यूपी की नई विधानसभा में सिर्फ 10 फीसदी महिलाएं, इनमें भी ज्यादातर राजनीतिक परिवार से

UP Total Women MLA : यूपी चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पिछली बार की तरह 42 पर अटक गई है. चिंताजनक बात है कि इनमें से ज्यादातर महिला विधायक वो हैं, जो पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. 

यूपी की नई विधानसभा में सिर्फ 10 फीसदी महिलाएं, इनमें भी ज्यादातर राजनीतिक परिवार से

UP Elections Women Candidates Results : महिला विधायकों की संख्या दस फीसदी से आगे नहीं बढ़ी

नई दिल्ली:

इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Election 2022) में भले ही महिलाओं की भूमिका (Women Candidates) और नई सरकार तय करने को लेकर काफी चर्चा रही हो, लेकिन नई विधानसभा में उनकी नुमाइंदगी निराश करने वाली है. यूपी में 45 फीसदी महिला मतदाता होने के बावजूद चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पिछली बार की तरह 42 पर अटक गई है. चिंताजनक बात है कि इनमें से ज्यादातर महिला विधायक वो हैं, जो पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. महिला विधायकों (Women MLAs)  में सबसे चर्चित नाम अपना दल कमेरावादी की प्रत्याशी पल्लवी पटेल का रहा, जिन्होंने योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराकर धमाका किया. पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) की बहन अनुप्रिया पटेल बीजेपी की केंद्र सरकार में मंत्री हैं. कांग्रेस की एकमात्र महिला विधायक आराधना मिश्रा मोना ने बीजेपी के नागेश प्रताप को हराया. आराधना (Arashana Mishra) कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी की बेटी हैं और उनके खिलाफ सपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था. कल्याणपुर से नीलिमा कटियार ने सपा प्रत्याशी सतीश गौतम को हराकर चुनाव जीता. उनकी मां प्रेमलता कटियार चार बार विधायक और बीजेपी सरकार में मंत्री रही हैं. आगरा रूरल से बीजेपी का दलित चेहरा और पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य (Babi Rani Maurya) ने 76 हजार वोटों से चुनाव जीता. उन्होंने बीएसपी की किरन प्रभा केसरी को हराया. चुनाव आयोग के 2020 में आए इलेक्टोरल रोल के डेटा के मुताबिक, यूपी में 14.51 करोड़ मतदाता हैं. इनमें से 7.85 करोड़ पुरुष और 6.66 करोड़ महिलाएं हैं.

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वर्ष - पुरुष - महिलाएं - निर्वाचित महिलाएं
2002 :56.7% :50.25%-26
2007 :49.35% :41.92%-23
2012 :58.68% : 60.28%-35
2017 :59.15% : 63.31%-42

वोट बढ़ रहे लेकिन महिलाओं की नुमाइंदगी नहीं

उत्तर प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनावों में पहली बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा. उस चुनाव में 60 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया था. तब समाजवादी पार्टी ने 403 में से 224 सीटें जीती थीं. वर्ष 2017 के चुनाव में भी महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया. पहली बार बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ 312 सीटें लेकर सत्ता में आई. विधानसभा चुनाव की तरह ही लोकसभा में भी महिलाओं वोटर्स की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. 

लोकसभा चुनाव में भी बढ़ा जोश

2014 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 57.41 और और पुरुषों का 59.20% रहा था. हालांकि, 2009 के चुनाव की तुलना में वोटिंग में महिलाओं की हिस्सेदारी 13 फीसदी से ज्यादा बढ़ी थी. इसी तरह जब 2019 के चुनाव हुए तो करीब 60 फीसदी महिलाओं और 59 फीसदी पुरुषों ने वोट डाला. 2014 और 2019 दोनों ही चुनावों में बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 75 फीसदी से ज्यादा सीटें जीतीं. शायद यही वजह है कि एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला वोटरों को 'साइलेंट वोटर्स' बताया था. 

ज्याातर विजयी प्रत्याशी बीजेपी-सपा के सियासी परिवारों से

अकबरपुर रनिया से बीजेपी की प्रतिभा शुक्ला ने समाजवादी पार्टी के राम प्रकाश कुशवाहा को 13 हजार से अधिक मतों से हराया. अलीगढ़ से बीजेपी की मुक्ता राजा ने सपा के जफर आलम को हराया. अमेठी में समाजवादी पार्टी की महाराजी प्रजापति ने चौंकाने वाले परिणाम देते हुए बीजेपी के डॉ. संजय सिंह को 18 हजार से भी अधिक वोटों से हरा दिया. असमोली से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी पिंकी सिंह ने बीजेपी के उम्मीदवार हरेंद्र कुमार को 25 हजार वोटों से परास्त किया. औरैया से बीजेपी प्रत्याशी गुड़िया कठेरिया ने सपा के जितेंद्र दोहरे को 25 हजार वोटों से हराया. यहां पहली बार कोई महिला विधायक बनी है. बहराइच सीट से बीजेपी की अनुपमा जायसवाल ने सपा के यासर शाह को हराया. भिनगा सीट से सपा की इंद्राणी देवी ने बीजेपी के पदम सेन चौधरी को करीब 10 हजार मतों से हराया.

महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का वादा भूले दल

कांग्रेस ने यहां गजाला चौधरी को टिकट दिया था. बिधूना सीट से सपा की रेखा वर्मा ने बीजेपी की रिया शाक्य को सात हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी, यहां पहली बार कोई महिला चुनाव जीती है. उनके ससुर धनीराम वर्मा छह बार यहां से विधायक रहे हैं. बिजनौर से बीजेपी की सुची ने रालोद के नीरज चौधरी को हराया. चंदौसी सीट से बीजेपी की गुलाब देवी ने फिर चुनाव जीता, जबकि टिकट फाइनल होने पर उनका काफी विरोध हुआ था. वो यहां से 1991, 1996, 2002, 2017 में भी एमएलए चुनी जा चुकी हैं. उन्होंने सपा की विमलेश कुमार को पराजित किया. छिबरामऊ से बीजेपी की अर्चना पांडेय ने सपा के अरविंद सिंह यादव 1111 वोटों से परास्त किया.

डुमरियागंज सीट पर सपा की सैयदा खातून ने बीजेपी के राघवेंद्र प्रताप सिंह को हराया. जबकि पिछले चुनाव में वो बीएसपी प्रत्याशी के तौर पर 171 वोटों से हार गई थीं. 2012 का चुनाव भी वो 1589 वोटों से हारी थीं. इस बार वो 771 वोटों से जीत गईं. आगरा की पूर्व मेयर और मॉडल रहीं अंजुला सिंह माहौर ने हाथरस से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता. खुर्जा सीट पर भी पहली बार किसी महिला ने चुनाव जीता. 

कांग्रेस ने 40 फीसदी को दिया टिकट पर जीते नहीं प्रत्याशी

प्रियंका गांधी की ओर से एक करोड़ पोस्टकार्ड यूपी की महिलाओं को भेजे जा रहे हैं जिसमें पार्टी के तमाम वादों का ज़िक्र करते हुए समर्थन की अपील की गयी है. इनमें 12वीं की लड़कियों को स्मार्टफोन और स्नातक कर रही लड़कियों को स्कूटी देने से लेकर 20 लाख सरकारी नौकरियों में 8 लाख महिलाओं को देने जैसे वादे शामिल हैं.22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी के लिहाज़ से यह संख्या नगण्य है. ऐसे में जब कांग्रेस ने 40 फ़ीसदी टिकट महिलाओं को देने का वादा किया. सपा ने भी मुफ्त सिलेंडर और स्मार्टफोन जैसे वादे महिलाओं से किए थे.

2002-------
यूपी विधानसभा चुनाव 2002 में कुल 5533 प्रत्याशी मैदान में थे. इसमें 5189 पुरुष औऱ 344 महिला प्रत्याशी थीं. इनमें 377 पुरुष और 26 महिलाएं चुनाव जीती थीं. 

2007----------
यूपी चुनाव 2007 में कुल 5716 पुरुष और 370 महिला उम्मीदवार थे, यानी कुल 6086. इनमें से 380 पुरुष औऱ सिर्फ 23 महिलाएं ही चुनाव जीतीं.

2012---------

यूपी विधानसभा चुनाव 2002 में कुल 6839 उम्मीदवार थे, जिनमें से 6252 पुरुष और 583 महिलाएं थीं. इनमें से 368 पुरुष प्रत्याशी और 35 महिला प्रत्याशी जीती थीं. 

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2017-----
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में 4370 पुरुष और 482 महिला प्रत्याशी थीं. इनमें से 362 सीटों पर पुरुष और 42 पर महिलाओं को जीत मिली.