बलात्कार का आरोपी शिवकुमार यादव (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उबर बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को अहम फैसला सुनाएगा। आरोपी ड्राइवर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता समेत 13 लोगों की दोबारा गवाही का आदेश दिया था। इसके खिलाफ पीड़िता और दिल्ली पुलिस की अपील को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में चल रहे मुकदमे पर ही रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि पीड़िता और बाकी लोगों की दोबारा गवाही हो या नहीं।
इस फैसले के बाद ही रुका मुकदमा फिर से चालू हो पाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में दोबारा गवाही पर कोई गाइडलाइन भी जारी कर सकता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह आरोपी शिव कुमार यादव ने कानून का इस्तेमाल किया, वह गलत है। आपके हिसाब से कानून चलेगा तो सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। किसी अपराधी को सजा नहीं हो पाएगी, न ही कोई ट्रायल पूरा होगा। आप जो कह रहे हैं, उसका मतलब यह है कि अपराधी को सिर माथे पर बैठाना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए।
जस्टिस जे एस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि आप जिस कानून के तहत दोबारा जिरह कर रहे हैं, उसके तहत दूसरे भी उसका बेजा इस्तेमाल कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि आरोपी कानूनी दांव-पेंच का मास्टर है और केस को तोड़ने-मोड़ने के लिए उसने कोर्ट में बेहतरीन दांव-पेंच खेले। ऐसी योजना तैयार की जो कैब ड्राइवर के लिए मुमकिन नहीं। सुप्रीम कोर्ट के जज होने के बावजूद ऐसा हमारे दिमाग में भी नहीं आता।
कोर्ट ने कहा साफ है इसके पीछे कोई और आरोपी को सटीक कानूनी सलाह दे रहा है, जिसके तहत ट्रायल में वकीलों को बदलने से लेकर गवाहों को दोबारा जिरह के लिए बुलाया गया। आरोपी ने कई महीने तक सिर्फ वक्त जाया किया, ट्रायल में देरी की। आरोपी ने पीड़िता को बार-बार प्रताड़ित किया। रेप पीड़िता के लिए कोर्ट में बार-बार बयान देना कितना मुश्किल होता है।
पीड़िता के बाद दिल्ली पुलिस ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि पीड़िता के दोबारा बयान नहीं होने चाहिए। पुलिस की यह भी दलील थी कि 16 दिसंबर के गैंगरेप के बाद देश में कानून में बदलाव किया गया। अगर पीड़िता के दोबारा बयान होते हैं तो सारी कवायद बेकार हो जाएगी।
इस फैसले के बाद ही रुका मुकदमा फिर से चालू हो पाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में दोबारा गवाही पर कोई गाइडलाइन भी जारी कर सकता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह आरोपी शिव कुमार यादव ने कानून का इस्तेमाल किया, वह गलत है। आपके हिसाब से कानून चलेगा तो सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। किसी अपराधी को सजा नहीं हो पाएगी, न ही कोई ट्रायल पूरा होगा। आप जो कह रहे हैं, उसका मतलब यह है कि अपराधी को सिर माथे पर बैठाना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए।
जस्टिस जे एस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि आप जिस कानून के तहत दोबारा जिरह कर रहे हैं, उसके तहत दूसरे भी उसका बेजा इस्तेमाल कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि आरोपी कानूनी दांव-पेंच का मास्टर है और केस को तोड़ने-मोड़ने के लिए उसने कोर्ट में बेहतरीन दांव-पेंच खेले। ऐसी योजना तैयार की जो कैब ड्राइवर के लिए मुमकिन नहीं। सुप्रीम कोर्ट के जज होने के बावजूद ऐसा हमारे दिमाग में भी नहीं आता।
कोर्ट ने कहा साफ है इसके पीछे कोई और आरोपी को सटीक कानूनी सलाह दे रहा है, जिसके तहत ट्रायल में वकीलों को बदलने से लेकर गवाहों को दोबारा जिरह के लिए बुलाया गया। आरोपी ने कई महीने तक सिर्फ वक्त जाया किया, ट्रायल में देरी की। आरोपी ने पीड़िता को बार-बार प्रताड़ित किया। रेप पीड़िता के लिए कोर्ट में बार-बार बयान देना कितना मुश्किल होता है।
पीड़िता के बाद दिल्ली पुलिस ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि पीड़िता के दोबारा बयान नहीं होने चाहिए। पुलिस की यह भी दलील थी कि 16 दिसंबर के गैंगरेप के बाद देश में कानून में बदलाव किया गया। अगर पीड़िता के दोबारा बयान होते हैं तो सारी कवायद बेकार हो जाएगी।
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