म्यूचुअल फंड स्कीम बंद करने से पहले यूनिटधारकों की मंजूरी जरूरी होगी : सेबी

सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए यह निर्णय़ किया.इसके तहत जब भी म्यूचुअल फंड के ज्यादातर ट्रस्टी किसी स्कीम को बंद करने का फैसला करते हैं, उनके लिए यूनिटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य करने का निर्णय किया गया है.

म्यूचुअल फंड स्कीम बंद करने से पहले यूनिटधारकों की मंजूरी जरूरी होगी : सेबी

म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए सेबी ने लिया फैसला

मुंबई:

केंद्र सरकार ने म्यूचुअल फंड (mutual fund schemes) के निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बड़ा कदम उठाया है. सेबी (SEBI) ने कंपनियों या संस्थानों के लिए म्यूचुअल फंड स्कीमों के बंद करने से पहले यूनिटधारकों यानी निवेशकों (mutual fund Investors) की मंजूरी लेने को अनिवार्य कर दिया है. सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए यह निर्णय़ किया.इसके तहत जब भी म्यूचुअल फंड के ज्यादातर ट्रस्टी किसी स्कीम को बंद करने का फैसला करते हैं, उनके लिए यूनिटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य करने का निर्णय किया गया है. सेबी बोर्ड की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया.

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म्यूचुअल फंड रेगुलेशन में संशोधन के तहत सेबी फंड के लिये वित्त वर्ष 2023-24 से भारतीय लेखा मानकों का अनुकरण करने को भी अनिवार्य बनाएगा.सेबी ने कहा कि म्यूचुअल फंड के अधिकांश न्यासी जब भी किसी योजना को बंद करने या निश्चित अवधि की योजना (क्लोज इंडेड स्कीम) के तहत समय से पहले यूनिट को भुनाने का फैसला करते हैं, ऐसे में उनके लिये यूनटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य करने का निर्णय किया गया है.

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ट्रस्टियों को साधारण बहुमत के आधार पर मौजूदा यूनिटधारकों की सहमति लेनी होगी. इसके लिए प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर मतदान होगा. मतदान का नतीजा योजना समापन की परिस्थितियों की सूचना के प्रकाशन के 45 दिन के भीतर प्रकाशित करने की जरूरत होगी. सेबी ने कहा कि अगर ट्रस्टी ऐसा करने में नाकाम होते हैं.

योजना मतदान के परिणाम के प्रकाशन की तिथि के दूसरे कारोबारी दिन से व्यावसायिक गतिविधियों के लिए खुली होनी चाहिए. भारतीय लेखा मानकों की आवश्यकताओं के अलावा सेबी ने अनावश्यक प्रावधानों को हटाने और अधिक स्पष्टता लाने के लिए लेखा परीक्षण से संबंधित नियामक प्रावधानों के संबंध में मानदंडों में संशोधन करने का निर्णय किया है.

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इस बीच KYC (अपने ग्राहक को जानो) पंजीकरण एजेंसियों (केआरए) की भूमिका को बढ़ाने के लिए, नियामक ने उनके ‘सिस्टम' पर अपलोड किए गए केवाईसी रिकॉर्ड के पंजीकृत मध्यस्थ ) द्वारा स्वतंत्र सत्यापन को लेकर उनकी जिम्मेदारी तय करने का फैसला किया है.