इंस्टैंट ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा में पेश
नई दिल्ली:
लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मुस्लिम महिला बिल यानी ट्रिपल तलाक बिल को पेश किया.रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बांग्लादेश, इजिप्ट और इंडोनेशिया में इस कानून को खारिज किया गया है. पाकिस्तान एक आतंकवादी मुल्क है और वहां भी इस कानून को खारिज किया गया है. उन्होंने कहा कि इस्लामिक मुल्क में भी इंस्टैंट तीन तलाक को खारिज किया है. वहां तलाक देने से पहले नोटिस देना होता है और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो एक साल की जेल हो सकती है. वहीं, इस बिल पर ओवैसी ने कहा कि यदि पुरुष को जेल भेजा जाता है तो गुजारे भत्ते का भुगतान कौन करेगा. उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर परामर्श प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है.
यूपी में बीवी सोकर देर से उठी तो शौहर ने दिया तलाक
उन्होंने कहा कि हम शरीयत मे दखल नहीं दे रहे हैं. नाबालिग बच्चों की कस्टडी को भी साफ किया गया है. अभी बच्चों को छीन लिया जाता है. अगर हम कानून बनाएंगे तो महिलाओं पर अत्याचार कम होंगे. उन्होंने कहा पत्नी को इंस्टैंट तलाक देने पर पुलिस जमानत नहीं दे सकती है लेकिन मजिस्ट्रेट को शक्ति है वह आरोपी को जमानत दे.
कानून मंत्री ने कहा कि सदन को मां-बेटी और बहनों के लिए खड़ा होना चाहिए और उन्होंने सदन से चार अपील की हैं.
1- इस बिल को सियासत की सलाखों से ना देखा जाए.
2. इस बिल को दलों की दीवारों में ना बांटा जाए
3-इस बिल को मजहब के तारजू पर ना तोला जाए
4-इस बिल को वोट बैंक के खाते से ना देखा जाए.
वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज हम इतिहास बना रहे हैं. ये पूजा, प्रार्थना और इबादत का नहीं है बल्कि नारी न्याय और इंसाफ का है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया है अगर इसके बाद भी ये पाप किया जा रहा है तो इस पर सदन खामोश रहेगा. उन्होंने कहा कि ये सदन को तय करना है तीन तलाक कि ये पीड़ित महिलाओं का मौलिक अधिकार है या नहीं.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमसे पूछा गया कि इसको अपराध क्यों बना रहे हैं. अगर तीन तलाक गैरकानूनी है तो ये अपराध क्यों नहीं है. वहीं इससे पहले तीन तलाक बिल पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सांसदों को ब्रीफ किया. उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी के रहते किसी मुस्लिम महिला के साथ अन्याय नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून बनाने को कहा था और उसी के आदेश का पालन हो रहा है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक पर सरकार के बिल को किया नामंजूर
2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं और हर एक तलाकशुदा मर्द के मुकाबले 4 तलाक़शुदा औरतें हैं. 13.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है और 49 प्रतिशत मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 की उम्र में होती है. वहीं 2001-2011 तक मुस्लिम औरतों को तलाक़ देने के मामले 40 फीसदी बढ़े है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते 15 दिसंबर को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ को मंजूरी प्रदान की थी. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था. इस समूह में वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे.
VIDEO: ट्रिपल तलाक बिल में बदलाव की मांग, विपक्षी दलों ने भी उठाए सवाल
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उन्होंने कहा कि हम शरीयत मे दखल नहीं दे रहे हैं. नाबालिग बच्चों की कस्टडी को भी साफ किया गया है. अभी बच्चों को छीन लिया जाता है. अगर हम कानून बनाएंगे तो महिलाओं पर अत्याचार कम होंगे. उन्होंने कहा पत्नी को इंस्टैंट तलाक देने पर पुलिस जमानत नहीं दे सकती है लेकिन मजिस्ट्रेट को शक्ति है वह आरोपी को जमानत दे.
कानून मंत्री ने कहा कि सदन को मां-बेटी और बहनों के लिए खड़ा होना चाहिए और उन्होंने सदन से चार अपील की हैं.
1- इस बिल को सियासत की सलाखों से ना देखा जाए.
2. इस बिल को दलों की दीवारों में ना बांटा जाए
3-इस बिल को मजहब के तारजू पर ना तोला जाए
4-इस बिल को वोट बैंक के खाते से ना देखा जाए.
वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज हम इतिहास बना रहे हैं. ये पूजा, प्रार्थना और इबादत का नहीं है बल्कि नारी न्याय और इंसाफ का है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया है अगर इसके बाद भी ये पाप किया जा रहा है तो इस पर सदन खामोश रहेगा. उन्होंने कहा कि ये सदन को तय करना है तीन तलाक कि ये पीड़ित महिलाओं का मौलिक अधिकार है या नहीं.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमसे पूछा गया कि इसको अपराध क्यों बना रहे हैं. अगर तीन तलाक गैरकानूनी है तो ये अपराध क्यों नहीं है. वहीं इससे पहले तीन तलाक बिल पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सांसदों को ब्रीफ किया. उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी के रहते किसी मुस्लिम महिला के साथ अन्याय नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून बनाने को कहा था और उसी के आदेश का पालन हो रहा है.
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2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं और हर एक तलाकशुदा मर्द के मुकाबले 4 तलाक़शुदा औरतें हैं. 13.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है और 49 प्रतिशत मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 की उम्र में होती है. वहीं 2001-2011 तक मुस्लिम औरतों को तलाक़ देने के मामले 40 फीसदी बढ़े है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते 15 दिसंबर को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ को मंजूरी प्रदान की थी. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था. इस समूह में वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे.
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