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This Article is From Apr 18, 2016

सतलज-यमुना लिंक नहर मामले में दिल्ली सरकार का फिर यू टर्न

सतलज-यमुना लिंक नहर मामले में दिल्ली सरकार का फिर यू टर्न
भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सतलज-यमुना लिंक (SYL) नहर मामले में दिल्ली सरकार ने एक बार फिर यू टर्न ले लिया है। सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो अपना पुराना जवाब वापस लेना चाहती है।

दिल्ली सरकार ने कोर्ट को कहा कि पिछली बार जो जवाब दाखिल किया गया था उसके लिए वकील ने अनुमति नहीं ली थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी तरफ से तो जवाब दाखिल किया जा चुका है। इतना ही नहीं आपकी तरफ से बहस भी की गई है। ऐसे में आपको एक हलफ़नामा दाखिल कर अपना जवाब देना होगा। जिसपर फिर हम आदेश जारी करेंगे। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा कि अगली सुनवाई से पहले अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करे। मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी।

क्या कहा था दिल्ली सरकार ने पिछली बार सुप्रीम कोर्ट में
SYL मामले में दिल्ली सरकार ने जवाब दाखिल करते हुएए कहा था कि पंजाब का कानून खतरनाक है। अगर पंजाब के इस कानून को माना जाता है तो ये ख़तरनाक ट्रेंड बन जाएगा। क्योंकि इसी तरह के जल बंटवारे को लेकर कई राज्यों के बीच आपस में संधी है। ऐसे में अपने राजनीतिक हित के लिए राज्य पंजाब सरकार की तरह ही जल संधि को नजरअंदाज कर देंगे।

दिल्ली के पास अपना पानी नहीं है, वो पानी के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है। अगर दूसरे राज्य भी पंजाब सरकार की रह पर चलेंगे तो दिल्ली प्रभावित होगी। पंजाब का कानून संविधान की मूल प्रस्तावना राष्ट्र की एकता का उलंघन करता है। संघात्मक व्यवस्था संविधान का मूल अधिकार है। इसके तहत दो राज्यों के भीतर करार होते हैं। अगर एकतरफा कर्रवाई कर के कोई राज्य इस करार को रद्द कर देता है तो ये संघात्मक व्यवस्था का उलंघन है। ऐसा करने से दो राज्यों के लोगों के बीच असंतुष्टी बढ़ेगी। पंजाब का कदम संघीय व्ययस्था के खिलाफ है।

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