केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू एवं कश्मीर के दो दिवसीय दौरे के बाद अलगाववादियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह नरमी बरतने वाले नहीं हैं. अमित शाह पहले गृहमंत्री हैं, जिन्होंने अलगाववादियों के साथ किसी भी बैठक का कोई संकेत नहीं दिया है.
अमित शाह का स्पष्ट कहना है कि अलगाववाद का समर्थन करने वाले उनसे किसी तरह की रियायत की उम्मीद नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि आतंकवाद व आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी. उनके बयान में यह भी कहा गया, "शांति व सामान्य स्थिति के विरोधी लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा."
यह मानना सहज नहीं है कि अमित शाह का जम्मू एवं कश्मीर का पहला दौरा आगामी अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजाम को देखने के लिए था. अगर उनके राज्य के दौरा करने का मूल उद्देश्य यह होता तो दक्षिण ब्लॉक से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी हितधारकों से बात करना यात्रा के शांतिपूर्ण संचालन के लिए बेहतर होता और यात्रा की सुरक्षा की समीक्षा के लिए ज्यादा प्रभावी होता.
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अमित शाह के करीबी सूत्रों के अनुसार, दो दिवसीय दौरा सख्त व स्पष्ट संदेश देने के लिए है कि अगर कोई अलगाववादी खेमा वार्ता के लिए आमंत्रित किए जाने का इंतजार कर रहा है, जैसा कि नई दिल्ली अतीत में करता रहा है, तो यह गलत है.
अमित शाह के करीबी सूत्रों ने कहा, "सच्चाई यह है कि केंद्रीय गृहमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद शाह ने नई दिल्ली में तीन शीर्ष स्तर की सुरक्षा बैठकें कीं और ये सभी जम्मू एवं कश्मीर में समग्र सुरक्षा से जुड़ी हैं."
अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अमित शाह की राज्य के भाजपा नेताओं के साथ श्रीनगर की बैठक भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों को दिए गए मुआवजे तक सीमित रही. आतंकवादियों द्वारा इन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की गई थी.
भाजपा नेताओं की अमित शाह के साथ बैठक पर एक सूत्र ने कहा, "राज्य की राजनीति कैसे चलनी चाहिए, इस पर एक शब्द नहीं कहा गया. यहां तक कि राज्य के भाजपा नेताओं से भी कोई बात नहीं हुई."
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(आईएएनएस)
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