
पत्रकारों को ‘प्रेसटीट्यूट्स’ बताकर एक बार फिर मुश्किल में फंसे विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह के इस बयान पर बुधवार को तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आयीं। मीडिया के एक संगठन ने जहां इसकी भर्त्सना की वहीं विपक्ष ने उन्हें बर्खास्त करने की मांग तक कर डाली।
यमन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के कार्य की देख-रेख के लिए वहां के पड़ोसी देश जिबूती गए सिंह के मंगलवार के उस बयान से विवाद पैदा हो गया जिसमें उन्होंने इस बचाव कार्य की तुलना पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में आयोजित एक कार्यक्रम में खुद के जाने की घटना से की।
इस तुलना को खबर बनाने पर उन्होंने ट्वीट के जरिए एक टीवी चैनल के खिलाफ विवादास्पद व्यंग्यात्मक टिप्पणी भी की। अपने इस ट्वीट में उन्होंने कहा है, ‘दोस्तों, आप प्रेस्टीट्यूट्स से और क्या उम्मीद कर सकते हैं।’
Friends what do you you expect from presstitutes. Last time Arnab thought there was 'O' in place of 'E' #TimesNowDisaster
— Vijay Kumar Singh (@Gen_VKSingh) April 7, 2015
हालांकि अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि संबंधित पत्रकार ने अंग्रेजी के ‘ई’ के स्थान पर ‘ओ’ समझ लिया।
If simple remark that media finds Yemen less exciting than my attending PAK day is contorted out of shape then SOS GOD #Pressititutes
— Vijay Kumar Singh (@Gen_VKSingh) April 8, 2015
इससे पहले भारतीयों को यमन से निकालने के अभियान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था, सच बताउं तो यमन में आकर भारतीयों को बचाने का अभियान पाकिस्तानी दूतावास जाने से कम रोमांचक है। उनकी इस टिप्पणी पर राजनीतिक दलों एवं मीडिया संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह एक अतिवादी स्थिति है जिसमें अपनी आलोचना एवं विरोध सुनने के प्रति अक्षमता एवं असहिष्णुता पता चलती है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि सिंह ने जो कहा, 'वह पूरी तरह से निंदनीय है और उसकी कठोरतम शब्दों में भर्त्सना की जानी चाहिए। उन्होंने सिंह को मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा कि यह प्रेस की आजादी पर प्रहार है।
एक अन्य पार्टी प्रवक्ता संजय झा ने ट्विट किया, ‘जनरल वीके सिंह का भारतीय मीडिया पर निशाना साधने की अरुचिकर विकल्प न केवल राजनीतिक तौर पर अनुपयुक्त है बल्कि गंभीर रूप से निराशाजनक भी है।’
General VK Singh's choice of dreadful terms to attack Indian media is not just politically inappropriate but seriously lamentable. #Disgust
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) April 8, 2015
झा ने एक अन्य ट्विट में कहा, ‘सामान्य रूप से भाजपा मानती है कि वह लोकतंत्र की खराब और भद्दी संरक्षक है। भारतीय मीडिया पर सीधा प्रहार निजी मामला नहीं हो सकता।’
Generally speaking, BJP confesses that it is a lousy,bad guardian of Indian democracy. A direct assault on Indian media is no private matter
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) April 8, 2015
गौरतलब है कि सिंह अभी जिबूती में यमन से भारतीयों को निकालने का काम देख रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को युद्धग्रस्त देश में बचाव अभियान की तुलना हाल में अपने पाकिस्तान मिशन जाने से करते हुए कहा था कि निकालने का अभियान कम रोमांचक था। हालांकि उन्होंने बाद में अपनी इस टिप्पणी के प्रसारण के लिए टीवी चैनल पर चुटकी ली थी।
मंगलवार देर रात ट्वीट में उन्होंने कहा था, ‘मित्रों आप प्रेस्टीच्यूट्स से क्या उम्मीद कर सकते हैं। पिछली बार टीवी एंकर ने ‘ई’ के स्थान पर ‘ओ’ समझा था। सिंह की इस टिप्पणी की राजनीतिक दलों और एक मीडिया निकाय ने कड़ी आलोचना की है।
एनसीपी महासचिव तारिक अनवर ने सिंह की टिप्पणी को ‘घटिया’ करार दिया और कहा कि एक मंत्री द्वारा यह कहा जाना भर्त्सना योग्य है। जदयू के महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि सिंह का बयान ‘‘शर्मनाक एवं स्तब्ध करने वाला है।’’ उन्होंने उम्मीद जतायी कि वह भविष्य में इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी को नहीं दोहरायेंगे।
एक पखवाड़े के भीतर यह दूसरी बार है कि सिंह अपनी टिप्पणी के कारण विवादों में आ गये हैं। एक बड़ा विवाद उस समय उत्पन्न हो गया था जब सिंह ने 23 मार्च को पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस पर यहां पाक उच्चायोग के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर कश्मीर के कई अलगाववादी नेता भी वहां मौजूद थे।
बहरहाल, इस कार्यक्रम से लौटने के बाद पूर्व सेना प्रमुख सिंह ने कुछ रहस्यमय ट्वीट किये जिनमें ‘अप्रसन्नता’ एवं ‘कर्तव्य’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। इनका अर्थ यह निकाला गया कि वह इस बात को लेकर अप्रसन्न हैं कि सरकार ने उन्हें पाकिस्तान के कार्यक्रम में शिरकत करने को कहा।
अगले दिन उन्होंने संवाददाता सम्मेलन बुलाकर स्पष्टीकरण दिया कि वह बीजेपी, सरकार एवं प्रधानमंत्री को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उनके ट्वीट मीडिया के उन वर्गों के प्रति केन्द्रित थे जिन्होंने सरकार की मंशा तथा पाक प्रायोजित आतंकवाद से निबटने के रुख पर सवाल उठाये थे।
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