नई दिल्ली:
ग्वालियर : फ्रांस से अपग्रेड होकर भारतीय वायुसेना के दो लड़ाकू विमान ग्वालियर पहुंचे। वायुसेना का ये विमान 1985 में हिस्सा बने। अगर ये अपग्रेड नहीं होता तो अब रिटायरमेंट की राह में होता। लेकिन अब इसकी लाइफ 15 साल बढ़ गई।
वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर एसएस विर्दी कहते हैं, 'विमान एवियोनिक्स, रडार जैसे कई सारे उपकरण बदलने से ये बिल्कुल नया जैसा हो गया है। ये अलग बात है कि 51 मिराज 2000 लड़ाकू विमान करने में 17,500 करोड़ लग गए। बाकी के विमान का अपग्रेडेशन बेंगलुरु के हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में होगा। एचएएल हर साल 4 से 6 विमान वायुसेना को देगी।
मिराज वही लड़ाकू विमान है जिसने करगिल जंग के दौरान पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए थे। वायुसेना की घटती मारक क्षमता इस अपग्रेडड मिराज के आने से निस्संदेह बढ़ जाएगी।
वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर एसएस विर्दी कहते हैं, 'विमान एवियोनिक्स, रडार जैसे कई सारे उपकरण बदलने से ये बिल्कुल नया जैसा हो गया है। ये अलग बात है कि 51 मिराज 2000 लड़ाकू विमान करने में 17,500 करोड़ लग गए। बाकी के विमान का अपग्रेडेशन बेंगलुरु के हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में होगा। एचएएल हर साल 4 से 6 विमान वायुसेना को देगी।
मिराज वही लड़ाकू विमान है जिसने करगिल जंग के दौरान पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए थे। वायुसेना की घटती मारक क्षमता इस अपग्रेडड मिराज के आने से निस्संदेह बढ़ जाएगी।
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