लखनऊ:
आरटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त सूचना के अनुसार प्रदेश का पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय बिना शासनादेश के ही आईपीएस अधिकारियों की तैनाती कर रहा है।
आईपीएस अधिकारियों की तैनाती आमतौर पर संवर्ग पदों पर होती है, परंतु शासन कुछ निस्संवर्ग पद घोषित कर उन पर भी तैनाती कर सकता है। सभी आईपीएस अफसरों की तैनाती के प्रस्ताव डीजीपी कार्यालय के पुलिस स्थापना बोर्ड द्वारा शासन को भेजा जाता है।
आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी कार्यालय से इन निस्संवर्ग पदों से सम्बंधित शासनादेश की जानकारी मांगी थी।
पहले तो तनूजा श्रीवास्तव, आईजी कार्मिक ने यह कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया था कि सूचना शासन ही दे सकता है, परंतु बाद में मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह के स्पष्ट निर्देश के बाद डीजीपी कार्यालय ने स्वीकार किया कि इस प्रकार का कोई शासनादेश उनके पास है ही नहीं।
सवाल यह है कि जब डीजीपी कार्यालय के पास निस्संवर्ग पदों की सूचना ही नहीं है, तो वह ऐसे तमाम पदों पर तैनाती के प्रस्ताव कैसे भेजता है।
आईपीएस अधिकारियों की तैनाती आमतौर पर संवर्ग पदों पर होती है, परंतु शासन कुछ निस्संवर्ग पद घोषित कर उन पर भी तैनाती कर सकता है। सभी आईपीएस अफसरों की तैनाती के प्रस्ताव डीजीपी कार्यालय के पुलिस स्थापना बोर्ड द्वारा शासन को भेजा जाता है।
आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी कार्यालय से इन निस्संवर्ग पदों से सम्बंधित शासनादेश की जानकारी मांगी थी।
पहले तो तनूजा श्रीवास्तव, आईजी कार्मिक ने यह कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया था कि सूचना शासन ही दे सकता है, परंतु बाद में मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह के स्पष्ट निर्देश के बाद डीजीपी कार्यालय ने स्वीकार किया कि इस प्रकार का कोई शासनादेश उनके पास है ही नहीं।
सवाल यह है कि जब डीजीपी कार्यालय के पास निस्संवर्ग पदों की सूचना ही नहीं है, तो वह ऐसे तमाम पदों पर तैनाती के प्रस्ताव कैसे भेजता है।
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