पिछले कुछ सालों में PMC सहित कई अन्य बैंकों पर अनियमितताओं के आरोपों के चलते बैंक ग्राहकों का पैसा बैंक में फंसा है. ऐसे में डिपॉजिटर्स के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार पहले से मौजूद कानून DICGC में एक नया संशोधन लाई है, जिसके तहत एक तय अवधि में ग्राहकों को उनका फंसा हुआ बीमा का पैसा मिल जाएगा.
बुधवार को कैबिनेट मीटिंग में यह बिल संशोधन (cabinet cleared bill) पास किया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीटिंग के बाद एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि इस संशोधित बिल को इसी मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा.
क्या है नया बदलाववित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि कैबिनेट ने आज Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation Bill में एक संशोधन पास किया है, जो ग्राहकों के डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवरेज को बढ़ाएगा और अगर बैंक डूबता है या वित्तीय दबाव में आता है, तो डिपॉजिटर्स का बीमा का पैसा मिलने में जितना वक्त लगता है, उसे कम करेगा. उन्होंने बताया कि बिल में संशोधन के बाद यह नए नियम के तहत लगभग 98.3 डिपॉजिटर्स को कवर किया जाएगा.
DICGC बिल में इस संशोधन के तहत अगर कोई बैंक मोरेटोरियम में चला जाता है, यानी डूबने की स्थिति में आ जाता है या फिर किसी वित्तीय दबाव में आ जाता है तो यह नया कानून लागू हो जाएगा. पहले 45 दिनों में बैंक को बीमा कंपनी को सबकुछ हैंडओवर करना होगा. इसके बाद 90 दिनों में डिपॉजिटर्स को उनके बीमा का पैसा मिल जाएगा, चाहे तब तक बैंक की समस्या का हल निकला हो या नहीं.
यानी कि पैसा डूबने की स्थिति में बैंक ग्राहकों का 5 लाख का डिपॉजिट इंश्योर्ड रहेगा और वो भी यह रकम उन्हें 90 दिनों के अंदर मिल जाएगी.
अभी क्या होता है...सबसे पहले ये बता दें कि अगर कोई भी बैंक डूबता है या किसी भी कारण से ग्राहकों का पैसा फंसता है, तो अब तक ऐसा होता है कि उनका पैसा तब तक नहीं मिल पाता, जब तक उस बैंक के खिलाफ जरूरी कार्रवाई नहीं हो जाती, जरूरी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, या फिर वो बैंक अपनी संपत्तियां नहीं बेचने लगता है.
लेकिन अब नए संशोधन के मुताबिक यह प्रावधान किया जा रहा है कि चाहे बैंक की समस्या का कोई हल निकले न निकले, 90 दिनों के भीतर डिपॉजिटर्स को उनकी रकम पर बीमे का 5 लाख दे देना है.
मिलेगी बीमा की रकमपहले बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को उनके डिपॉजिट पर 1 लाख की इंश्योरेंस रकम मिलती थी, लेकिन अब इसे 5 लाख किया जा चुका है और अब अगर यह नया बदलाव लाने की मंजूरी मिल जाती है तो यह बीमे की रकम डिपॉजिटर्स को 90 दिनों के भीतर मिल जाएगी.
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