किसी के दरवाजे पर लाचार होकर नहीं खड़े होंगे, साफ करें हमें क्या मिलेगा : मंत्रिमंडल विस्तार पर उद्धव ठाकरे

किसी के दरवाजे पर लाचार होकर नहीं खड़े होंगे, साफ करें हमें क्या मिलेगा : मंत्रिमंडल विस्तार पर उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे...

खास बातें

  • हम लाचार होकर किसी के दरवाजे पर नहीं खड़े होंगे
  • पहले कहा कैबिनेट फिर कहा राज्यमंत्री पद देंगे
  • हवा में बातें न करें
मुंबई:

शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ़ कर दिया है कि उनकी पार्टी बीजेपी से दूरी बनाकर रखेगी। इसलिए शिवसेना न तो केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में हिस्सेदार होनेवाली है न ही महाराष्ट्र के। मौजूदा ढांचे में शिवसेना को केंद्र में एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री पद देय है। जिसमें से उन्होंने अपने कोटे का राज्यमंत्री पद खाली रखा हुआ है। साथ ही पार्टी ने महाराष्ट्र कैबिनेट में अपने कोटे के 2 राज्यमंत्री पद खाली रखे हैं।

सोमवार को पार्टी के मुख्यालय 'शिवसेना भवन' में उद्धव ठाकरे ने कहा, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना को किस तरह शामिल किया जाएगा, इस पर स्पष्टता होनी चाहिए। हम लाचार होकर किसी के दरवाजे पर खड़े नहीं होंगे। पहले कहा कैबिनेट देंगे और फिर कहा कि राज्यमंत्री पद देंगे। साफ करें कि हमें क्या और कैसे मिलेगा? हवा में बातें न करें।'

राज्य कैबिनेट में शामिल होने को लेकर जब उनसे पूछा गया तो वे दो टूक कह गए कि इस मुद्दे पर उनसे बेहद शुरुआती चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे से बातचीत कर रहे थे। उम्मीद है कि मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद गुरुवार को महाराष्ट्र कैबिनेट का विस्तार भी हो जाए। फडणवीस ने इस मामले में सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाक़ात की।

एक अनार, सौ बीमार
दरअसल, शिवसेना मौजूदा स्थिति में मंत्री पद के बंटवारे को लेकर अजीब असमंजस में फंसी हुई है। केंद्रीय कैबिनेट के इससे पहले हुए विस्तार में उद्धव ठाकरे ने राज्यसभा सांसद अनिल देसाई के समावेश को अचानक रोक दिया। देसाई की यह पहली राज्यसभा टर्म है और उनके मुक़ाबले कई अन्य सीनियर शिवसेना सांसद इस से काफ़ी आहात थे।

ऐसी ही कहानी महाराष्ट्र कैबिनेट में शिवसेना की हिस्सेदारी को लेकर है। यहां पार्टी ने 12 में से महत्वपूर्ण कैबिनेट विधान परिषद से चुनकर आए नेताओं को दिए हैं। जिससे लोगों के बीच से चुनकर आनेवाले शिवसेना के विधानसभा के सदस्य नाराज़ चल रहे हैं।

ऐसे में जब मंत्रिपद मांगनेवाले ज्यादा हों तब उससे दूर रहने में ही भलाई का कदम उठाते हुए शिवसेना को देखा जा सकता है।


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