहिष्कार के निर्णय से भी राज्यपाल को अवगत कराया.
इसके बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, जो राजभवन में महाकवि सुब्रमण्या भरतियार की एक प्रतिमा के उद्घाटन में शामिल होने वाले थे, सत्तारूढ़ द्रमुक के सहयोगियों और राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को इस कार्यक्रम में भाग नहीं लिया, लेकिन विपक्षी अन्नाद्रमुक और भाजपा के लोग मौजूद रहे.थेनारासु ने कहा कि राज्यपाल को विधेयक को अपनी मंजूरी देनी थी, लेकिन उन्होंने उन्हें सूचित किया कि वह अभी इस पर विचार कर रहे हैं.‘ऐट होम' कार्यक्रम का आयोजन बृहस्पतिवार को तमिल नव वर्ष के दिन किया गया था.इसके बाद राज्यपाल ने भरतियार की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया.थेनारासु ने पत्रकारों से कहा कि राज्यपाल को विधेयक को अपनी मंजूरी देनी थी, लेकिन उन्होंने कहा कि यह अभी भी विचाराधीन है.उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा लोकतांत्रिक लोकाचार के अनुसार काम करती है.दूसरी बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया और यह अभी भी राजभवन में अटका हुआ है.इसलिए ऐसे में हमारे लिए कार्यक्रम में शामिल होना उचित नहीं होगा.''
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रम में भाग लेना ‘‘विधानसभा की गरिमा को कम करने और तमिलनाडु के लोगों की समग्र भावनाओं को आहत करने'' के समान होगा.गौरतलब है कि तमिलनाडु में नीट परीक्षा एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसमें अरियालुर की रहने वाली एस अनीता सहित कई मेडिकल उम्मीदवारों ने कथित तौर पर प्रवेश परीक्षा को ''पास'' करने में ''असमर्थ होने'' या ''कम अंकों'' की आशंका के कारण आत्महत्या कर ली .राज्य में भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियां खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के हित का हवाला देते हुए तमिलनाडु के लिए नीट में छूट का समर्थन करती हैं. (भाषा से भी इनपुट)
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