प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
केरल को 700 करोड़ की मदद पर भारत में UAE के राजदूत अहमद अलबाना का कहना है कि अब तक मदद के लिए आधिकारिक तौर पर कोई रकम तय ही नहीं की गई है... अलबाना ने NDTV से कहा कि अभी हालात का जायज़ा लेकर कितनी मदद की जाए इसका अंदाज़ा लगाया जा रहा है.
इसके साथ ही UAE सरकार ने साफ कर दिया है कि केरल में बाढ़ राहत के लिए उसने 700 करोड़ रुपये की मदद की आधिकारिक घोषणा नहीं की है. इससे पहले 21 अगस्त को केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि UAE सरकार ने 100 मिलियन डालर की सहायता का फैसला किया है. वो अब भी अपनी बात पर कायम है.
यह भी पढ़ें : केरल में सुधर रहे हालात, दस लाख से अधिक बाढ़ प्रभावित लोग राहत शिविरों में
उधर विदेश मंत्रालय पहले ही किसी देश से मदद लेने की संभावना से इनकार कर चुकी है. हालांकि भारत सरकार की तरफ से मई 2016 में जारी National Disaster Management Plan के चैप्टर 9 में किसी भी आपदा के दौरान विदेशी सहायता लेने के सवाल पर साफ शब्दों में लिखा है -"आपदा होने पर भारत एक नीति के तौर पर किसी भी विदेशी सहायता के लिए अपील जारी नहीं करता है. हालांकि अगर कोई विदेशी सरकार, आपदा पीड़ितों की मदद के लिए सहायता की पेशकश करती है तो केंद्र सरकार उसे स्वीकार कर सकती है. जानकारों के मुताबिक इससे साफ है कि भारत केस-टू-केस बेसिस पर विदेशी सहायता स्वीकार करने पर फैसला कर सकता है."
VIDEO : राहत पर सियासत
साफ है, यूएई का पक्ष यही है कि उसने मदद की रकम अभी तक तय नहीं की है. लेकिन इसके पहले भारत सरकार इसे लेने से इनकार कर चुकी है. हावाला नीति का दिया जा रहा है. लेकिन मई 2016 में ही भारत सरकार ने तय किया था कि किसी आपदा की हालत में किसी विदेशी सरकार या बाहरी मदद को लेकर केस टू केस बेसिस पर फैसला लिया जा सकता है. संकट ये है कि नीति पीछे छूट गई है, राजनीति शुरू हो गई है.
इसके साथ ही UAE सरकार ने साफ कर दिया है कि केरल में बाढ़ राहत के लिए उसने 700 करोड़ रुपये की मदद की आधिकारिक घोषणा नहीं की है. इससे पहले 21 अगस्त को केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि UAE सरकार ने 100 मिलियन डालर की सहायता का फैसला किया है. वो अब भी अपनी बात पर कायम है.
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उधर विदेश मंत्रालय पहले ही किसी देश से मदद लेने की संभावना से इनकार कर चुकी है. हालांकि भारत सरकार की तरफ से मई 2016 में जारी National Disaster Management Plan के चैप्टर 9 में किसी भी आपदा के दौरान विदेशी सहायता लेने के सवाल पर साफ शब्दों में लिखा है -"आपदा होने पर भारत एक नीति के तौर पर किसी भी विदेशी सहायता के लिए अपील जारी नहीं करता है. हालांकि अगर कोई विदेशी सरकार, आपदा पीड़ितों की मदद के लिए सहायता की पेशकश करती है तो केंद्र सरकार उसे स्वीकार कर सकती है. जानकारों के मुताबिक इससे साफ है कि भारत केस-टू-केस बेसिस पर विदेशी सहायता स्वीकार करने पर फैसला कर सकता है."
VIDEO : राहत पर सियासत
साफ है, यूएई का पक्ष यही है कि उसने मदद की रकम अभी तक तय नहीं की है. लेकिन इसके पहले भारत सरकार इसे लेने से इनकार कर चुकी है. हावाला नीति का दिया जा रहा है. लेकिन मई 2016 में ही भारत सरकार ने तय किया था कि किसी आपदा की हालत में किसी विदेशी सरकार या बाहरी मदद को लेकर केस टू केस बेसिस पर फैसला लिया जा सकता है. संकट ये है कि नीति पीछे छूट गई है, राजनीति शुरू हो गई है.
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