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यह फिल्मों, विज्ञापनों, टीवी उद्योग में बच्चों के काम पर लागू नहीं होता
नये कानून के जरिए बाल श्रम अधिनियम 1986 में संशोधन किया गया है
संशोधित अधिनियम के जरिए इसका उल्लंघन करने वालों के लिए सजा को बढ़ाया गया
हालांकि, स्कूल से बाद के समय में अपने परिवार की मदद करने वाले बच्चे को इस कानून के दायरे में नहीं रखा गया है. नया कानून 14 से 18 साल की उम्र के किशोर को खानों और अन्य ज्वलनशील पदार्थ या विस्फोटकों जैसे जोखिम वाले कार्यों में रोजगार पर पाबंदी लगाता है. हालांकि, नया कानून फिल्मों, विज्ञापनों या टीवी उद्योग में बच्चों के काम पर लागू नहीं होता.
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति ने बाल श्रम (प्रतिबंध एवं नियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 को शुक्रवार को अपनी मंजूरी दे दी और कानून अधिसूचित हो गया है. नये कानून के जरिए बाल श्रम (प्रतिबंध एवं नियमन) अधिनियम 1986 में संशोधन किया गया है ताकि किसी काम में बच्चों को नियुक्त करने वाले व्यक्ति पर जुर्माना के अलावा सजा भी बढ़ाई जा सके.
संशोधित कानून सरकार को ऐसे स्थानों पर और जोखिम भरे कार्यों वाले स्थानों पर समय समय पर निरीक्षण करने का अधिकार देता है जहां बच्चों के रोजगार पर पाबंदी है. इस सिलसिले में एक विधेयक को लोकसभा ने 26 जुलाई को पारित किया था जबकि राज्यसभा ने उसे 19 जुलाई को पारित किया.
संशोधित अधिनियम के जरिए इसका उल्लंघन करने वालों के लिए सजा को बढ़ाया गया है. बच्चों को रोजगार देने वालों को अब छह महीने से दो साल की जेल की सजा होगी या 20,000 से लेकर 50,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों लग सकेगा। पहले तीन महीने से एक साल तक की सजा और 10,000 से 20,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान था.
दूसरी बार अपराध में संलिप्त पाए जाने पर नियोक्ता को एक साल से लेकर तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. कानून के मुताबिक किसी भी बच्चे को किसी भी रोजगार या व्यवसाय में नहीं लगाया जाएगा. हालांकि स्कूल के समय के बाद या अवकाश के दौरान उसे अपने परिवार की मदद करने की छूट दी गई है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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