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This Article is From Jun 27, 2023

"बेहतरीन पुलिसिंग के लिए आम जनता को साथ लेकर चलना होगा..."NDTV से बोलीं IPS अनुकृति शर्मा

IPS अधिकारी अनुकृति शर्मा ने कहा कि घेरलू हिंसा सिर्फ बुलंदशहर की नहीं बल्कि हर जगह की समस्या है. और इसका नारी सशक्तिकरण से लेना देना है. हमारे यहां पर इसको नॉर्मल माना जाता है. लेकिन ये गलत है और लोगों को इसके लिए जागरूक होना होगा.

IPS अनुकृति शर्मा ने साझा किया अपना अनुभव

नई दिल्ली:

"बेहतरीन पुलिसिंग के लिए हम जनता को साथ लेकर चलना होगा..."

यूपी के एक महिला पुलिस अधिकारी का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो को खुद महिला IPS अधिकारी अनुकृति शर्मा ने ट्वीट किया था. अनुकृति शर्मा इन दिनों बुलंदशहर में कार्यरत हैं. अनुकृति शर्मा ने जो वीडियो ट्वीट किया वो एक गरीब महिला के घर में बिजली लाने का है. इस वीडियो के ट्वीट होने के बाद अनुकृति शर्मा चर्चाओं में हैं. उनके इसी वीडियो के लेकर NDTV ने भी उनसे खास बातचीत की. 

NDTV से बातचीत के दौरान IPS अधिकारी अनुकृति शर्मा ने कहा कि हम लोगों की लगातार कोशिश है कि हम जनता और पुलिस के बीच की दूरी को कम से कम किया जा सके. इसके लिए हम लगातार काम कर रहे हैं. मैं खुद कोशिश करती हूं कि हर सप्ताह कम से कम एक बार एक गांव के लोगों के बीच जाऊं ताकि वो पुलिस को लेकर अपनी धारना को बदल सकें. हमारे समाज के बहुत से ऐसे वर्ग हैं जिनमें महिलाएं हैं, बुजुर्ग हैं, बच्चे हैं, जो पहले थाना आने में डरते हैं. इनके साथ अपराध होता है तो ये कहने से डरते हैं. एक समान्य आदमी भी पुलिस के सामने अपनी बात रखने में संकोच करता है, जोकि होना चाहिए. पुलिस प्रशासन लगातार जनता की सेवा के लिए काम करते हैं तो भय नहीं होना चाहिए. 

महिला ने चौपाल में बताई थी ये समस्या

उन्होंने कहा कि मैं इसी विश्वास को जगाने के लिए गांव-गांव जाते हैं. और लोगों से कहते हैं कि आपकी शिकायत रहती है कि पुलिस आपकी सुनती नहीं है. इन्ही शिकायतों को दूर करने के लिए आज हम आपके गांव में आए हैं. इसी क्रम में हम जब खेड़ी गांव में गए तो वहां के महिला ने हमसे कहा कि उन्हें किसी तरह की कोई समस्या नहीं है लेकिन उनकी सिर्फ एक दिक्कत है कि उनके घर पर बिजली नहीं है. जब ये महिला हमारे पास आई तो हमें लगा कि हमें इनके लिए काम करना चाहिए. इसके बाद हमने प्रण लिया कि चाहे कुछ हो हम इनके घर बिजली लाकर रहेंगे. 

IPS अधिकारी अनुकृति शर्मा ने कहा कि हमनें पता किया कि उनके घर कनेक्शन क्यों नहीं है. तो पता चला कि चुकि उन्होंने कभी बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन नहीं किया था इसलिए उनके घर पर बिजली का कनेक्शन नहीं लगा है. फिर बात ये समझ में आई कि आखिर उन्होंने आवेदन क्यों नहीं किया था पता चला कि वो अशिक्षित हैं और उनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. उनकी दो बच्चियां दोनों की शादी हो चुकी है. 

"हमनें किया आवेदन, कनेक्शन के लिए भरे पैसे"

बिजली कनेक्शन के लिए 1500 रुपये की राशि जमा करानी होती है चुकि उनके पास आमदनी का कोई जरिया था नहीं तो उनका आवेदन भी हमनें किया और 1500 रुपये भी हमनें ही भरे.इसके बाद हमने उनके लिए एक पंखा और लाइट खरीदा. ये सिर्फ उनके प्रति हमारा प्यार था. हम ये करके सिर्फ ये बताना चाहते थे कि पुलिस हर हाल में आम जनता के साथ है. 

क्या आपको लगा नहीं कि एक बार डीएम साहेब को फोन करके बता दूं कि देखिए सर यहां आज तक बिजली नहीं आई है ? 

IPS अधिकारी अनुकृति शर्मा ने कहा कि नहीं सर, मुझे ऐसा लगता है कि हम हर विभाग के लोग हम सब लोगों का एक ही काम है जनता की सेवा करना. अलग-अलग विभागों के बीच काम का जो विभाजन हुआ है ये इसलिए हुआ है ताकि लोगों को सहूलियत हो सके. ठीक है कि ये पहले से तय है कि बिजली विभाग बिजली का काम देखेगा और पुलिस वाले कानून व्यवस्था का. लेकिन अगर कोई मेरे पास आ गया तो ये मेरी भी जिम्मेदारी बनती है कि उसका काम अब हो ही जाना चाहिए. ये नहीं कि मैं उसे एक विभाग से दूसरे विभाग तक के चक्कर लगाने के लिए छोड़ दे रही हूं. जैसे हम अपने साथ व्यवहार नहीं चाहते हैं तो हम दूसरे के साथ वैसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं. दो साल पहले मैं सर्विस के बाहर थीं.

मैंने आपके कई वीडियो देखे, आप चौपाल लगाती हैं, आप वो चीजें करती हैं जो एक आम पुलिस अधिकारी नहीं करता है. तो मेरा सवाल ये है कि आप ये चौपाल क्यों लगाती हैं? 

उन्होंने कहा कि हर आदमी थाने तक नहीं आ सकता है. महिलाएं अगर थाने तक आती हैं तो उन्हें गलत तरीके से देखा जाता है. और कहा जाता है कि ये तो थाने जाने वाली महिला है. मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों होता है. और दूसरी बात ये है कि थाने आने में भी तो रुपये खर्च होते हैं. तो अगर हम लोग इसे एक पुलिसिंग का हिस्सा मान लें कि हमें खुद लोगों के बीच जाना है, उनकी परेशानी सुननी है उनसे खुलकर बात करेंगे. मैं जब भी चौपाल में जाती हूं तो वहां मैं महिलाओं के बीच अपना नंबर देकर आती हूं. मैं अपना नंबर भी देती हूं और एसएचओ का नबंर भी देकर आती है. और उनसे कहती हूं कि जब भी जरूरत हो फोन जरूर करना. इससे मुझे सूचनाएं प्राप्त होती हैं, लोग डर के मारे बताते नहीं है कि कहीं उनके ऊपर ही एक्शन ना हो जाए. जब वो बताएं और उन्हें अगले दिन एक्शन दिखेगा तब ही तो उनका विश्वास और बढ़ेगा. और इससे मुझे और सूचनाएं मिलेंगी. इससे अपराध पर अंकुश लगाने में काफी मदद मिलती है. हमारे देश में जनता की तुलना में पुलिसवालों की संख्या अच्छी नहीं है. ऐसे में हम बैगर जनता के सहयोग के ना तो अपराधों पर अंकुश लगा पाएंगे और ना ही कानून व्यवस्था लागू कर पाएंगे. तो एक अच्छी पुलिसिंग के लिए ये जरूरी है कि हम पूरी जनता को साथ लेकर चलें. 

आप घरेलू हिंसा के लिए काफी काम कर रही हैं, लेकिन बुलंदशहर में अपराध की और भी कई बड़ी समस्याएं हैं. आप इसे कैसे देखती हैं? 

इस सवाल के जवाब में अनुकृति शर्मा ने कहा कि घेरलू हिंसा सिर्फ बुलंदशहर की नहीं बल्कि हर जगह की समस्या है. और इसका नारी सशक्तिकरण से लेना देना है. हमारे यहां पर इसको नॉर्मल माना जाता है. हमारे पास भी जब केस आता है तो लड़की के मां-बाप ये कहते हैं कि बस आप हमारा फैसला करा दें हमारी लड़की का घर नहीं टूटना चाहिए. लेकिन वो ये नहीं देखते कि उनकी बच्ची को रोज पीटा जा रहा है. ऐसे में मैं जब गांव के चौपालों में जाती हूं तो मैं महिलाओं को ये बताती हूं कि मार खाना सही नहीं है. वो मार क्यों खाती हैं क्योंकि वित्तीय रूप से बेहतर नहीं है. वो सिर्फ घर संभालती हैं. मेरा मानना है कि वो भी घर में रहते हुए पैसे कमा सकती हैं. वो चाहें तो कुकिंग कर सकती है, पापड़ बना सकती हैं, यहां तक की आचार भी बेच सकती है. ये सब करके वो वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं. मेरा मानना है कि वो अगर वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बन जाएं तो उन्हें मार नहीं खाना होगा. हम इसलिए उनके बीच जाते हैं. 

आपको याद होगा पहले दिल्ली पुलिस ने एक अभियान चलाया था बेल बचाओ अभियान. इसके तहत अगर किसी के घर में कोई पिट रहा है तो उसके घर पर जाकर आपको बेल बजाना होता था. हम कहते हैं कि आप हमें फोन करो. हम आपका नाम नहीं बताएं लेकिन अगर आपको लग रहा है कि आपके पड़ोसियों में कोई मार खा रहा है तो आप हमें तुरंत बताओ हम जाकर रुकवाएंगे. हो सकता है कि थोड़े से प्रयास से किसी की जान बच जाए. हम सिर्फ ये महिलाओं को ही नहीं बताते हैं हम सारे पुरुषों और सभी बहनों के भाइयों को भी बताते हैं. 


आपका एक दूसरा पहलू भी है, आप पेंटिंग भी करती हैं. आपको वक्त कैसे मिलता है, आप मैनेज कैसे करती हैं? 

उन्होंने कहा कि अब वक्त नहीं मिलता है. मैंने कहीं से सीखा नहीं है. मुझे पेंटिंग का डांसिंग का बहुत सौख है. समय नहीं मिल पाता है लेकिन कोशिश करती हूं कि कभी कभी थोड़ा बहुत कुछ जरूर करूं. जो पेंटिंग मैंने अपने ट्विटर पर डाला है वो मैंने कोविड के समय बनाई थी. उस दौरान मुझे कोविड होने की जह से सात दिन का समय मिल गया था. उस दौरान मैंने इसे बनाया था. 

एक महिला पुलिस अधिकारी के लिए बुलंदशहर जैसे जगह पर क्या सबसे बड़ी चुनौती है ? 

बुलंदशहर ने मुझे बहुत प्यार दिया है. मुझे यहां कोई चैलेंज नहीं दिखता है. मुझे मेरे स्टॉफ का पूरा साथ मिलता है. मेरे सारे स्टॉफ मेरे साथ जनता की समस्या को दूर करने के लिए आगे बढ़कर काम करते हैं. तो मुझे यहां ऐसा कोई चुनौती नहीं दिखती है. 
 

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